देहरादून (ब्यूरो) व्यास पेट क्लीनिक एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रमुख डॉ। प्रियांक व्यास बताते हैं कि पेट डॉग लवर्स अब माइक्रोचिप अपने डॉग की सेफ्टी के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। बताया, माइक्रोचिप के अंदर एक छोटी-सी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है। इसके अंदर एक यूनिक आईडेंटिफि केशन नंबर स्टोर होता है। इसे पेट डॉग या फि र किसी भी जानवर की लूज स्किन या फिर शोल्डर ब्लेड के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। एक बार अगर चिप को बॉडी में इंसर्ट कर दिया जाए तो आसानी से उसे कोई बहार नहीं निकाल सकता।

ऑपरेट कर निकाल सकते हैैं
डा। व्यास के मुताबिक पेट एनिमल या फि र किसी दूसरे एनिमल में डिवाइस को इंसर्ट करने के बाद वेटरनरी डॉक्टर्स ही उसको ऑपरेट कर आसानी से वापस से निकाल सकते हैं। लेकिन, उसको दुबारा इंसर्ट नहीं किया जा सकता। हर चिप के साथ बार कोड और नंबर आता है। जिसे डॉक्टर्स चिप इंजेक्ट करने के बाद उसके मेडिकल रिपोर्ट में लगा देते हैं।

माइक्रोचिप के फ ायदे
अगर कोई दूसरी कंट्री में जा रहा है या शिफ्ट हो रहा है, तो उनको अपने पेट्स के मेडिकल रिपोर्ट के साथ आईडी प्रूफ के लिए माइक्रोचिप की जरूरत पड़ती है। वहीं, लोगों में महंगे डॉग्स का भी शौक है। ऐसे में किसी कारणवश, उनका डॉग घर से बाहर चला जाए, चोरी हो जाए या गुम हो जाए, तो डॉग ओनर चिप स्कैन कर अपने पेट डॉग की आसानी से पहचान कर सकते हैं। वहीं, कोई शख्स अपने डॉग्स को किसी शो या इवेंट में पार्टिसिपेट करने के लिए भेजता है। ऐसी स्थिति में वहां डॉग्स गुम हो जाए। वह माइक्रोचिप से पहचान कर सकते हैं।

कहां मिलती है माइक्रोचिप
एक्सपट्र्स के मुताबिक माइक्रोचिप देशभर में कई कंपनियां तैयार करती हैं। इनमें मनरुता, पेट चिप इंडिया, एनजीओ समेत कई कंपनियां शामिल हैं। लेकिन, हर कंपनी ये भी ध्यान रखती है कि हर एक माइक्रोचिप के नंबर अलग हों। इसके अलावा ये चिप एक-दूसरे से मैच न करती हों।

ऐसे होती है चिप वाले पेट्स की पहचान
चिप को डिटेक्ट करने के लिए स्कैनर का यूज किया जाता है। जिसे पेट्स की बॉडी पर अपोजिट डायरेक्शन में मूव किया जाता है। जब कोई स्कैनर चिप के ऊपर से पास होता है तो यह उसका यूनिक आईडेंटिफि केशन नंबर शो करने लगता है। जिसे देखने के बाद पेट्स ओनर अपने एनिमल या फि र डॉग की आसानी से पहचान कर सकता है।

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