देहरादून ब्यूरो। पिछले 10 वर्ष के दौरान आरटीई के तहत देहरादून जिले के प्राइवेट स्कूल्स को करीब 168 करोड़ 52 लाख 44 हजार रुपये मिले हैं, जबकि इन वर्षों में 22290 स्टूडेंट्स को विभिन्न प्राइवेट स्कूल्स में एडमिशन दिये गये हैं। यानी इस 10 वर्षों में हर स्टूडेंट पर एवरेज 75,605 रुपये खर्च किये गये हैं। आमतौर पर प्राइवेट स्कूल्स की फीस फस्र्ट क्लास में 3 हजार से शुरू होकर 6वीं स्टैंडर्ड तक 5 से 6 हजार रुपये तक होती है। यानी फस्र्ट से 8वीं स्टैंडर्ड तक एक स्टूडेंट के पेरेंट्स स्कूल को 4 लाख रुपये तक फीस के रूप में दे देते हैं।
यह है फीस का गणित
आरटीई के तहत स्कूल्स को हर स्टूडेंट की फीस के रूप में प्रतिमाह करीब 1900 रुपये दिये जाते हैं। यानी हर वर्ष एक स्टूडेंट की फीस के रूप में स्कूल को करीब 23 हजार रुपये ही मिल पाते हैं। यदि कोई स्टूडेंट किसी स्कूल में आरटीई के तहत 8वीं तक पढ़ता है तो स्कूल को करीब 2 लाख रुपये मिलते हैं, यानी के हर स्टूडेंट से स्कूल को 8 वर्षों में 2 लाख रुपये तक घाटा उठाना पड़ता है। ऐसे में स्कूल आरटीआई के तहत एडमिशन देने में रुचि नहीं लेते।
कब कितनी अमाउंट
पिछले 10 वर्षों के दौरान आरटीई के तहत सबसे ज्यादा अमाउंट फाइनेंसियल ईयर 2020-21 में आवंटित की गई। यह राशि करीब 5882 लाख रुपये से ज्यादा है। इससे पहले 2019-20 में 4148 लाख, 2018-19 में 1518.10 लाख और 2017-18 में 1308.01 लाख रुपये अलॉट किये गये थे। वर्ष 2016-17 में दून सहित पूरे राज्य को आरटीई के तहत कोई अमाउंट नहीं मिली।
2011-12 में 131.83 लाख
आरटीआई एक्ट लागू होने के पहले वर्ष दून को 2011.12 में 131.83 लाख रुपये आवंटित किये गये थे। 2912-13 में यह राशि बढ़ाकर 326.19 लाख, 2013-14 में 1298.81 लाख और 2014-15 में 1459 लाख दी गई। वर्ष 2015-16 में 660 लाख रुपये दिये गये।
इस बार 3138 एडमिशन का टारगेट
इस वर्ष दून में 3138 नये स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का टारगेट दिया गया है। इनमें 1470 स्टूडेंट्स को नर्सरी में और 1668 को फस्र्ट स्टैंडर्ड में एडमिशन दिया जाना है। इसके अलावा 569 ऐसे स्टूडेंट्स से जिन्होंने दो वर्ष पहले रजिस्ट्रेशन किया था, लेकिन कोविड के कारण एडमिशन हुआ था, उन्हें सेकेंड स्टेंडर्ड में प्रमोट किया जाना है। एक वर्ष पहले रजिस्ट्रेशन करने वाले 480 स्टूडेंट्स को फस्र्ट स्टेंडर्ड में प्रमोट करने के भी आदेश हैं।