देहरादून,(ब्यूरो): राजधानी दून में प्रस्तावित आशारोड़ी-झाझरा नेशनल हाईवे निर्माण का काम 6 महीने बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। हाईवे से पेड़ों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 41 हेक्टेयर जमीन में पेड़ लगाए जाने हैं, लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को पेड़ लगाने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है। एनएचएआई ने जिला प्रशासन से जल्द से जल्द लैंड मुहैया कराने की मांग की है। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से जमीन की तलाश की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि जमीन मिलते ही जल्द से जल्द प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा।

शहर का ट्रैफिक प्रेशर होगा कम

आशारोड़ी से झाझरा तक 12 किमी। ग्रीन फील्ड हाईवे का काम जल्द शुरू हो जाएगा। प्रस्तावित हाईवे में 6 किमी। जंगल और 6 किमी। खेतों से होकर गुजरेगा। इस बाईपास हाईवे के बनने से देहरादून शहर में ट्रैफिक दबाव काफी कम हो जाएगा। पहाड़ों की रानी मसूरी जाने वाले यात्रियों को भी शहर के ट्रैफिक जाम से नहीं जूझना पड़ेगा। दिल्ली में आने वाले वाहन आशारोड़ी से होकर झाझरा बाईपास से होकर बाहर ही बाहर निकलेंगे, जबकि हिमाचल से आने वाले वाहन भी दून शहर में आने से पहले आने वाले में नंदा की चौकी से होकर सीधे मसूरी पहुंचेंगे।

600 पेड़ कटेंगे

हाईवे के लिए करीब 6000 हजार पेड़ कटेंगे। इन पेड़ों के स्थान पर एनएचएआई 41 हेक्टेयर जमीन में पौधरोपण करेगा, जिसके लिए सरकारी जमीन की डिमांड है। पूर्व में जंगल के अंदर ही प्लांटेशन हो जाता था, लेकिन केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के बाद अब जंगल के अंदर प्लांटेशन नहीं होगा। इससे जंगल का एरिया नहीं बढ़ रहा था। अब प्रोजेक्ट के तहत लगाए जाने वाले पेड़ जंगल के बाहर सरकारी लैंड में लगाए जाएंगे। जमीन न मिलने से यह प्रोजेक्ट भी पिछले 6 महीने से लटका हुआ है।

715 करोड़ से बनेगा हाईवे

एनएचएआई के साइट इंजीनियर सुमित सिंह ने बताया कि आशारोड़ी-झाझरा बाईपास 12 किमी। हाईवे की लागत 715.97 करोड़ रुपए है। परियोजना का काम लगभग पूरा हो गया है। कार्य भी आवार्ड कर दिया गया है। यह कार्य 21 फरवरी 2024 में गणेश बिल्डर को सौंपा गया है। छह माह बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया है।

100 करोड़ मुआवजा डिस्ट्रीब्यूट

साइट इंजीनियर सुमित सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट के लिए 120 करोड़ का मुआवजा बांटा जाना है, जिसमें अब तक 100 से अधिक का मुआवजा बांटा जा चुका है। परियोजना में 50 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गई है। जिसमें 20 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड और 30 हेक्टेयर प्राईवेट और सरकारी लैंड शामिल है।

एक्सेस कंट्रोल लैस होगा हाईवे

यह हाईवे भी दिल्ली-दून एक्सप्रेसवे की तरह एक्सेस कंट्रोल लैस है। इस हाईवे में हाईवे की चौडाई 30 मीटर लेकर 60 मीटर होगा। कहीं 30 मीटर तो कहीं पर 45 तो कहीं 60 मीटर होगी। हाईवे पूरी तरह से बंद होगा। बीच-बीच में पडऩे वाले गांव में एग्जिट होगा, जिससे वाहन पूरी स्पीड से चल सकेंग। इस हाईवे का काम शुरू होने के बाद अगले 2 साल यानि 24 महीने में तैयार होगा।

प्रोजेक्ट पर एक नजर

715

करोड़ है प्रोजेक्ट की लागत

6000

के लगभग कटेंगे पेड़

41

हेक्टेयर एरिया में किया जाएगा प्लांटेशन

120

करोड़ के मुआवजे में 100 करोड़ आवंटित

50.7

हेक्टयर अधिग्रहीत जमीन में 20 हेक्टेयर फॉरेस्ट और 30 हेक्टेयर प्राइवेट व सरकारी लैंड

30

से 60 मीटर चौड़ा होगा हाईवे, 12 किमी। है टोटल लंबाई

ये होंगे फायदे

- आशारोड़ी-झाझरा हाईवे बनने से शहर पर ट्रैफिक दबाव होगा कम

- दिल्ली के टूरिस्ट आशारोड़ी से सीधे इस बाईपास से पहुंचेंगे मसूरी

- इसके बाद नंदा की चौकी से मसूरी के लिए नया हाईवे है प्रस्तावित

- हिमाचल से आने वाले वाहन नंदा की चौकी से सीधे मसूरी पहुंचेंगे।

- यात्रा सीजन में दून को मिलेगी ट्रैफिक जाम से राहत

आशारोड़ी-झाझरा हाईवे के सभी क्लीयरेंस पूरे हो गए हैं। कंपनी को कार्य अवार्ड कर दिया गया है। पेड़ लगाने के लिए जिला प्रशासन से जगह उपलब्ध कराने के लिए संपर्क किया जा रहा है। जमीन मिलते ही हाईवे का काम शुरू कर दिया जाएगा।

पीके मौर्य, प्रोजेक्ट डायरेक्टर

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