देहरादून (ब्यूरो)।सच्चाई ये है कि पिछले दो वर्षों से ये कारोबार फल-फूल रहा है। बावजूद इसके पुलिस व प्रशासन के कानोंकान तक खबर नहीं। नतीजतन, आस-पास के सोसायटीज पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायत भी की। लेकिन, कोई असर नहीं हुआ। अब तो सड़क पर चलने वाला हर राहगीर करीब 300 मीटर के इस दायरे को रेड लाइट एरिया की नजर से घूरते हुए गुजरता है। शिकायतें मिलने पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने कस्टमर बनकर एरिया का जायजा लिया, तो सामने आई पूरी असलियत।
दो घंटे तक जारी रही टीम की पड़ताल
महाराणा स्पोट्र्स कॉलेज से लेकर जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक जाने वाली रोड। इस मार्ग पर महाराणा चौक से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग तक का करीब 500 मीटर का सफर। आजकल हर किसी राहगीर की जुबां पर आम बात है। इस रूट से गुजरने वाले पैदल यात्रियों व वाहन चालकों की नजरें खुद-ब-खुद इस ओर चली ही जाती हैं। ये इलाका लंबे समय से रेड एरिया के तौर पर बदनाम होने लगा है। दरअसल, पिछले लंबे समय से इस एरिया के बारे में लगातार खबरें सामने आ रही थीं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम ने लंबी पड़ताल के बाद फ्राइडे को ग्राउंड जीरो तक पहुंचने और सच्चाई सामने लाने की तैयारी की। इसी के तहत दोपहर करीब 12.30 से हमारा सफर शुरू हुआ, जो अपराह्न 2.35 तक चलता रहा। इन दो घंटों के दौरान हमें एक के बाद एक कई सच्चाईयां उजागर होती गईं।
झाडिय़ां बन रहीं आड़
स्पोट्र्स कॉलेज से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के बीच दोनों तरफ घनी झाडिय़ां मौजूद हैं। इसी का फायदा उठाकर ये जरायम व्यापार धड़ल्ले से किया जा रहा है। क्योंकि इन झाडिय़ों के पीछे काले कारनामों को छुपाया जा रहा है।
कैसे होती है डील
यहां महिलाएं सड़क के किनारे सूखी लकड़ी बीनने व कूड़ा उठाने के बहाने खड़ी रहती हैं। शौकीनों की गाडिय़ां यहां रुकती हैं और फिर शुरू हो जाती है डील। खास बात यह है कि इस इलाके में झाडिय़ों के बीच कई महिलाएं एक झुंड में नजर आ जाती हैं।
रुक जाते हैं कार, मोटर साइकिल व स्कूटर
रिपोर्टर ने देखा कि एयरपोर्ट रूट से और महाराणा स्पोट्र्स कॉलेज रोड से एयरपोर्ट की ओर आने-जाने वाली गाडिय़ां, मोटर साइकिल और स्कूटरों की रफ्तार इस करीब 500 मीटर के दायरे में धीमी पड़ जाती हैं। जैसी ही झाडिय़ों में नजर पड़ती है, वाहनों में ब्रेक लग जाता है। कुछ लोग दूर से देखकर निकल जाते हैं तो कुछ रुक कर डील फाइनल करने लगते हैं।
टीम ने खंगाली झाडिय़ां
हमारी टीम ने स्पोट्र्स कॉलेज से एयरपोर्ट की ओर जाने वाली रूट पर पहले लेफ्ट साइड की झाडिय़ां खंगाली। वहां कोई सुराग नहीं मिला। यू-टर्न लेने के बाद वापसी के दौरान स्पोट्र्स कॉलेज से पहले फिर से झाडिय़ों में एंट्री ली। वहां कुछ आहट सुनाई दी। कुछ महिलाएं अनजान चेहरे देखकर तुरंत इधर-उधर हो गईं।
आप भी सुनिए बातचीत
रिपोर्टर:-(अपनी गाड़ी रोकते हुए।।) जी, तुम तो गुटखा खा रही हो।
महिला:-हम्म, तुम भी ले लो।
रिपोर्टर:-हम तो दूसरा वाला गुटखा लेते हैं। ये ज्यादा स्ट्रांग है।
महिला:-नहीं, हम तो पचा लेते हैं।
रिपोर्टर:-तुम्हारी और साथी कहां गईं।
महिला:-अभी तो मैं अकेली हूं।
रिपोर्टर:-बताओ, कितना।।।
महिला:-(हल्की आवाज में)।।।पांच सौ।
रिपोर्टर:-किधर जाना पड़ेगा।
महिला:- (इशारा करते हुए) उधर।।।
(रिपोर्टर का संवाद काफी लंबा चलता रहा। आप तक ये बातें शेयर नहीं की जा सकती।।)
पहले भी कुछ इलाके रहे हैं बदनाम
ऐसे कारोबार के लिए दून के कुछ इलाके पहले भी चर्चित रहे हैं। इसमें खासकर गांधी पार्क व परेड ग्राउंड शामिल रहा है। लेकिन, पुलिस की पैनी नजर के कारण अब यहां से यह सब कुछ गुम-सा हो गया है। इसकी दूसरी वजह गांधी पार्क व परेड ग्राउंड का ब्यूटिफिकेशन कार्य भी बताया जा रहा है।