देहरादून (ब्यूरो)। दून में हाल के दिनों में कई जगहों पर सड़कें चौड़ी की जा रही हैं। सड़कों के किनारे जिस खाली जगह पर पहले लोग अपनी गाडिय़ां पार्क करते थे, वहां तक सड़क चौड़ी की जा रही हैं। लेकिन रोड चौड़ी करने के बाद इन सड़कों के किनारे दुकानों में आने वाले लोग अपने वाहन कहां पार्क करेंगे, यह व्यवस्था रोड़ चौड़ीकरण के प्लान में कहीं है ही नहीं। हरिद्वार बाईपास रोड इन दिनों फोर लेन बनाई जा रही है। रोड के दोनों तरफ बड़े-बड़े शोरूम हैं। इनमें कई शोरूम की अपनी पार्किंग नहीं है, इनमें आने वाले कस्टमर सड़क पर ही वाहन पार्क कर रहे हैं। यही स्थिति लालपुर से कारगी के बीच भी है।
बाजार भी सड़कों पर
दून की मुख्य सड़कों के साथ अन्य सभी सड़कों पर बाजार भी सज रहे हैं। ये अस्थाई बाजार ट्रैफिक में बड़ी बाधा बन रहे हैं। हर सड़क पर इस तरह के बाजार देखे जा सकते हैं। कहीं फूड वैन खड़ी हैं तो कहीं स्थाई खोमचे बना दिये गये हैं। सड़कों पर ही कहीं जूतों की तो कहीं कपड़ों की दुकानें सजी देखी जा सकती हैं। कुछ लोग तो कार में सामान ले आते हैं, सड़क किनारे कहीं भी कार खड़ी कर दुकान सजा देते हैं। इन सबसे निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
गेेल का सामान उठाया
ट्रैफिक बाधित करने पर सरकारी विभागों और लोगों के निजी निर्माण सामग्री में बड़ी बाधा बन रही है। सड़कों पर कई जगह निर्माण सामग्री रख दी जाती है। इससे जाम लगने के साथ ही एक्सीडेंट का भी खतरा बना रहा है। सैटरडे को ट्रैफिक पुलिस से सड़क पर कंस्ट्रक्शन मेटेरियल रखने के कारण गेल कंपनी का मेटेरियल जब्त करने के साथ ही कंपनी का 5 हजार रुपये का चालान भी काटा। ट्रैफिक पुलिस के अनुसार आराघर के पास पिछले कई महीने से गेल कंपनी का पाइप रोड के किनारे पड़ा था। कई बार मौखिक रूप से कहने के बाद भी पाइप नहीं हटाई। ट्रैफिक पुलिस ने सैटरडे कंपनी के मैनेजर का पुलिस एक्ट में चालान कर दिया। साथ ही मुकदमा दर्ज करने के निर्देश भी दिये।
----------
शहर में रोड के किनारे कंस्ट्रक्शन मेटेरियल रखने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इससे ट्रैफिक बाधित होने के साथ ही एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है। ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान लगातार जारी रहेगा।
अक्षय कोंडे, एसपी ट्रैफिक
क्या कहते हैं लोग
देहरादून में कोई भी सड़क ऐसी नहीं जिसके किनारे दुकानें न लगी हों। सड़कें पहले ही संकरी हैं, इस तरह की दुकानें और समस्या खड़ी कर रही हैं।
-गिरीश धस्माना
पुलिस वाले कभी-कभी सड़कों के किनारे दुकानें लगाने वालों को हटाते हैं। लेकिन, सवाल यह उठता है वे जाएंगे कहां। उनके लिए व्यवस्था तो हो।
- सचिन जैन
गरीबों की रेहड़ी-ठेली पर अक्सर पुलिस का डंडा चलता है। नगर निगम भी आंखें दिखाता है। पर जो मोटे दुकानदार फुटपाथों पर कब्जा जमाए हैं वे माफीदार हैं।
- दानिश कुरैशी