देहरादून ब्यूरो। ट्यूजडे को कुछ जगह पुलिस वाहनों की चेकिंग करती दिखी। इस दौरान खास तौर पर ट्रैफिक रूल्स का वॉयलेशन करने वाले टूव्हीलर्स पुलिस के निशाने पर रहे। हालांकि बारिश के कारण यह अभियान कुछ देर तक चलाया जा सका। पटेलनगर थाना क्षेत्र के लाल पुल पर पुलिस ने करीब आधे घंटे तक टूव्हीलर्स की चेकिंग का अभियान चलाया। पुलिस का कहना है कि आने वाले दिनों में भी हर दिन अलग-अलग जगहों पर कुछ देर तक इस तरह का अभियान चलाने का प्रयास किया जाएगा।

इन पर रहेगी पुलिस की नजर
- बिना हेलमेट टूव्हीलर चलाना।
- बिना सीटबेल्ट फोर व्हीलर चलाना।
- रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना।
- रेड लाइट जंप करना।
- ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य कागजात की चेकिंग
- मोडिफाइड की गई गाडिय़ां
- तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना।
- ओवर हाइट, ओवर लेंथ
- कम उम्र के लोगों द्वारा ड्राइविंग

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट भूले
कु़छ वर्ष पहले देहरादून में हर तरह के वाहनों के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट जरूरी कर दिया गया था। इस दौरान दून में एक साथ कई प्रदूषण जांच केंद्र खोले गये। कुछ लोगों ने मोबाइल जांच केंद्र से भी शुरू किये। एक बार लगभग हर वाहन चालक ने अपने वाहन का पॉल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिके बनाया, लेकिन किसी ने भी उसे रिन्यू नहीं किया। इसके बाद प्रदूषण जांच केंद्र भी एक-एक कर बंद हो गये। अब पुलिस ने इस तरफ ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं कर रही है। इसे लेकर फिलहाल कोई एक्शन प्लान भी नहीं है।

क्या कहते हैं दूनाइट्स
ट्रैफिक व्यवस्था किसी भी शहर की स्थिति जानने में महत्वपूर्ण होती है। इस लिहाज से देखा जाए तो देहरादून सबसे गये-गुजरे शहरों में शामिल होगा। हर कदम पर लोग ट्रैफिक रूल्स का वॉयलेशन करते दिख जाते हैं। पुलिस के साथ लोगों को खुद भी समझना होगा।
कमलेश खंतवाल


मैं बार-बार एक बात पूछता हूं। आप बार-बार स्मार्ट सिटी की बात करते हैं। हो सकता है कभी आप स्मार्ट सिटी बनाने में सफल हो गये, तो भी सवाल यह उठता है कि स्मार्ट सिटी के लिए स्मार्ट सिटीजन कहां से लाओगे। जान-बूझकर रूल्स का वॉयलेशन करने वाले स्मार्ट सिटीजन कभी नहीं बन सकते।
प्रेम बहुखंडी

दून में ट्रैफिक रूल्स का वॉयलेशन तो होता है, लेकिन ऐसे गिने-चुने लोग होते हैं। मैं अक्सर इस बात पर ध्यान देता हूं कि कितने लोग रूल्स का वॉयलेशन कर रहे हैं। ऐसे सिर्फ 10 परसेंट लोग हैं। बाकी सभी नियमों का पालन करते हैं और ये 10 परसेंट लोग सख्त सजा के बिना नहीं सुधरने वाले हैं।
अखिलेश डिमरी

हमें अपने बच्चों को ये भी संस्कार देने चाहिए कि सड़क पर कैसे चलना चाहिए। मैंने दून की सड़कों पर ऐसे लोग देखे हैं, जो बच्चों को गाड़ी में बिठाकर रॉन्ग साइड चलते हैं या फिर रेड लाइट जंप करते हैं। इस तरह के बच्चे कभी नियम का पालन करने वाले नागरिक नहीं बन सकते। ये जुर्माने से भी नहीं डरने वाले। कुछ और सजा तय करनी होगी।
जयदीप सकलानी