देहरादून (ब्यूरो)। वर्कशॉप के समापन समारोह में चीफ गेस्ट के रूप में बोलते हुए सीएम ने कहा कि अब हमें वेस्ट टू वेल्थ और वेस्ट टू एनर्जी की दिशा में काम करने की जरूरत है। हमें कचरे को और खासकर प्लास्टिक कचरे को धन कमाने का साधन बनाने की दिशा में तेजी से काम करना होगा। सीएम ने उम्मीद जताई कि इस वर्कशॉप में मंथन से अमृत निकलेगा, जिससे न केवल पर्यावरण बल्कि उद्योग और व्यापार समुदाय को भी लाभ होगा। उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी के मिशन लाइफ का जिक्र किया और कहा कि पर्यावरण संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। उन्होंने इस तरह की वर्कशॉप राज्य में अन्य जगहों पर भी आयोजित करने को कहा।
बैलेंस बनाने की जरूरत
वर्कशॉप का उदघाटन फॉरेस्ट एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर सुबोध उनियाल ने किया। उन्होंने इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच संतुलन की जरूरत बताई। कहा कि पर्यावरण संरक्षण में आम लोगों की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने इसके लिए उत्तराखंड की वन पंचायतों का सहयोग लेने के लिए कहा। वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव आरके सुधांशु ने प्लास्टिक कचरे के खिलाफ लड़ाई में सभी को सहयोग करने के लिए कहा। सदस्य सचिव सुशांत पटनायक ने कहा कि कंपनियां ईपीआर को लेकर सहयोग कर रही हैं। पिछले तीन महीनों में 216 पीआईबीओ और 56 पीडब्ल्यूपी ने ईपीआर वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवाया। वर्कशॉप में सचिव वन विजय यादव, पीसीसीएफ (हॉफ) विनोद कुमार, निदेशक राज्य पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन एसपी सुबुद्धि, सदस्य सचिव उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सुशांता पटनायक के साथ ही उद्योग एवं व्यापारिक समूहों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
हुए दो टेक्निकल सेशन
वर्कशॉप के दौरान दो टेक्निकल सेशन भी आयोजित किये गये। पहले सेशन में एसडीएम ऊखीमठ जितेंद्र वर्मा ने केदारनाथ मार्ग पर क्यूआर कोड की सफलता की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि इस रूट पर पानी की एक लाख प्लास्टिक की बोतलें बेची गईं। नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के डायरेक्टर निशांत वर्मा ने नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र सेगैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा एकत्र किये जाने पर एक प्रस्तुति दी। दूसरे सेशन में डॉ। दिव्या सिन्हा, ईपीआर विशेषज्ञ सीपीसीबी ने विस्तार से बताया कि किस तरह से प्लास्टिक वेस्ट पैदा करने वाली कंपनियां ईपीआर में अपना रजिस्ट्रेशन कर सकती हैं। इसमें निर्माता, आयातक, ब्रांड मालिक और प्लास्टिक कचरा प्रोसेसिंग करने वाली कंपनियां शामिल हैं। कार्यशाला में औद्योगिक संघ के 40 सदस्य, 8 शहरी निकायों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में अन्य लोग उपस्थित थे।