- दो साल पहले बनी योजना अब तक नहीं हुई हस्तांतरित
- पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे माजरी माफी, हरिपुर, नवादा क्षेत्र के लोग

देहरादून (ब्यूरो): इससे क्षेत्र में पानी की किल्लत बनी हुई है। प्रभावित लोगों का कहना है कि शिकायत के बाद भी विभाग संज्ञान नहीं ले रहे हैं। उधर, इस मामले में जल संस्थान और पेयजल निगम के अधिकारी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रहे हैं। पेयजल निगम के अधिकारी कह रहे हैं कि योजना हस्तांतरित हो गई है और जल संस्थान के अधिकारी खामियां गिनाते हुए योजना हस्तांतरण के इनकार कर रहे हैं। कुल मिलाकर दोनों विभागों के बीच आखिरकार पिस पब्लिक ही रही है।

पेयजल निगम ने बिछाई 6 किमी। लाइन
कलिंगा विहार माजरी माफी सुदृढ़ीकरण पेयजल स्कीम का निर्माण पेयजल निगम की निर्माण शाखा, देहरादून ने अमृत योजना के तहत किया था। योजना से करीब 6 किमी। नई पाइपलाइन बिछाई गई थी। इस पर करीब 2.32 करोड़ रुपये खर्च किए गए। करीब दो साल पहले योजना बनकर तैयार हो गई थी। 30 सितंबर 2021 को निर्माण शाखा पेयजल निगम की एक्सईएन मिशा सिन्हा ने योजना के हैंडओवर के लिए जल संस्थान रायपुर डिविजन के अधिशासी अभियंता को अभिलेखों समेत पत्र प्रेषित किया। उसके बाद दोनों विभागों के बीच कोई पत्राचार नहीं हुआ।

खामियों के चलते लटका हस्तांतरण
पेयजल निगम की एक्सईएन मिशा सिन्हा ने बताया कि जल संस्थान के एक्सईएन की ओर से लेटर का कोई जवाब नहीं आया, तो उन्होंने मान लिया कि योजना हस्तांतरित हो गई। इसकी जानकारी तब हुई जब लोगों ने नई पाइपलाइन से कनेक्शन लिए। लाइन पर पानी नहीं आने पर इसकी शिकायत लोगों ने जल संस्थान से की।, तो पता चला कि योजना अभी हैंडओवर ही नहीं हुई है। जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि योजना में कई खामियां हैं, जिससे योजना का हैंडओवर नहीं लिया गया। खामियां ठीक करने के बाद ही योजना को लिया जाएगा।

पुरानी लाइन जगह-जगह लीकेज
योजना हस्तांतरित नहीं होने से लोगों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। पुरानी पेयजल पाइपलाइन जगह-जगह लीकेज है, जिस कारण लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। पुरानी लाइनें जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से अधिकांश पानी नालियों और सड़कों पर बर्बाद हो रहा है। नई लाइन से जोडऩे के बाद लीकेज की समस्या खड़ी हो जाएगी।

एमडी से लगाई गुहार
पेयजल किल्लत से जूझ रहे क्षेत्र के लोगों ने पेयजल निगम के एमडी को ज्ञापन भेजकर योजना जल्द से जल्द जल संस्थान को हस्तांतरण की मांग की है, ताकि लोगों को नई लाइन से पानी मुहैया हो सके। सोशल एक्टिविस्ट एनके गुसांई ने एमडी को भेजे ज्ञापन में कहा है कि अधिकारी पब्लिक के प्रति कितने जवाबदेह हैं, उसका पता इससे लगाया जाता है कि दो साल से योजना हस्तांतरित नहीं हो पाई। राज्य की राजधानी दून में सरकार के नाक के नीचे जब ये हाल हैं, तो दूरस्त ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं की क्या स्थिति होगी, समझा जा सकता है।


कोई सुनता नहीं हमारी, कहां जाएं
मधुबन कॉलोनी के लोगों ने नई पेयजल लाइन से पानी देने के लिए जल संस्थान से मांग की है, लेकिन कोई सुनने को राजी नहीं है। अब हम जाएं तो जाएं कहां।
गोपाल सिंह नेगी, रिटायर्ड कर्मचारी

हमने नई लाइन से पानी का कनेक्शन लिया है, लेकिन उसमें पानी नहीं आता है। पुरानी लाइन में लो प्रेशर से पानी आता है। गर्मी में हम एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
श्रीमती संगीता देवी, गृहणी

करोड़ों रुपये खर्च करने बाद भी पानी नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी योजनाओं का क्या करना है, जो बनने के बाद भी सफेद हाथी बनकर रह जाए। यह पब्लिक के साथ खिलवाड़ है।
आयुष सिंह, स्थानीय व्यक्ति


आजकल पुरानी लाइन में बहुत कम पानी आ रहा है। नई लाइन बिछी है, लेकिन उसमें पानी नहीं है। एक बाल्टी भरने में आधा घंटे से भी अधिक का समय लग रहा है।
रेनू नेगी, गृहणी

मामला संज्ञान में नहीं है। दो साल बाद भी योजना हस्तांतरित न होना गंभीर मामला है। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किए जाएंगे। शीघ्र योजना हस्तांतरण की कार्रवाई कर क्षेत्र मेें पेयजल आपूर्ति सुचारू की जाएगी।
राजीव सैनी, अधीक्षण अभियंता, जल संस्थान, देहरादून
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