देहरादून (ब्यूरो) सरकारी जमीनों पर सबसे ज्यादा कब्जे शहरी क्षेत्रों में है। नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन कब्जाई जा रही है। एक-दो के बाद धीरे-धीरे बस्तियां बस जा रही है। जिन्हें हटाना सरकार को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। लगातार हो रहे कब्जों से सरकार भी बार-बार कब्जा हटाने को मजबूर है। बार-बार कब्जे हटाकर फिर कब्जे हो रहे हैं। ऐसे में सरकार इसका प्रभावी तोड़ निकालने जा रही है।

नदी किनारे सर्वाधिक कब्जे
आमतौर पर नदी किनारे सरकारी जमीन पर सर्वाधिक कब्जे हैं। एक के बाद एक कब्जा हो रहा है। धीरे-धीरे कुछ साल में बस्तियां खड़ी हो रही है। पहले झुग्गी और बाद में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स यहां पर खड़ी हो रही है। कब्जों की लगातार शिकायतें मिल रही है। यहां तक कि जंगल के अंदर भी बस्तियां बस रही है। शहर के सटे इलाकों में खाली पड़ी जमीनों पर अस्थाई झोपडिय़ां बनाकर रह रहे लोग बाद में गुपचुप तरीके के पक्के मकान बना रहे हैं। जिन्हें हटाना विभागों के लिए गले की फांस बन रही है।

दून में सबसे अधिक कब्जे
राजधानी दून में सरकारी जमीनों पर सबसे ज्यादा कब्जे हैं। यहां रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे 100 से अधिक बस्तिंया बस गई है। जिनमें 40 हजार से अधिक लोग रहे हैं। हाल ही एनजीटी के आदेश पर कब्जे हटाने के आदेश दिए गए, लेकिन कब्जे हटाने के लिए एमडीडीए और नगर निगम को काफी पसीना बहाया, लेकिन कुछ अतिक्रमण तोड़े गए, लेकिन बाकी को नोटिस के बावजूद छेड़ा तक नहीं गया।

सरकारी जमीन बचाने को प्रभावी तैयारी
सरकारी जमीनों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए अब सरकार ऐसे तैयारी कर रही है, जिससे जमीनों पर प्रभावी रोक लग सकती है। शासन स्तर पर नियमावली बन रही है कि बिजली-पानी के कनेक्शन के लिए नक्शे अनिवार्य जाएंंगे तो इस पर लगाम लग सकती है। कब्जे की जमीन का नक्शा पास नहीं होगा। नक्शा पास नहीं होगा, तो उन्हें बिजली-पानी के कनेक्शन नहीं मिल पाएंगे। जब बिजली-पानी की सुविधाएं नहीं मिलेगी, तो कब्जेदार खुद-ब-खुद वापस हो जाएंगे। रातों-रात बस्तियां खड़ी नहीं हो पाएंगी।

सरकारी जमीनों पर लगाए जा पेड़
कब्जों से बचाने के लिए तारबाड़ के साथ ही पौधरोपण किया जा रहा है, जिससे कब्जे न हो सके। खाली जमीन पर कब्जा करके बसावट का आसान जरिया है। ऐसे में यदि खाली जमीनों पर पेड़ लगाए जाएंगे, तो जमीन कब्जे होने से बच जाएंगे।

इन इलाकों में ज्यादा कब्जे
- सहस्रधारा
- राजपुर
- मसूरी रोड
- आमवाला
- रायपुर
- बालावाला
- नकरौंदा
- मोथरोवाला
- कारगी
- प्रेमनगर
- बनियावाला
- सुद्धोवाला
- सेलाकुई
- विकासनगर
- डोईवाला

ऐसे लगाम लगाने की तैयारी
- बिजली-पानी के कनेक्शन पर प्लाट का स्वीकृत नक्शा लगाना होगा अनिवार्य
- अब तक स्थाई पार्षद व अन्य जनप्रतिनिधियों के लेटर पर दे दिया जाता था कनेक्शन
- बिजली-पानी कनेक्शन मिलने से सभी जरूरतें हो जाती हैं पूरी
- पहले झोपड़ी और बाद में बनाई जाती बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स
- कब्जे हटाने में राजनीतिक प्रेशर भी बड़ी वजह
- भविष्य में कब्जा की जमीन पर बिजली-पानी के कनेक्शन नहीं मिलेंगे
- इससे जहां सरकारी जमीन बचेगी वहीं अधिक नक्शे पास होने पर राजस्व भी बढ़ेगा

बिल्डर्स भी कब्जा रहे जमीन
बिल्डर्स भी ऐसी जगहों पर जमीन खरीद रहे हैं, जिसके आस-पास सरकारी जमीन है। कई बिल्डरों पर सरकारी जमीन कब्जाने के आरोप हैं। दून के सहस्रधारा इलाके में अधिकांश आवासीय फ्लैट्स व कालोनियां पर सरकारी जमीन कब्जाने के आरोप हैं। इसके लिए कार्रवाई के लिए विभागों की संयुक्त कमेटी बनाने की तैयारी है। कमेटी की रिकमंडेशन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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