देहरादून (ब्यूरो) स्थानीय लोगों ने तो ये भी आरोप लगाए हैं कि पंचायत घर का उपयोग क्षेत्रवासियों की सुविधाओं के लिए किया जाता है। शादी-ब्याह व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बदले में धनराशि भी ली जाती है। लेकिन, उसका पैसा कहां जमा होते हैं। इस बारे में किसी को जानकारी तक नहीं है। स्थानीय निवासी सोशल एक्टिविस्ट विनोद जोशी के अनुसार निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा के शासनकाल में कौलागढ़ स्थित पंचायत घर के जीर्णोद्वार के लिए 35 लाख रुपए की मंजूरी हुई। खर्च भी किए गए। लेकिन, करीब छह माह बाद ही पंचायत घर के छज्जे, खिड़कियां और दरवाजे टूटते हुए नजर आने लगे। कौलागढ़ के क्षेत्रवासियों ने इस बावत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी पीड़ा भी बयां की है।
12 लोग देखरेख में फिर भी बदहाली
स्थानीय लोगों ने कहा है कि पंचायत घर की वर्तमान में ये स्थिति है कि छत पर हमेशा पानी जमा रहता है। जिससे छत भी टपक रही है। अक्सर कमरों में पानी भरा रहता है। इस वजह से दीवारों पर सीलन आ चुकी है। ये भी आरोप हैं कि नगर निगम बोर्ड के दौरान पंचायतघर की देखरेख के लिए 12 लोगों की फौज लगाई गई थी। इसका भी असर नहीं दिखा। बाकायदा, पंचायत घर में कोई भी कार्यक्रम होने पर आंशिक तौर पर रकम वसूली जाती थी। स्थानीय निवासी व सोशल एक्टिविस्ट ने आरोप लगाए हैं कि ये धनराशि नगर निगम के या फिर किसके खाते में जमा हुई, उसकी खुद नगर निगम को कोई जानकारी नहीं है।
dehradun@inext.co.in