देहरादून,ब्यूरो: भले ही दिल्ली व एनसीआर में बढ़ रहे पॉल्यूशन को लेकर लोग सर्द होते मौसम के साथ ही खांसी, आंखों व गले में जलन, सांस लेने जैसी दिक्कतों का सामना कर रहे हों। लेकिन, दून में बढ़ रहे एक्यूआई को लेकर भी लोगों की फिक्र बढ़ गई है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रविवार को दून का एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) जहां 294 तक रिकॉर्ड किया गया। जबकि, सोमवार अल सुबह 2 से 9 बजे तक दून यूनिवर्सिटी इलाके में एक्यूआई लेवल 300 तक रिकॉर्ड किया गया। इसी प्रकार से सोमवार को ही 5 से 6 बजे दून विवि में 287 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया।

सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड हो रहा दून का पॉल्यूशन

देहरादून आने वाले भविष्य में देश की दूसरी स्थाई राजधानी बनेगी।

-विवेक पांडे।

अब देहरादून से कहां की ओर भागेगा उत्तराखंडीभागे-भागे, भगाते रहे

-सोल्जर।

मैं फिजिकली एक्टिव हूं और मेरी एज 37.5 वर्ष है। लेकिन, पिछले 2-3 दिनों से मौसम में बदलाव दिख रहा है।

-पहाड़ी भुला।

देहरादून चोक हो रहा है और लंबे समय के लिए यहां रहना मुश्किल दिख रहा है।

-बूट, बेल्ट्स एंड बेरेट्स।

ये भाजपाई विकास माडल है। यदि लोग थोड़ा जागरुक न हो तो माननीयों के रास्ते के नाम पर कैंट मार्ग व पानी के स्टोरेज टैंक के नाम पर अब तक और हजारों पेड़ों की बलि दी जा चुकी होती। तब एक्यूआई क्या होता।

-विजय कुमार नेगी।

ओ माई गॉड, ये तो दिल्ली को टक्कर दे रहा है।

-आकांक्षा।

अभी देखते जाओ, दोनों यशस्वी एक दिल्ली और एक देहरादून के नेतृत्व में उत्तराखंड का कैसे बेड़ा गर्क होता है।

-मनीष भट्ट।

जनता का कोई मतलब नहीं एक्यूआई से। जनता के मुददे हैं रोजगार, महंगाई, बिजली और पानी। इन सब मसलों पर भाजपा व कांग्रेस की सरकारें फेल रही हैं। हर बीजेपी निश्चित है। क्योंकि उसके बपास ईवीएम है। हमारे और आपके विद्रोह की कोई कीमत है।

-पवन धीमान।

मैं यूनिवर्सिटी साइड ही रहता हूं। कल सही में ज्यादा ही धुंध थी।

-शिवम रावत।

अगले पांच साल में दिल्ली का चाचा बनने में देर नहीं लगेगी।

-विनोद सिंह पुंडीर।

-दून दिल्ली का छोटू वर्जन, क्योंकि ये पॉल्यूशन मॉनिटर शहर के बाहर दून यूनिवर्सिटी में है। अपने घर में बुजुर्गों, बच्चों को विशेष ध्यान रखना।

-अनूप नौटियाल।

दून में लगातार पॉल्यूशन की मात्रा बढ़ती जा हरी है। सोमवार सुबह 300 एक्यूआई मापा गया। ये खतरनाक संकेत कहे जा सकते हैं। कारण, दून वैली है। जिससे ये कुछ वक्त के लिए धुंध से घिरा रहेगा।

-डा। आंचल शर्मा, पर्यावरणप्रेमी।

राजधानी के कई इलाकों में धूल व मिट्टी की मोटी परत दिखाई देना आजकल आम बात हो गई है। जिसका सामना स्कूल जाने वाले बच्चे, बजुर्गों को करना पड़ रहा है। इसको लेकर जिला प्रशासन को पत्र सौंपा गया है।

-लव चौधरी, सोशल एक्टिविस्ट।

पेड़ों को बचाना होगा

पर्यावरणप्रेमियों का कहना है कि दून वैली में एक्यूआई का लेवल बढऩे के पीछे कई कारण हैं। मसलन, जंगलों का अंधाधुंध कटान और फुटहिल्स को फ्लैट करना वजह रहे हैं। साफ है कि इस स्थिति में बदलाव न किया गया तो दून के दिल्ली जैसे हालात हो जाएंगे। द अर्थ एंड क्लाइमेंट इनिसिएटिव से जुड़े पर्यावरण प्रेमी डा। आंचल बताती हैं कि विकास के नाम पर विनाश होने से रोकना होगा।

वर्षवार दून की एयर क्वालिटी

वर्ष 2023

स्थान --महीना--पीएम-10--महीना--पीएम-10

घंटाघर--अगस्त--125.87--सितंबर--169.44

आईएसबीटी--145.21--165.52

रायपुर--130.14--153.98

दून यूनिवर्सिटी--32.12--22.2

वर्ष 2024

स्थान --महीना--पीएम-10--महीना--पीएम-10

घंटाघर--अगस्त--112.2--सितंबर--120.45

आईएसबीटी--117.22--126.37

रायपुर--120.84--120.74

दून यूनिवर्सिटी--25.25--33.14

पॉल्यूशन स्टैंडर्ड

-0 से 50--गुड--मिनिमम इंपैक्ट।

-51 से 100--सटिसफैक्ट्री--संवेदनशील लोगों को माइनर ब्रीथिंग डिसकंफर्ट

-201 से 300--मोडिटरेट--ब्रीथिंग डिसकंफर्ट।

-301 से 400--वैरी पुअर--रैसपिरेट्री इलनैस टू द पीपुल।

-401 से आगे--रैरपिरेट्री इफैक्ट्स ऑन हेल्दी पीपुल।

कहने के लिए डिस्प्ले, कोई रीडिंग नहीं

कहने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आरओ ऑफिस के छत पर डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड लगाया गया है। जिसके बारे में अधिकारी रोजाना एक्यूआई रीडिंग फ्लैश होने की जानकारी देते हैं। लेकिन, बताया जा रहा है कि जब से दून में एक्यूआई का लेबल बढ़ा है। तब से इस ऑफिस में इस डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड पर किसी भी प्रकार की एक्यूआई रीडिंग डिस्प्ले नजर नहीं आ रही है।

डीएम दून को पत्र

दून के कुछ सोशल एक्टिविस्ट ने डीएम दून को पत्र सौंपा है। जिसमें मांग की गई है कि मानसून के बाद फ्लाईओवर, सड़कों के दोनों ओर और डिवाइडर के किनारे धूल-मिट्टी का जमावड़ा लगा हुआ है। जिसका असर आम लोगों पर पड़ रहा है। सोशल एक्टिविस्ट लव चौधरी ने प्रशासन को लिखे पत्र में कहा है कि जीएमएस रोड पर ट्रांसपोर्ट नगर से सेंट ज्यूड स्कूल तक रोज स्कूली बच्चे व हजारों लोगों की आवाजाही लगी रहती है। जहां उन्हें धूल के कणों का सामना करना पड़ता है। स्कूलों बच्चों को सबसे ज्यादा आंख व श्वास जैसी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है।

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