देहरादून, ब्यूरो: आज देशभर में धूमधाम से चाचा नेहरू का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। बच्चे चाचा नेहरू को याद कर रहे हैं। लेकिन, पं। नेहरू का भी दून से खासा वास्ता रहा है। यूं कहें कि पंडित नेहरू का दून में आना लगा रहता था, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस बात की तस्दीक करता है हरिद्वार रोड स्थित नेहरू वार्ड। ये वही नेहरू वार्ड है, जहां पर पहले पुरानी दून की जेल हुआ करती थी, जो अब सुद्धोवाला शिफ्ट हो गई है। लेकिन, अब ये नेहरू वार्ड हेरिटेज के बजाय गुमनाम सा महसूस होने लगा है। हालांकि, उत्तराखंड संस्कृति विभाग ने पंडित नेहरू से जुड़ी यादों को संजाने की कोशिश की है। लेकिन, प्रचार-प्रसार के अभाव में ये वार्ड मानो अनदेखी का शिकार हो गया हो।

सौंदर्यकरण का इंतजार

नेहरू हेरिटेज सेंटर की देखभाल करने वाले संस्कृति विभाग के मुताबिक इस स्थान के सौंदर्यकरण को लेकर हाल ही में योजना बनाई है। कुछ आर्किटेक्ट्स ने इस स्थान का सर्वे भी किया। लेकिन, अब तक धरातल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में इस ऐतिहासिक स्थल को एक बार फिर से संवारकर इसको प्रमुख धरोहर स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। हालांकि, इसका काम कब शुरू किया जाएगा, यह कहना जल्दबाजी होगा।

साइन बोर्ड तक नहीं

वर्तमान समय में कोई स्टूडेंट, रिसर्च स्कॉलर या फिर पं। नेहरू विचारधारा रखने वाले व्यक्ति या पर्यटक इस ऐतिहासिक स्थल का दौरा करना चाहे। तो उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि इस वार्ड की ओर जाने वाले रास्ते के लिए एक साइन बोर्ड तक नहीं है। इससे पर्यटकों के लिए इस स्थल तक पहुंचना मुश्किल है। आस-पास के लोग भी इस जगह के बारे में बहुत कम जानते हैैं। ये स्थिति इस बात की गवाही देने के लिए काफी है कि इस ऐतिहासिक धरोहर की स्थानीय लोगों को जानकारी तक नहीं है।

यही लिखी थी डिस्कवरी ऑफ इंडिया

ये वही नेहरू वार्ड है, जहां पर पंडित नेहरू ने अपनी फेमस बुक डिस्कवरी ऑफ इंडिया के कई अहम हिस्से लिखे। 1932 में जब पं.नेहरू को ब्रिटिश हुकूमत ने गिरफ्तार कर जेल में कैद किया, तो उन्होंने अपनी किताब के कई अहम हिस्से यहीं लिखे। जेल परिसर में एक पुराना पेड़ है। जिसके नीचे बैठकर नेहरू ने अपने विचारों को कागज पर उतारा। इस पेड़ का जिक्र उन्होंने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में भी किया है। आज भी वह पेड़ मौके पर मौजूद है। जिस कारण ये स्थान एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में विकसित की जा सकती है। पं। नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में इस जगह और पेड़ का जिक्र करते हुए जेल में बिताए अपने दिनों को एक अमूल्य याद के रूप में पेश किया है।

खोई हुई धरोहर

जब पूरा देश चाचा नेहरू के जन्मदिन को चिल्ड्रन-डे के रूप में मना रहा है, तो ऐसे में ये नेहरू वार्ड खुद की पहचान की तलाश में है। हालत यहां तक पहुंच चुके हैं कि वार्ड में आने वाले पर्यटकों या फिर विजिटर्स तक का रिकॉर्ड मेनटेन नहीं है।

4 बार दून की जेल में रहे नेहरू

पं। नेहरू ने ब्रिटिशकाल मेंं दून की जेल में 4 बार बतौर कैदी प्रवास पर रहे। पहली बार वे 1932, दूसरी 1934, तीसरी बार 1935 और आखिरी में 1941 में उन्हें इस जेल में लाया गया।

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