- जमीनों पर अवैध कारोबार पर लगाम कसने के लिए रेरा ने शासन को लिखा लेटर
- प्राधिकरणों से मांगी अवैध प्लॉटिंग व आवासीय प्रोजेक्ट्स की लिस्ट
देहरादून, (ब्यूरो): इससे जहां सरकार को राजस्व का चूना लग रहा है वहीं ग्राहकों से भी मोटी-मोटी रकमें सुविधाओं के नाम पर वसूल कर उनसे छलावा किया जा रहा है। चंगुल में फंसे हजारों लोग बिल्डरों के चक्कर काट रहे हैं। कई अवैध प्लॉटिंग में नक्शे पास नहीं हो पाते, जिससे पब्लिक को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब रेरा ने भी इस पर शिकंजा कसने के संकेत दिए हैं।
प्राधिकरणों से मांगी लिस्ट
रेरा के चेयरमैन रबींद्र पंवार ने 12 मार्च 2024 को अपर मुख्य सचिव को लेटर लिख कर कहा है कि शासन एमडीडीए समेत अन्य सभी अथॉरिटी और जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण अवैध प्लॉटिंग के प्रकरणों की लिस्ट रेरा को उपलब्ध कराने के अपने स्तर से निर्देश दे। रेरा ने नाम व पता के साथ ही जिस स्थल पर इलीगल प्लॉटिंग और आवासीय भवन बन रहे हैं उसकी पूरी जानकारी भी मांगी है, जिससे जिससे ऐसे लोगों के खिलाफ रियल एस्टेट रेगुलेशन एवं डेवलपमेंट एक्ट 2016 के प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जा सके।
धारा-59 के तहत होगी कार्रवाई
दून के साथ ही हरिद्वार और यूएसनगर में बड़े पैमाने पर अवैध प्लॉटिंग हो रही है। रेरा के मुताबिक इलीगल प्लॉटिंग के मामले न्यूज पेपर्स में आए दिन प्रकाशित होते रहते हैं। इन पर एमडीडीए, एचआरडीए समेत संबंधित जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों द्वारा कर्रवाई किए जाने की भी सूचना मिलती है, लेकिन इसके बावजूद कुछ व्यक्तियों द्वारा लगातार अवैध प्लॉटिंग के मामले कम नहीं हो रहे हैं। कहा कि इस पर प्रभावी रोक के लिए रियल एस्टेट रेगुलेशन एवं डेवलपमेंट एक्ट 2016 की धारा 3 (1) का उल्लंघन है। इसके लिए धारा 59 में दंड का प्रावधान है।
500 वर्गमीटर पर पंजीकरण जरूरी
हाउसिंग कंपनियों और रियल एस्टेट एजेंटों और अवैध प्लॉटिंग पर रेरा ने कड़ा शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। रेरा के चेयरमैन रबींद्र पंवार ने बताया कि रियल एस्टेट रेगुलेशन एवं डेवलपमेंट एक्ट की धारा 3 के तहत विकसित किए जाने वाले प्रस्तावित भू-क्षेत्र 500 वर्ग मीटर से अधिक हो या इस पर बनने वाले आवासों की संख्या 8 से अधिक हो, इस प्रोजेक्ट का रेरा में पंजीकरण अनिवार्य है। धारा 3 (1) के तहत कोई प्रमोटर रेरा में पंजीकरण कराए बिना प्लॉट, अपार्टमेंट व फ्लैट्स आदि सेल, बुकिंग, मार्केटिंग के साथ ही विज्ञापन का प्रकाशन नहीं कर सकता है। यदि ऐसा करता हुआ कोई पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ एक्ट के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रेरा में दर्ज कंप्लेन
- 1150
कंप्लेन अब तक रेरा में दर्ज
- 856
कंप्लेन की गई निस्तारित
- 2017
में बिल्डरों की मनमानी को रोकने के लिए अस्तित्व में आया रेरा।
- 15.21
करोड़ रुपए रेरा के आदेश पर दून में शिकायतकर्ताओं को लौटा चुके हैं बिल्डर
- 01.20
करोड़ सर्वाधिक पैनल्टी लगी है अब तक वेरियलिटी वैंचर्स प्रा।लि। पर
- 50
करोड़ तक ग्राहकों के हड़प चुका है पुष्पांजलि कंपनी के ऑनर
मनमानी पर लगेगी लगाम
अब बिल्डर नियमों को ताक पर रख मनमाने तरीके से हाउसिंग प्रोजेक्ट््स में कोई भी बदलाव नहीं कर सकेंगे। रेरा के लेटर के बाद शासन की नींद टूटी। इस संबंध में एसीएस ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यदि किसी बिल्डर द्वारा आवासीय प्रोजेक्ट के स्ट्रक्चर में किसी भी प्रकार का बदलाव या अतिरिक्त फ्लोर का निर्माण किया, तो तो उसे नक्शा स्वीकृत कराने से पहले फ्लैट्स बुक कराने वाले दो तिहाई खरीदारों से सहमति लेनी अनिवार्य है। सहमति पत्र के बिना बिल्डिंग में कोई चेंज नहीं किया जाएगा। यदि ऐसा किया जाता है तो डेवलेपर व रियल एस्टेट एजेंट के विरुद्ध अधिनियम की धारा 40 (1) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही डेवलेपर को टोटल प्रोजेक्ट कॉस्ट का 10 परसेंट बतौर पैनल्टी भी देनी होगी।
इनके खिलाफ सर्वाधिक कंप्लेन
-रिवर वैली
-आरबीएस डेवलपर्स
-राजपुर ग्रीन
-हेक्टेयर वेरियलिटी वैंचर्स प्रा।लि।
-एमएनटी बिल्डकॉन
-जीटीएम फॉरेस्ट
-शिका हाउसिंग
-आरए कंस्ट्रक्शन
-कल्पतरु हाउसिंग प्रा।लि।
-द कैपिटल
लगातार इलीगल प्लॉटिंग के मामले सुनने में आ रहे हैं। इस पर कानूनी तरीके से सख्त से सख्त कार्रवाई के लिए प्राधिकरणों से लिस्ट मांगी कई है। साथ ही शासन को भी लेटर भेजकर इस संबंध में प्राधिकरणों को आवश्यक दिशा-निर्देश देने को कहा गया है। जमीन के इलीगल कारोबार को चारों तरफ घेरकर लगाई लगाई जाएगी।
रबींद्र पंवार, चेयरमैन, उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी
dehrdun@inext.co.in