देहरादून (ब्यूरो)। पुलिस ने लाठीचार्ज के संभावित विरोध के आशंका को देखते हुए लोगों को एकजुट होने से रोकने के लिए सुबह से ही पुख्ता प्रबंध कर दिये थे। गांधी पार्क के साथ ही शहीद स्थल और कचहरी परिसर में भारी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गई थी। सुबह सबसे पहले दो छात्र कचहरी परिसर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। थोड़ी देर में विभिन्न संगठनों के लोग वहां पहुंचे और दो छात्रों को गिरफ्तार किये जाने की सूचना मिली तो लोगों ने जमकर हंगामा किया और जबरन डीएम के ऑफिस में घुस गये। भारी दबाव के चलते डीएम ने दोनों छात्रों को रिहा करने के आदेश दिये।

शहीद स्थल पर जुटे हजारों
पुलिस के सख्त रवैये के बाद 11:30 बजे तक कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पर हजारों लोग जुट गये। इनमें बार एसोसिएशन, राज्य आंदोलनकारी और महिला मंच सहित कांग्रेस सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल, यूकेडी, एसएफआई आदि के लोग शामिल थे। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं भी शहीद स्थल पहुंच गये। इस बीच डीएम सोनिका भी मौके पर पहुंची। उनके सामने छात्रों और अन्य लोगों ने उन 13 युवाओं को रिहा करने की मांग की, जिन पर लाठीचार्ज के बाद कई धाराओं में मुकदमे दर्ज किये गये हैं। डीएम के साथ उत्तराखंड बेरोजगार संगठन का 5 सदस्यों को प्रतिनिधिमंडल अपर चीफ सेक्रेटरी राधा रतूड़ी ने मिलने गया। हालांकि इस मुलाकात को कोई खास नतीजा नहीं निकला।

एसएसपी ने संभाला मोर्चा
धारा 144 के बावजूद लगातार बढ़ती भीड़ को रोकने के लिए एसएसपी ने खुद मोर्चा संभाला। पहले उन्होंने शहीद स्थल पहुंचकर वहां छात्रों के अलावा अन्य सभी लोगों को बाहर जाने के लिए कहा। लेकिन कोई इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद शहीद स्थल के अंदर पुलिस बुला ली गई। वहां बैठे लोगों को चारों तरफ से घेरकर पुलिस ने आधे घंटे के भीतर परिसर खाली करने की मुनादी कर दी। इसके बाद भी कोई टस से मस नहीं हुआ है। एसएसपी के कहने पर केवल इतना हुआ कि शहीद स्थल पर नारेबाजी बंद हो गई।

गेट करवा दिये बंद
शहीद स्थल पर और लोग न आ सकें, इसके लिए पुलिस ने शहीद स्थल का गेट बंद कर दिया। किसी भी अंदर घुसने की परमिशन नहीं थी। लेकिन गेट के बाहर कचहरी परिसर में भीड़ लगातार बढ़ती रही। कचहरी में पहुंचने वाले हर रास्ते पर नारे लगाती लोगों की भीड़ उमड़ गई। इसके बाद कचहरी के एंट्री के सभी गेट भी पुलिस ने बंद करवा दिये। कचहरी परिसर में नारेबाजी कर रहे कुछ लोगों को बाहर भेज दिया गया और जो इसके लिए तैयार नहीं हुए उन्हें घेर-घेरकर गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि गेट के अंदर शहीद स्थल में पुलिस सिर्फ यही प्रयास करती रही कि सामाजिक संगठनों के लोग वहां से चले जाएं, ताकि छात्रों को गिरफ्तार किया जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बार-बार पुलिस वहां मौजूद लोगों को घेरकर लाठीचार्ज की तैयारी करती रही, लेकिन हर बार पुलिस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। प्रदर्शनकारी छात्र, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और राज्य आंदोलनकारी देर शाम तक शहीद स्थल पर डटे रहे।