देहरादून, ब्यूरो:
दून हॉस्पिटल में इस बीमारी के लगातार तीन केस सामने आए। इसके बाद दून मेडिकल कॉलेज की टीम ने इलाके में सर्वे किया तो कुछ मामले मिले। ऐसे बच्चों का ब्लड सैैंपल लेकर उपचार शुरू किया गया। साथ ही, इस वायरल संक्रमण की जानकारी डब्ल्यूएचओ से शेयर की गई है। पेरेंट्स को सलाह दी गई है कि अगर ऐसे सिंप्टम्स बच्चों में दिखें तो उन्हें स्कूल न भेजें और इलाज शुरू कराएं।

छोटे बच्चों को ज्यादा तकलीफ
एचएफएमडी संक्रमण 10 साल से छोटे बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन 6 साल से नीचे के बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। ये वायरस के कारण फैलती है और बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। मुंह में छालों के कारण उसे खाने में भी दिक्कत होती है। पंजाब, हरियाणा में बच्चों में जब यह इंफेक्शन ज्यादा बढ़ा तो स्कूलों ने छोटे बच्चों की छुट्टी तक कर दी थी।

ऐसे होते हैैं सिंप्टम्स
- तेज फीवर
- गले में दर्द
- मुंह के बाहर भीतर दाने
- पैर, हाथ पर फफोलेदार दाने
- खाने में दिक्कत

ये सावधानी बरतें
- बच्चे में लक्षण दिखें तो स्कूल न भेजें।
- बार-बार हाथ धोएं।
- दूसरे बच्चे को संक्रमित के संपर्क में जाने से रोकें।
- फल, सब्जी ज्यादा खिलाएं।
- स्पाइसी खाना बच्चे को न दें।
- पानी उबालकर ही पिलाएं।

रोजाना बढ़ रही ओपीडी
दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इन दिनों पीडिया की ओपीडी बढ़ गई है। बीते हफ्ते तक जहां ओपीडी 140-145 तक थी, वहीं इन दिनों एवरेज 200 प्लस केस आ रहे हैैं। इस दौरान हॉस्पिटल की आईपीडी भी लगातार बढ़ी है। हॉस्पिटल के रिकॉर्ड के अनुसार ओपीडी में 30 अगस्त से 8 सितंबर तक 1745 पेशेंट इलाज के लिए पहुंचे।

डेंगू और कोरोना से भी बचाव जरूरी
इन दिनों डेंगू का संक्रमण भी काफी चल रहा है और कोरोना के पेशेंट्स भी लगातार आ रहे हैैं। ऐसे में बच्चों का विशेष ख्याल रखें। वाटरबोर्न डिजीज भी बढ़ रही हैैं। इसलिए बच्चों की देखभाल में कमी न रखें।

सिंप्टम्स देखकर ही इस बीमारी का पता चल जाता है। हाथ, पैर और मुंह के फफोलेदार दाने व बुखार से पेशेंट आइडेंटिफाई हो जाता है। अगर बच्चे में ऐसे सिंप्टम्स दिखें तो उसे स्कूल न भेजें, इलाज कराएं और बच्चे को तत्काल आइसोलेट कर दें।
डॉ। विशाल, पीडियाट्रिक्स दून हॉस्पिटल