- सीएम ने बंदरों के स्ट्रैलाइजेशन दोगुना करने के साथ प्रैक्टिकल समाधान ढूंढने के लिए कहा

देहरादून (ब्यूरो) सीएम ने मानव वन्यजीव संघर्ष राहत राशि का वितरण 15 दिनों में सुनिश्चित किए जाने की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने वन्यजीवों के हमले में किसी व्यक्ति की मृत्यु पर राहत राशि को 4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रूपए करने का प्रस्ताव जल्द से जल्द कैबिनेट में लाने के निर्देश भी दिए। सीएम ने कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कम किए जाने को देखते हुए आवश्यक कदम उठाए जाएं। वनों के नजदीक गांव में सोलर लाइट लगाए जाने, पब्लिक अवेयरनेस, पर्याप्त मात्रा में वन कर्मियों की नियुक्ति के लिए भी कहा। सीएम ने कहा जिन स्थानों पर मानव वन्यजीव संघर्ष अधिक होते हैं, ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए। जिससे लोगों को पहले चेतावनी दी जा सके।

वाइल्ड लाइफ हेल्पलाइन भी लॉन्च
सीएम ने कहा कि फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए बायो फेंसिंग पर कार्य किया जाए। इको टूरिज्म, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म और बायो फेंसिंग को बोर्ड की बैठक का नियमित एजेंडा बनाया जाए। सएम ने उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ हेल्पलाइन का भी लोकार्पण किया।

बाघों की संख्या में उत्तराखंड तीसरे नंबर पर
सीएम ने बाघों की संख्या में उत्तराखंड के तीसरे स्थान पर रहने पर बधाई दी। कहा कि इसमें स्थानीय लोग बधाई के विशेष पात्र हैं। राज्य के क्षेत्रफल को देखते हुए ये बड़ी उपलब्धि है। वाइल्ड लाइफ टूरिज्म की दृष्टि से इसका व्यापक प्रचार किया जाए।

सीएम ने दिए निर्देश
-लंबे समय से लंबित टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन भी शीघ्र किया जाए।
-टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाकर युवाओं को इससे जोड़ा जाए
-वनों से लगे ग्रामीण इलाकों के लोगों की वन्यजीव संरक्षण में अहम भूमिका
-ऐसे में लोगों को अधिक से अधिक अवेयर भी किया जाए।
-समय-समय पर वन्यजीव रेस्क्यू एवं रैपिड एक्शन फोर्स की ट्रेनिंग भी लोगों को दी जाए।

चौरासी कुटिया बनेगा इंटरनेशनल टूरिज्म डेस्टीनेशन
सीएम ने कहा कि चौरासी कुटिया को इंटरनेशनल टूरिज्म स्थल के रूप में डेवलेप करने की तैयारी शुरू की जाए। बाकायदा, इसके लिए समय सीमा का भी निर्धारण करना होगा। इसमें कोई लेट-लतीफी न हो, इसकी भी जिम्मेदारी तय हो। लिए गए निर्णयों पर एक्टिवेशन के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो।

अधिकारियों को हो पूरी जानकारी
सीएम ने कहा कि पीएम के निर्देश पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का संशोधन 2022 लाया गया है। इसके अनेक प्रावधान उत्तराखंड के हित में हैं। इसकी जानकारी संबंधित विभागों के अधिकारियों को जरूर होनी चाहिए।

ततैया व मधुमक्खी के काटने पर भी अनुग्रह राशि
बैठक में बताया गया कि मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ और उत्तराखंड मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना की गई है। प्रकोष्ठ के तहत उत्तराखंड वन्यजीव हेल्पलाइन की भी स्थापना की गई है। मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली का संशोधित प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें पूर्व में दी जा रही अनुग्रह राशि को बढ़ाने के साथ ही ततैया और मधुमक्खी से मनुष्य की मृत्यु पर भी अनुग्रह राशि का प्रावधान किया गया है।