देहरादून,(ब्यूरो): दून में फुटपाथ हैं, लेकिन वह पैदल चलने वालों के लिए नहीं है। यह हम नहीं कर रहे हैं, फुटपाथ पर कब्जा करने वालों की ऐसी सोच है। यही सोचकर वह फुटपाथ कब्जाकर अपना धंधा चला रहे हैं। पुलिस-प्रशासन से लेकर नगर निगम की ओर से सैकड़ों बार फुटपाथ और सड़क से कब्जा हटाने को अभियान चलाया जाता है। रुटीन में भी कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसके बावजूद फुटपाथ से कब्जे बरकार हैं। अब पब्लिक भी आक्रोश में दिख रही है। पब्लिक का कहना है कि सड़क-फुटपाथ पर कब्जे करने वालों को जेल की सलाखों में डाला जाए।

आई नेक्स्ट ने उठाया मुद्दा
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से किस काम के हैं ये फुटपाथ नाम से 6 दिन कैंपेन चलाया गया। जिसमें शहर के हर इलाके में फुटपाथों की स्थिति को उजागर किया गया। सैटरडे को कैंपेन के समापन पर सोशल मीडिया के जरिए लोगों ने बड़ी संख्या में दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट को फुटपाथ व सड़कों कब्जे और इससे होने वाली परेशानियों को शेयर किया। कई लोगों ने सुझाव भी दिए और संबंधित विभागों से सवाल भी पूछे। अधिकांश लोगों ने सड़क व फुटपाथों पर बार-बार कब्जे करने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डालने की सलाह दी है।

पब्लिक बोली, खाली कराए जाएं फुटपाथ
दैनिक जागरण-आई नेक्सट की ओर से आयोजित कैंपेन के समापन अवसर पर पब्लिक की ओर से फोन पर पूछे गए सवालों का देहरादून की डीएम सोनिका ने बेबाकी से जवाब दिया और पब्लिक को भरोसा दिया कि समस्याओं के समाधान के लिए जिला प्रशासन हर संभव कदम उठाएगा।
1. फुटपाथ पैदल चलने के लिए बनाए जाते हैं या व्यापार के लिए?
-निश्चित तौर पर पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ बनाए जाते हैं। फुटपाथ पर व्यापार करना नियमों के विपरीत है।
2. सड़क व फुटपाथ पर कब्जे क्यों नहीं हट रहे?
-समय-समय पर अतिक्रमण को लेकर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। जुर्माना भी वसूला जाता है।
3. कब्जे के चलते फुटपाथ पर चलने की जगह नहीं है?
- यह बात सही है। लगातार कब्जे हटाने के प्रयास जारी हैं। बार-बार कब्जे न हो इसके लिए सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत है।
4. स्मार्ट बन चुके पलटन बाजार में बाजार बंद होने के बाद ही फुटपाथ दिखते हैं?
-पलटन बाजार में नया फुटपाथ बनाया गया है। सहयोग के लिए खुद व्यापारियों को भी आगे आना होगा।
5. भविष्य में क्या फुटपाथ चलने के लिए उपलब्ध हो सकेंगे्
-बिल्कुल, हर हाल में फुटपाथ खाली कराए जाएंगे। पब्लिक को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
6. चकराता रोड समेत कई सड़कों पर फुटपाथ नहीं है। कहीं फुटपाथ बार-बार बनते-उखड़ते हैं?
-निर्माण कार्य किए जाने भी जरूरी है। अधिकांश फुटपाथ नालों के ऊपर है। बरसात में चोक होने पर स्लैब खोले जाते हैं। भविष्य में इस पर विशेष ध्यान रखा जाएगा।

यूपी का कानून किया जाएगा लागू
सड़क और फुटपाथ पर बार-बार कब्जे की शिकायतें आ रही है। इस संबंध में यूपी के एन्क्रोचमेंट एक्ट का अध्ययन किया जा रहा है। बार-बार कब्जे न हो इसके लिए सख्त कानून की जरूरत है। इस बावत शासन को अवगत कराया जाएगा। दून की सड़कें पहले की अपेक्षा काफी चौड़ी कर दी गई है। फुटपाथ भी लगातार बनाए जा रहे हैं। यह बात सही है कि कब्जे के चलते इसका पब्लिक को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर विभागों की संयुक्त टीम बनाकर सख्ती से कार्रवाई को अमल में लाया जाएगा।

पुलिस को ठहराया जिम्मेदार
फुटपाथ को लेकर पुलिस सबसे ज्यादा पब्लिक के निशाने पर है। लोगों ने परेशानी शेयर करते हुए कहा कि जहां-जहां पर पुलिस तैनात है सड़क-फुटपाथों पर वहां-वहां पर सबसे ज्यादा कब्जे हैं। लोगों का कहना है कि फुटपाथ पैदल चलने के लिए और सड़क गाडिय़ों के चलने के लिए है। इसका नियम का पुलिस पालन नहीं करा पा रही है। पुलिस कब्जा हटाने में फेल साबित हो रही है। अतिक्रमण को लेकर पुलिस को सख्ती से पेश आना चाहिए, जिससे बार-बार कब्जे न हो और फुटपाथ पब्लिक को चलने के लिए खाली हो सके।

यहां है सबसे ज्यादा कब्जे
- घंटाघर
- चकराता रोड
- डिस्पेंसरी रोड
- राजपुर रोड
- रायपुर रोड
- तहसील चौक
- इनामुल्लाह बिल्डिंग
- दून हॉस्पिटल रोड
- धामावाला
- हनुमान चौक
- गांधी रोड
- राजा रोड
- सहारनपुर रोड
- पटेलनगर
- बल्लीवाला
- जीएमएस रोड
- त्यागी रोड
- धर्मपुर
- हरिद्वार रोड
- जोगीवाला
- कारगी रोड
- माता मंदिर रोड
- मोथरोवाला रोड

पब्लिक ने दिए ये सुझाव
-शहर में फुटपाथ पूरी तरह खाली कराए जाएं।
-सड़क-फुटपाथ पर अतिक्रमण के चलते लग रहा जाम
-कब्जेधारियों पर की जाए सख्त से सख्त कार्रवाई
-कब्जे हटाने को बनाया जाए कड़ा कानून
-जिस तरह कार्रवाई हो रही है वह आजीवन चलती रहेगी।
-बार-बार कब्जे वालों पर मुकदमा दर्ज कर भेजा जाए जेल
-फुटपाथ चलने के नहीं तो क्यों बनाए गए।
-पुलिस बदले कार्यप्रणाली, कब्जेधारियों से सख्ती से आएं पेश
-जुर्माना की रकम इतनी की जाए कि कब्जेधारी दोबारा कब्जा करने की हिमाकत न कर सके।

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