देहरादून (ब्यूरो) पिटकुल के एमडी पीसी ध्यानी ने बताया कि स्क्रैप पॉलिसी पूरी तरह ऑनलाइन है। बताया कि 2018 में सामग्री प्रबंधन इकाई सृजित की गई, लेकिन उसमें पूरी स्थिति स्पष्ट न होने से कई बार स्क्रैप डिस्पोजल करने में अड़चने आ रही थी। इस कारण निगम में कबाड़ बने पुराने ट्रांसफार्मर, टावर, बैटरी, रिलेज, वाहन और अन्य उपकरण और पाट्र्स आदि ऑक्शन नहीं हो पा रहे थे। इससे जहां बिजली सब स्टेशन बदसूरत लग रहे हैं वहीं निगम को भी राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। कई जगहों पर नए उपकरणों के रखने की भी जगह कम पड़ रही है।
पब्लिक फैसिलिटी में होगा इजाफा
लाइफ पूरी कर चुके ट्रांसफार्मर्स और अन्य उपकरणों को भी चलन से बाहर किया जाएगा। दरअसल निगम में 25 से लेकर 35 साल पुराने ट्रांसफार्मर्स और अन्य उपकरण सब स्टेशनों पर सड़ रहे हैं। पहले भी स्क्रैप का ऑक्शन किया गया, लेकिन उसमें काफी सारी चीजें क्लियर न होने से स्क्रैप की नीलामी में दिक्कतें आ रही थी। स्क्रैप पॉलिसी मंजूर होने के बाद जहां कबाड़ को बेचने में आसानी होगी वहीं निगम को भी राजस्व मिलेगा। नीलामी से आने वाले पैसे को नई बिजली परियोजनाओं, मेंटनेंस और उपकरणों की खरीद में खर्च किया जाएगा, जिससे पावर सिस्टम मजबूत होगा और पब्लिक को निर्बाध बिजली देने में काफी सुधार होगा।
जुगाड़ से नहीं चलेंगे उपकरण
मैनेजिंग डायरेक्टर पीसी ध्यानी ने बताया कि आज तकनीकी के क्षेत्र में काफी चेंज आ गया है। कई उपकरणों के मार्केट में पार्ट नहीं मिल रहे हैं, जिन्हें जुगाड़ से चलाया जा रहा है, इससे बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। अब जुगाड़ से उपकरणों की नहीं चलाया जाएगा। उम्र पूरी करने वाले और आउटडेटेड उपकरणों को बदलकर कर नई उपकरण लगाए जाएंगे, ताकि सिस्टम के साथ पब्लिक को भी इसका सीधा लाभ मिल सके।
मार्च 2024 तक 5 करोड़ का टारगेट
स्क्रैप पॉलिसी आने के बाद निष्प्रयोज्य उपकरण और पाट्र्स को ऑक्शन करने में तेजी आई है। इस साल मार्च तक 5 करोड़ के लगभग का कबाड़ बेचने का टारगेट रखा गया है। नवंबर तक करीब 3 करोड़ का कबाड़ बेच दिया गया है। शुरुआती साल 2018 में केवल 12 लाख का ही कबाड़ बेचा जा सका था। पिछले 5 साल में 8.32 करोड़ का स्क्रैप बेचा जा चुका है। अभी भी निगम के पास 5 से 7 करोड़ का कबाड़ पड़ा हुआ है।
स्क्रैप रखने के नुकसान
- बिजली सब स्टेशनों पर रखने की जगह नहीं
- देखने में यार्ड दिख रहा बदसूरत
- बिगड़ रहा उप संस्थानों का प्रॉपर ब्यूटीफिकेशन
- करोड़ का राजस्व नुकसान
- स्क्रैप पर लगी जंग से दूसरे उपकरण भी हो रहे खराब
स्क्रैप डिस्पोजल करने के फायदे
- पब्लिक को मिल रही बिजली सुविधाओं में सुधार होगा
- बिजली सब स्टेशनों की खूबसूरती बढ़ेगी
- जंग खा रहे कबाड़ से दूसरे उपकरण नहीं होंगे खराब
- राजस्व मिलने से डेवलपमेंट वर्क पर होगा खर्च
- इतनी धनराशि कम लोन लेने से लाखों के ब्याज की बचत होगी
60 दिन में उठाना होगा स्क्रैप
नई स्क्रैप पॉलिसी के तहत 60 दिन में ठेकेदार को स्क्रैप उठाना होगा। इसके बाद ठेकेदार पर रोजाना के हिसाब से पैनाल्टी लगेगी। पैनाल्टी से भी निगम की इनकम बढ़ेगी। पहले 30 दिन में उठाना होता था, लेकिन पैनाल्टी का कोई प्रावधान नहीं था। इसके अलावा चीफ इंजीनियर को भी इस पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है।
स्क्रैप पॉलिसी आने के बाद स्क्रैप डिस्पोजल करने में तेजी आएगी। स्क्रैप के पैसों को नई योजनाओं और उपकरणों की खरीद आदि पर खर्च किया जाएगा। इससे बिजली सिस्टम के साथ ही पब्लिक सुविधाओं में इजाफा होगा।
पीसी ध्यानी, मैनेजिंग डायरेक्टर, पिटकुल
dehradun@inext.co.in