- दून में लगातार बढ़ रहा नॉयज पॉल्यूशन के आंकड़े डरावने

- रोड पर रेट्रो साइलेंसर और प्रेशर हॉर्न बन रहे बड़ी परेशानी

देहरादून

दून में शोर लगातार बढ़ता जा रहा है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नॉयज पॉल्यूशन के आंकड़े बताते हैं कि न सिर्फ कॉमर्शियल बल्कि रेजिडेंशियल और साइलेंस एरियाज में भी नॉयज पॉल्यूशन निर्धारित सीमा से ज्यादा हो रहा है। कहना न होगा कि दून में नॉयज पॉल्यूशन की सबसे बड़ी वजह ट्रैफिक है। हालांकि ट्रैफिक पुलिस शोर करने वाले व्हीकल्स के खिलाफ लगातार कार्रवाई भी करती है, बावजूद इसके स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है।

तीन कैटेगिरी में मेजरमेंट

उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड दून सिटी में तीन केटेगिरी में नॉयज पॉल्यूशन के आंकड़े इकट्ठा करता है। इनमें कॉमर्शियल, रेजिडेंशियल और साइलेंस कैटेगिरी शामिल हैं। तीनों कैटेगिरी के लिए नॉयज की सीमा भी अलग-अलग है। दून में 3 कॉमर्शियल, 2 रेजिडेंशियल और 2 साइलेंस जोन के आंकड़े कलेक्ट किये जाते हैं। कॉमर्शियल जोन में सर्वे चौक, क्लॉक टावर और सीएमआई चौक शामिल हैं। रेजिडेंशियल जोन में रेसकोर्स और नेहरू कॉलोनी और साइलेंस जोन में दून हॉस्पिटल और गांधी पार्क शामिल हैं।

नॉयज स्टैंडर्ड

कॉमर्शियल जोन 60 डेसीबल

रेजिडेंशियल जोन 50 डेसीबल

साइलेंस जोन 45 डेसीबल

क्लॉक टावर में सबसे ज्यादा शोर

दून में वैसे तो हर कैटेगिरी के जोन में दर्ज किया गया शोर नॉर्मल से ज्यादा है, लेकिन सबसे बुरी स्थिति क्लॉक टावर की है। कॉमर्शियल जोन में नॉयज का स्टैंडर्ड 60 डेसीबल है, जबकि क्लॉक पर यह 74 डेसीबल तक दर्ज की गई। जनवरी से जून तक यहां नॉयज पॉल्यूशन का एवरेज करीब 68 परसेंट रहा। इसी तरह सीएमआई हॉस्पिटल में नॉयज पॉल्यूशन 67 डेसीबल तक पहुंचा, जबकि सर्वे चौक पर यह 73 डेसीबल तक दर्ज किया गया।

साइलेंस जोन की स्थिति खराब

नॉयज पॉल्यूशन के मामले में सबसे बुरी हालत साइलेंस जोन की है और वह भी दून हॉस्पिटल की। 45 डेसीबल शोर की अधिकतम सीमा वाले दून हॉस्पिटल में नॉयज पॉल्यूशन इस साल जनवरी में 72 डेसीबल तक रहा। फरवरी में 63, मार्च में 61, अप्रैल में 63, मई में 60 और जून में 65 डेसीबल शोर दर्ज किया गया। दूसरी साइलेंस जोन गांधी पार्क में शोर कुछ कम लेकिन नॉर्मल से ज्यादा रहा। यहां जनवरी में 65, फरवरी में 58, मार्च में 55, अप्रैल में 57, मई में 52 और जून में 61 डेसीबल शोर रिकॉर्ड किया गया।

रेजिडेंशियल जोन भी पीछे नहीं

दून में रेजिडेंशियल जोन में भी शोर से राहत नहीं है। इस जोन में शोर की सीमा 50 डेसीबल है, लेकिन नेहरू कॉलोनी में यह जनवरी में 62 डेसीबल दर्ज किया गया। रेसकोर्स में मैक्सिमम नॉयज 58 डेसीबल दर्ज हुआ।

प्रमुख लोकेशंस में शोर

लोकेशन जोन नॉर्मल नॉयज

क्लॉक टावर कॉमर्शियल 60 74

नेहरू कॉलोनी रेजिडेंशिल 50 62

दून हॉस्पिटल साइलेंस 45 72

लगातार होते हैं चालान

दून में नॉयज पॉल्यूशन की बड़ी वजह व्हीकल्स माने जाते हैं। खासकर वे व्हीकल्स जिनके साइलेंसर के साथ छेड़छाड़ की जाती है या फिर प्रेशर हॉर्न इस्तेमाल किया जाता है। कई लोग अपने व्हीकल को साइलेंसर बदल देते हैं, साइलेंसर बदलकर व्हीकल्स से होने वाले शोर को यूथ से स्टेटस सिंबल बना दिया है। इसके अलावा प्रेशर हॉर्न का भी खूल इस्तेमाल होता है। इस वर्ष जनवरी से अब तक टैफिक पुलिस और सीपीयू इस तरह के मामलों में कुल 2488 चालान कर चुकी है। आमतौर पर चालान एक हजार रुपये का होता है।

शोर मेजमेंट का इंस्ट्रूमेंट नहीं

सामान्य तौर पर साइलेंसर बदलने अथवा प्रेशर हॉर्न पर 1000 रुपये का चालान किया जाता है। लेकिन यदि कोई व्हीकल निर्धारित सीमा से ज्यादा शोर कर रहा है तो जुर्माने की रकम 2500 रुपये है। दून में ट्रैफिक पुलिस के पास नॉयज मेजरमेंट के लिए इंस्ट्रूमेंट न होने से शोर करने वाले व्हीकल्स का चालान भी रेट्रो साइलेंसर में ही किया जाता है, जिसमें जुर्माना एक हजार रुपये है।

इस वर्ष चालान

रेट्रो साइलेंसर 1966

प्रेशर हॉर्न 522

टोटल 2488