देहरादून, (ब्यूरो): नेशनल स्पोर्ट्स डे पर हम उन खिलाडिय़ों की बात कर रहे हैं, जिन्होंने उत्तराखंड ही नहीं। देश-दुनिया में अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस देकर सबका ध्यान आकर्षित किया। दून समेत उत्तराखंड के ये युवा खेल में अपनी मेहनत और लगन के बदौलत हमेशा आगे रहे हैं। बात हो रही हाल ही में पेरिस में संपन्न हुए ओलंपिक गेम्स में प्रतिभाग करने वाले उत्तराखंड की तीन खिलाडिय़ों की। जी हां, अब ये प्लेयर्स उत्तराखंड में प्रस्तावित 38वें नेशनल गेम्स के लिए भी बिल्कुल तैयार हैं। उनका कहना है कि उत्तराखंड को मिली नेशनल गेम्स की मेजबानी का पूरा फायदा राज्य के खिलाडिय़ों को मिलेगा। जिसके लिए प्लेयर्स तैयारियों पर जुटे हुए हैं।

पेरिस ओलंपिक ने दिया बड़ा कॉन्फिडेंस

पेरिस ओलंपिक 20 किमी दौड़ में प्रतिभाग करने वाले सूरज पंवार कहते हैं कि उन्होंने दून के स्पोट्र्स कॉलेज में अनूप बिष्ट के अंडर ट्रेनिंग ली। इस कारण उन्हें पेरिस ओलंपिक तक का सफर पूरा करने का मौका मिला। इसके अलावा सूरज ने 3 साल तक बेंगलुरु में भी ट्रेनिंग ली। उसके बाद नेशनल गेम्स में भी प्रतिभाग किया। आखिर में जब उनका सिलेक्शन ओलंपिक के लिए हुआ, तो उन्हें लगा कि उनका सपना अब हकीकत में बदलने वाला है। भले ही वो इस बार मेडल हासिल नहीं कर पाए, लेकिन वे कहते हैं कि उनका सफर यहीं खत्म नहीं हुआ। उनका कहना है कि पहला कदम हमेशा मुश्किल होता है। हर कोशिश मुझे आगे बढऩे में मदद करती है। सूरज बताते हैं कि पेरिस ओलंपिक में 25 देशों की टीमों के साथ उनका मुकाबला रहा, जो एक खास अनुभव था। कहते हैं कि ओलंपिक से उन्होंने सबसे बड़ी सीख ये ली कि सामने कोई भी बड़ा खिलाड़ी हो, कॉन्फिडेंस किसी से कम नहीं होना चाहिए। यही आपकी सबसे बड़ी ताकत बनती है।

गांव से लेकर पेरिस तक का सफर

5 हजार दौड़ में पेरिस में प्रतिभाग करने वाले अंकिता ध्यानी का ओलंपिक तक का सफर भी बेहद रोचक रहा। उन्होंने अपनी रेस की तैयारी गांव की सड़कों से शुरू की। वर्ष 2017 में रुद्रप्रयाग के स्पोट्र्स हॉस्टल में रहकर ट्रेनिंग की और उसी वर्ष नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इस जीत ने उन्हें और भी बड़े सपने देखने की हिम्मत दी। फिर क्या, उनका सफर पेरिस तक पहुंच गया। 5 हजार दौड़ में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली अंकिता ध्यानी ने 2016-2017 में एथलेटिक्स में अपना पहला कदम रखा। एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से तेलंगाना में आयोजित 3 हजार मीटर की दौड़ में फस्र्ट पोजीशन हासिल किया। 2022 से 2024 तक अंकिता ने इंडियन कैंप बेंगलुरु में ट्रेनिंग ली। वहां उन्हें नई तकनीक सीखने को मिलीं और सीनियर एथलीट्स के साथ रहकर अनुभव हासिल किया। वो कहती हैं कि जो भी कमियां रह गई थीं, उन्हें अब दूर करके अगली बार बेहतर परफॉर्मेंस देने का इरादा है।

2023 में जापान से किया ओलंपिक के लिए क्वालिफाई

परमजीत बिष्ट ने 2015 में दून के जीसीआई स्कूल से पीटी क्लास में अपनी शुरुआत की। धीरे-धीरे स्कूल के ग्राउंड से ओलंपिक तक का सफर भी उन्होंने पूरा किया। उनका हौसला तब बढ़ा जब 2019 में उन्होंने यूथ एशिया गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल अपनी झोली में डाला। वो बताते हैं कि शुरुआत में उनका सपना एक अच्छी नौकरी पाने का था। लेकिन, इंटरनेशनल लेवल पर कदम रखने के बाद उनके इरादे ओलंपिक में जाने के हो गए। परमजीत बिष्ट के मुताबिक ट्रेनिंग के दौरान जिस जगह पर रहते हैं, उसके क्लाइमेट का बहुत असर पड़ता है। दूसरे देशों के खिलाडिय़ों को बेहतर क्लाइमेट मिलता है, जो उनके लिए प्लस पॉइंट बन जाता है। उनका लाइफस्टइल हमसे बेहतर होता है। इसलिए कई बार उनकी मैडल से दूरी बन जाती है।

45 दिनों की खास ट्रेनिंग की तैयारी

इधर, स्पोट्र्स डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर अजय अग्रवाल का कहना है की सिलेक्शन तो एसोसिएशन के हाथ में है। लेकिन, स्पोट्र्स डिपार्टमेंट ने प्रपोजल तैयार किया है। जिसके तहत हर गेम्स के लिए 40 खिलाडिय़ों का चुनाव किया जाएगा। इन सभी को 45 दिनों की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। जरूरत पडऩे पर दूसरे जगहों से कोच भी बुलाए इनवाइट किए जाएंगे। जिससे नेशनल गेम्स में उत्तराखंड के प्लेयर्स बेहतर परफॉर्मेंस कर सकें।

दूर की जाएंगीं कमियां

-15 सितंबर से शुरू हो सकती है ट्रेनिंग

-कोच व खिलाडिय़ों को मिलने वाली सुविधा एसोसिएशन तय करेगा। -ट्रेनिंग से प्लेयर्स की जो कमियां हैं, उनको दूर किया जायेगा।

-38वें नेशनल गेम्स में होस्ट स्टेट होने का भी मिलेगा फायदा।

-मेजबान स्टेट के प्लेयर्स को अबकी बार हर गेम्स में मौका मिल पाएगा।

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