-बीमारी के बारे में ज्यादा सोचें नहीं और घबरायें नहीं
देहरादून। कोरोना संक्रमण के दौरान अगर आप स्ट्रेस लेते हैं, तो सावधान हो जाइए इससे आपकी बॉडी में ऑक्सीजन सेचुरेशन का लेवल घट सकता है। इसलिए अगर आप कोरोना संक्रमण का शिकार हैं, तो स्ट्रेस बिलकुल न लें। एक्सपट्रर्स के अनुसार मेंटल स्ट्रेस का असर ऑक्सीजन सेचुरेशन पर पड़ता है। जबकि कोरोना संक्रमित पेशेंट में कई लोगों का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है। जिसकी वजह से लोग ऑक्सीजन के लिए पैनिक हो रहे हैं। इसके लिए आइसोलेशन के दौरान भी खुद को ऐसे कामों में बिजी कर लें जो आपको रिलैक्स रखें। रिलैक्स रहने के लिए आप म्यूजिक, ऑनलाइन गेम्स में खुद को इनवॉल्व करें। इसके अलावा किसी मोटिवेशनल या स्पिरिचुअल गुरु के ओरेशन भी सुन सकते हैं।
यह कहना है डॉक्टर्स का
कोरोना ट्रीटमेंट में लगे डॉक्टर्स के अनुसार मेंटल स्ट्रेस का ऑक्सीजन लेवल पर असर पड़ता है। जब व्यक्ति स्ट्रेस की स्टेट में होता है, तो शरीर के नर्वस सिस्टम से ¨सथेटिक अल्फा एड्रर्नर्जिक स्टिमुलेटिंग एजेंट्स रिलीज होते हैं। जो अल्फा एड्रर्नर्जिक रिसेप्टर्स को स्टिमुलेट करते हैं। जिससे एंग्जाइटी बढ़ती है और लंग्स से जुड़ी वेन्स सिकुड़ जाती हैं और लंग्स को पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। साथ ही इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ने लगता है। इसके कारण भी शरीर को और अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगती है और पेशेंट को ब्रेदलेसनेस महसूस होने लगती है।
निगेटिव खबरों से रहें दूर
अपने आसपास घट रही निगेटिव खबरों से दूर रहें और कोशिश करें कि अपना ध्यान पॉजिटिव खबरों की तरफ रखें। केवल निगेटिव न्यूज देखने और सुनने से भी पेशेंट स्ट्रेस का शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह से उनकी रिकवरी में भी ज्यादा समय लग सकता है।
यह करें उपाय
-सिंपल योगा, ब्रीदिंग एक्सरसाइजेस।
-म्यूजिक सुनें
-अपनी पसंद के ऑनलाइन गेम्स खेलें
-जोर-जोर से हंसे
-अपनों से बात करें
-मन में कुछ न रखें
-ज्यादा सोचें नहीं
-स्वस्थ भोजन लें
-ज्यादा से ज्यादा नींद लें।
-मोटिवेशनल स्पीच सुनें
क्यों जरूरी है ऑक्सीजन
बॉडी सेल्स को एनर्जी के लिए ऑक्सीजन फ्यूल का काम करती है। जिससे बॉडी का हर ऑर्गन प्रॉपर्ली फंक्शन करता है। बॉडी में ऑक्सीजन की कमी से सेल्स तक कम ऑक्सीजन पहुंचती है जिससे थकान, चक्कर आना और सुस्ती दिखाई देने लगती है। सेल्स में ऑक्सीजन की कमी पूरी करने के लिए पेशेंट जल्दी-जल्दी सांसें लेने लगता है। ऑक्सीजन की लगातार कमी होने पर पेशेंट की हालत क्रिटिकल भी हो सकती है। कुछ केसेज में इससे जान भी जा सकती है।
मेंटल स्ट्रेस आम तौर पर बीमारी को बढ़ाता है। इन दिनों कोरोना संक्रमित व्यक्ति में स्ट्रेस के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। कोरोना संक्रमित पेशेंट में शुरुआत में ही साइटोकिन स्ट्रोम के सिम्टम देखने को मिल रहे हैं। बॉडी के बेतरतीब इम्यून रिस्पॉन्स सिस्टम के अफेक्टस दिखने लगते हैं। ऐसे में स्ट्रेस न लें ताकि ऑक्सीजन लेवल मेंटेन रहें।
डॉ। अनुराग अग्रवाल, पल्मोनोलॉजिस्ट व कोरोना नोडल ऑॅफिसर दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल
इन दिनों लोगों में कोरोना को लेकर एक डर है। इससे वह स्ट्रेस ले रहे हैं। जब कोई व्यक्ति स्ट्रेस में होता है तो वह आधी-अधूरी सांस लेता है। इससे जितनी ऑक्सीजन हमारे लंग्स को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाती। इसे हाइपरवेंटीलेशन सिंड्रोम कहते हैं। इसलिए स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए, ताकि ऑक्सीजन की पूरी मात्रा लंग्स को मिलती रहे।
डॉ। (मेजर) नंद किशोर, मनोचिकित्सक