देहरादून ब्यूरो। नगर निगम सूत्रों की माने तो दून में हर रोज रोज करीब 300 टन सॉलिड वेस्ट जेनरेट होता है। हालांकि इस क्षेत्र में काम करने वालों का अनुमान है कि रोज 4 सौ टन से ज्यादा कचरा दून में जेनरेट होता है। सिटी में निकलने वाले सॉलिड वेस्ट में 70 परसेंट हिस्सा प्लास्टिक कचरा होता है। नगर निगम के आधिकारिक आंकड़े को ही सही माने तो रोज 210 टन प्लास्टिक कचरा दून में जेनरेट हो रहा है।
नदी-नाले पटे हैं प्लास्टिक से
वैसे तो सिटी में चारों ओर प्लास्टिक कचरा फैला हुआ है, लेकिन नदियों और नालों की स्थिति सबसे खराब है। बिंदाल और रिस्पना नदियों में हजारों टन कचरा पिछले कई सालों से जमा हो रहा है। हर साल नदी नालों का साफ करने की बात होती है, लेकिन नदियों और नालों में प्लास्टिक कचरे के ढेर कभी भी देखे जा सकते हैं। बरसात में यही कचरा नदी और नालों को चोक होने का सबसे बड़ा कारण बनता है। इससे शहर में जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है।
पहले भी चले अभियान
दून में पहले भी कई बार प्लास्टिक बैन करने के लिए अभियान चले हैं। कोविड से पहले राज्य सरकार और नगर निगम की ओर से सिंगल प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकने के लिए बड़ा अभियान चलाया गया था। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकने के लिए दून के ह्यूमन चेन भी बनाई गई थी, जो उस समय काफी चर्चा में रहा था। इसके बाद राज्य में प्लास्टिक बैन को लेकर पॉलिसी भी बनाई गई थी।
तलाशना होगा विकल्प
फिलहाल दून में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करने की फिर से कवायद शुरू की जा रही है, लेकिन इसके विकल्प पर अब तक कोई खास चर्चा नहीं हुई है। सबसे ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल कैरी बैग के रूप में किया जाता है। इसके अला प्लास्टिक ग्लास, दोनो आदि भी भारी संख्या में प्लास्टिक के इस्तेमाल किये जा रहे हैं। जानकारों को मानना है कि सिर्फ बैन करने से बात नहीं बनने वाली है। लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक का विकल्प देने की भी जरूरत है।