देहरादून,(ब्यूरो): यूपी के हाथरस में हुई घटना के बाद अब उत्तराखंड पुलिस भी अलर्ट मोड में आ गई है। वेडनसडे को इसको लेकर एडीजी लॉ-एन-ऑर्डर एपी अंशुमन ने गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के आईजी, जिला पुलिस प्रभारियों के साथ पुलिस अधिकारियों की बैठक ली। कहा, समय-समय पर आयोजित होने वाले तमाम मेले, धार्मिक आयोजन व अन्य अवसरों पर क्राउड मैनेजमेंट को देखते हुए एनओसी देने से पहले थाना प्रभारी खुद मौके पर जाकर व्यवस्थाओं का आकलन कर लें। इसके अलावा सभी जिला प्रभारी अपने-अपने जिलों में होने वाले छोटे-बड़े आयोजनों के संबंध में एसओपी तैयार कर जल्द पुलिस हेडक्वार्टर भेजें।
पहले मौका मुआयना, फिर अनुमति
एडीजी कानून व्यवस्था ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों को निर्देश दिए कि मेले व धार्मिक आयोजन होने से पहले क्राउड मैनेजमेंट को लेकर कार्यक्रमों की संवेदनशीलता को जाना जाए। आयोजन की परमिशन देने से पहले ये भी सुनिश्चित हो कि थाना प्रभारी पहले मौके का मुआयना करें। वहां पर आयोजन स्थल में भीड़ क्षमता, प्रवेश व निवासी द्वार, पार्किंग आदि का भी आकलन किया जाए, उसके बाद ही एनओसी दी जाए। उन्होंने ये भी कहा कि अधिकारी इस बारे में सभी थाना प्रभारियों को ब्रीफ जरूर कर लें।
पुलिस तैयार करेगी एसओपी
एडीजी ने अधिकारियों को बताया कि सभी जिला प्रभारी अपने-अपने जिलों में होने वाले छोटे-बड़े आयोजनों को लेकर एसओपी तैयार कर जल्द पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराएंगे। उसे बाद पुलिस मुख्यालय की ओर से क्राउड मैनेजमेंट के लिए एक डिटेल एसओपी तैयार कर जिलों को उपलब्ध कराई जाएगी।
एडीजी की ओर से दिए गए निर्देश
- क्राउड मैनेजमेंट को देखते हुए आयोजित होने वाले मेले व धार्मिक आयोजनों को अनुमति के बाद ही आयोजित किए जाएं।
-इस संबंध में सभी जनपदों के थाना व चौकी प्रभारियों को ब्रीफ किया जाए।
-जिलों में वर्ष में होने वाले समस्त मेले, त्यौहारों व अन्य अवसरों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का तैयार होगा वार्षिक कैलेंडर।
-उसके अनुसार ही समय से आवश्यक पुलिस प्रबंध सुनिश्चित होंगे।
-बिना परमिशन वाले कार्यक्रमों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश।
15 दिन पहले परमिशन
एडीजी के अनुसार किसी भी मेले व धार्मिक आयोजनों के लिए आयोजकों को 15 दिन पहले अनुमति लेने के लिए आवेदन करने होंगे। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को ये भी निर्देश दिए हैं कि हर आयोजन में क्राउड मैनेजमेंट को देखते हुए पर्याप्त संख्या में पुलिस प्रबंधन किए जाएं। इसके अलावा जिलों में व्यवस्थापित आश्रमों व मठों के पदाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर उनकी ओर से वर्ष में आयोजित किये जाने वाले सभी कार्यक्रमों की डिटेल में प्राप्त की जाए। जिससे समय पर उनके साथ होने वाले कार्यक्रमों को लेकर कॉर्डिनेशन किया जा सके।
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