देहरादून, ब्यूरो: सरकार की ओर से लोगों की सुविधा के लिए उबर, रैपिडो, ओला जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लाइसेंस दिए गए हैं। लेकिन, यहां जमीनी हकीकत कुछ और है। सच तो तब सामने आया, जब रैपिडो संचालक नियमों को ताक पर रखकर यात्रियों के साथ खिलवाड़ करने पर उतारू हो गए। अब जब इसको लेकर परिवहन विभाग से बात की गई तब आरटीओ कार्रवाई का भरोसा दे रहे हैं। हालांकि, करीब 3 महीने पहले आरटीओ ने दून में ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई भी की। कई रैपिडो के चालान किए। बावजूद इसके ये सुविधा सुधरने का नाम नहीं ले रही है। खास बात ये है कि हमारे रिपोर्टर ने जिन रैपिडो को बुक किया। उनमें कोई भी महिला रैपिडो संचालक नहीं थी। न ही कोई पीली पट्टी वाले टू-व्हीलर थे। जाहिर है कि सवाल एक ही खड़ा हो रहा है कि आखिर कौन यात्रियों की सुरक्षा की गारंटी लेगा। शायद, इससे बेहतर जवाब संबंधित विभाग और आरटीओ के पास होगा।
ये है नियम
आरटीओ के अनुसार मोटरवाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 व उत्तराखंड ऑन-डिमांड (सूचना प्रौद्योगिकी आधारित) ठेका परिवहन नियमावली-2020 के प्रावधानों के अनुसार कोई भी व्यक्ति तब तक एग्रीगेटर के रूप में कार्य नहीं कर सकता है, जब तक उसने लाइसेंस प्राप्त न किया हो। इन एग्रीगेटर को आरटीओ की ओर से कई बार नोटिस जारी किया गया। उनके द्वारा अभी तक लाइसेंस नहीं लिया गया। बिना लाइसेंस ऑनलाइन माध्यम से वाहन चलाने पर एग्रीगेटर के विरुद्ध चालानी कार्रवाई के प्रावधान हैं। बाकायदा, एग्रीगेटर पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता हैं।
आरटीओ की ओर से दिए गए निर्देश
आरटीओ ने वाहन चालकों को निर्देशित किया था कि अगर रैपिडो, ओला, उबर आदि का अब तक एग्रीगेटर लाइसेंस नहीं लिया गया है। तो उनकी ओर से संचालित किए जाने वाले वाहनों का संचालन अवैध माना जाएगा। उनसे कहा गया है कि वे रैपिडो में प्राइवेट वाहनों के संचालन नहीं कर सकते हैं। उन्हें आरटीओ ने कहा है कि वे कॉमर्शियल कैटेगरी में अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर रैपिडो का संचालन करें।
रैपिडो, ओला, उबर सभी कंपनी को एग्रीगेटर लाइसेंस लेना अनिवार्य है। यही नहीं रैपिडो हो या फिर ओला उबर, इनमें रजिस्टर्ड वाहन का ही कॉमर्शियल होना जरूरी है। जिससे टैक्स समेत इन वाहनों पर नकेल कसी जा सके। ये सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है। इसीके तहत चलने वाले वाहनों के डॉक्यूमेंटेशन भी पूरे होने जरूरी है। ऐसा न होने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-शैलेश तिवारी, आरटीओ, एन्फोर्समेंट।
पहले भी हो चुकी है आरटीओ की कार्रवाई
12 सितंबर 2024 को आरटीओ को मिल रही शिकायतों के एवज में विभाग ने ओला और रैपिडो के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 32 बाइक और टैक्सी सीज कीं। वहीं, 10-10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
उस वक्त ये थीं शिकायतें
-राजधानी दून में अवैध रूप से संचालित हो रही हैं रैपिडो।
-न कॉमर्शियल में रजिस्ट्रेशन और न ही पीली नंबर की प्लेट।
-बिना लाइसेंस के चल रहे वाहनों को लेकर यात्रियों की सुरक्षा के लिए हो रहा था खिलवाड़।
-लगातार मोटर वाहन अधिनियम की शर्तों का रैपिडो संचालक कर रहे हैं वॉयलेशन।
-ऐसे निजी वाहनों का संचालन ऑनलाइन बुकिंग एप के माध्यम से किया जा रहा था।
-नियमानुसार रैपिडो में वाहनों का संचालन सफेद नंबर प्लेट में किया जाना अवैध।
इन इलाकों में संचालन
-सहारनपुर रोड
-कैंट डाकरा
-हाथी बड़कला।
-राजपुर
-रायपुर
-धर्मपुर
-चकराता रोड
-रिंग रोड
एग्रीगेटर के लिए लाइसेंस जरूरी
आरटीओ के मुताबिक मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइड-लाइन 2020 व उत्तराखंड ऑन-डिमांड ठेका गाड़ी परिवहन नियमावली-2024 के अनुसार कोई भी व्यक्ति तब तक एग्रीगेटर के रूप में कार्य नहीं कर सकता है। जब तक उसने परिवहन विभाग से लाइसेंस न लिया हो।
सहूलियत जरूर, सुरक्षा की गारंटी कहां
परिवहन विभाग भले ही लाइसेंस न होने के कारण रैपिडो के अलावा ओला, उबर व ब्ला-ब्ला जैसी पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन कंपनियों के वाहनों पर नियमों के वॉयलेशन पर कार्रवाई करती हो। लेकिन, कुछ लोग इसको बेहतर सुविधा भी बताते हैं। यहां तक ई-रिक्शा व ऑटो के किराए की तुलना भी सही मानते हैं। लेकिन, सवाल वही है कि आखिरकार कोई मिसहैपनिंग होने पर सुरक्षा की कौन गारंटी लेगा।
केस नंबर--1
पटेलनगर से बल्लूपुर के लिए रैपिडो बुकिंग। 4 मिनट में ही फोन आया। सड़क पर खड़े होने के बाद रैपिडो संचालक सामने से आते दिखा। बोला-क्या आपको जाना है। रिपोर्टर-हां, जाना है। संचालक-ओटीपी बताइए। रिपोर्टर-आप जाओगे क्या? राइडर-हां। रिपोर्टर-आपका तो प्राइवेट व्हीकल है। ऊपर से दूसरा हेलमेट कहां है। राइडर-कोई चिंता नहीं, दूसरे हेलमेट की जरूरत नहीं होगी। रिपोर्टर-नहीं मैं आपके साथ नहीं जा सकती। राइडर-आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। राइड कैंसिल करने पर भी आपको पेेंमेंट देना पड़ेगा। रिपोर्टर-नहीं ऐसा कुछ नहीं होता। मैं आपके साथ नहीं जा सकती।
केस नंबर -2
दोपहर करीब 3 बजे तिब्बती मार्केट से आईएसबीटी तक के लिए बुकिंग। 3 मिनट में फोन रिवर्ट। राइडर संचालक-आपने रेपिडो बुक की है। रिपोर्टर-जी। राइडर-मैं चौक पर हूं आप कहां पर हैं। रिपोर्टर-मैं सड़क किनारे हूं, आप पर्सनल नंबर वाली बाइक पर हो। राइडर-जी। रिपोर्टर-आपके पास दूसरा हेलमेट और महिला राइडर भी नहीं है। राइडर-हेलमेट तो नहीं है। रही बात लेडी राइडर की तो हमारे यहां नहीं होती। रिपोर्टर-रहने दीजिए हम नहीं जा सकेंगे।
केस नंबर 3-
पटेलनगर से बल्लूपुर के लिए रैपिडो बुकिंग। 3 मिनट में ही रैपिडो बाइकर पहुंचा। राइडर-आपने की थी बुकिंग। रिपोर्टर-जी। राइडर-आप आ जाइये, नहीं तो राइड कैंसिल कर दीजिए। रिपोर्टर-आप जाओगे क्या? आपका तो ये सामान्य वाहन लग रहा है। राइडर-हां, जी। अभी मेरे पास ये ही गाड़ी है। हां ये बात भी सच है कि पीली पट्टी जरूरी होती है। मैं जल्द ही इसे कॉमर्शियल में करवा दूंगा।
dehradun@inext.co.in