देहरादून ब्यूरो। सद्भावना यात्रा में शामिल रहे इस्लाम हुसैन ने बताया कि जब यह यात्रा शुरू की गई थी तो कुछ भी निश्चित नहीं था। लोगों का समर्थन मिलेगा या नहीं यह भी तय नहीं था। लेकिन, जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ती गई, लोगों को समर्थन मिलता रहा। उन्होंने कहा कि यह यात्रा के दौरान मुख्य रूप से तीन तरह के मुद््दों पर लोगों के साथ बातचीत की गई। इनमें सामाजिक मुद््दे, आर्थिक और पर्यावरणीय मुद््दे शामिल थे। यात्रा जिस क्षेत्र में गई, वहां जन नायकों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद किया गया। करीब 800 संगठनों और बड़ी संख्या में आम लोगों से बातचीत हुई।
अब नहीं रहा पहले जैसा पहाड़
यात्रा में प्रमुख भूमिका निभाने वालों में एक भुवन पाठक ने यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि पहाड़ में प्लास्टिक के पहाड़ खड़े हो रहे हैं। नफरत फैल रही है। खेती की जमीन बंजर हो रही है। जंगल जानवर खेती को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गांवों में बेरोजगारों की भीड़ बढ़ रही है। बड़ी संख्या में छोटे-छोटे कस्बे विकसित हो रहे हैं। गांव खाली हो रहे हैं। सरकारी निर्माणों में भारी लापरवाही हो रही है। लोग अपने-अपने लिए आंदोलन कर रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष मुखर है, लेकिन जनपक्ष कहीं नजर नहींं आ रहा है।
राज्यभर से पहुंचे लोग
समापन समारोह में सद्भावना यात्री गोपाल ने भी अपने विचार रखे। राजीव लोचन शाह, पीसी तिवारी, बीजू नेगी, प्रभात ध्यानी, देवेन्द्र, प्रेम बहुखंडी सहित कई लोगों ने विचार रखे और इस तरह की यात्राओं का सिलसिला लगातार जारी रखने की जरूरत बताई। कार्यक्रम का संचालन कमला पंत ने किया।