- महिलाएं नारी निकेतन में हो रही क्वारंटीन
- काउंसलिंग के दौरान परिसर में कर रहे व्यवस्था
देहरादून।
घरेलू हिंसा के मामलों को लेकर वन स्टॉप सेंटर में कुछ दिन के लिए शेल्टर खोजने वाली महिलाओं को अब जेल सी जिंदगी बितानी पड़ रही है। इन महिलाओं को नारी निकेतन परिसर में रखा जा रहा है। जबकि नारी निकेतन में मानसिक और अन्य तरह के अपराध में लिप्त संवासिनियां रहती हैं। दरअसल वर्किंग वुमेंस हॉस्टल को कोविड केयर सेंटर बनाने के बाद से यहां महिलाओं के शेल्टर को लेकर दिक्कत हो गई। जिसके चलते लॉकडाउन से लेकर अब तक यहां आने वाली महिलाओं को काउंसलिंग कर नारी निकेतन भेज दिया जा रहा है।
वन स्टॉप सेंटर का उद्देश्य
सर्वे चौक के पास स्थित वन स्टॉप सेंटर का उद्देश्य है कि एक ही जगह महिलाओं को लीगल, मेडिकल, पुलिस सहित शेल्टर होम की पूरी सुविधा मिल जाए। करीब तीन साल पहले इन्हीं सब उद्देश्यों के साथ दून में इस सेंटर की नींव रखी गई। सेंटर के ऊपर ही रूम्स बनाए गए जहां 5 दिनों के लिए पीडि़त महिलाओं को रखने की व्यवस्था की गई थी। उनकी देखरेख के लिए कॉर्डिनेटर सहित अन्य स्टाफ को रात में यहीं रुकना होता है। लेकिन, यहां सेंटर के ऊपर 181 वुमेन हेल्प लाइन को गलत तरीके से शिफ्ट कर दिया गया। ऐसे में महिलाओं के शेल्टर होम की व्यवस्था वर्किंग वीमेन हॉस्टल में की गई।
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अब यहां कोविड पेशेंट
वर्किंग वुमेन हॉस्टल में अप्रैल से कोविड पेशेंट्स रह रहे हैं। जिन पेशेंट्स में न के बराबर सिंपटम्स हैं या हल्के सिंपटम्स हैं। ऐसे पेशेंटस को कोविड-19 केयर सेंटर्स में रखा गया है। ऐसे में घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाएं जब वन स्टॉप सेंटर पहुंच रही हैं तो इनके रहने की व्यवस्था यहां नहीं हो पा रही है। जिसके चलते इन महिलाओं से सेंटर की ओर से नारी निकेतन सहित अन्य महिला आश्रमों की शरण में भेजा जा रहा है।
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तीन महिलाओं को रखा
दरअसल नारी निकेतन और वन स्टॉप सेंटर दोनों ही केंद्र के अंतर्गत चल रहे हैं लेकिन दोनों के उद्देश्य अलग-अलग हैं। यही वजह है कि नारी निकेतन महिला कल्याण विभाग के अंतर्गत है और वन स्टॉप सेंटर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत हैं। दोनों के उद्देश्य अलग होने की वजह से ही इनको अलग-अलग चलाया जा रहा है। बावजूद इसके गलत तरीके से इनको मर्ज कर दिया गया है।
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क्वारंटीन में महिलाएं
घरेलू विवाद से परेशान होकर जो महिलाएं वन स्टॉप सेंटर पहुंचती हैं। उनकी यहां काउंसलिंग की जाती है। साथ ही महिलाओं को मेडिकल फैसिलिटी देने, पुलिस में रिपोर्ट लिखाने से लेकर केस लड़ने के लिए वकील तक की व्यवस्था की जाती है। इस बीच यदि महिला की पति या ससुराल वालों से बात बन गई और वह वापस ससुराल जाना चाहती है तो समझौता करा उसको वापस भेज दिया जाता है। लेकिन ऐसी महिलाएं इन दिनों नारी निकेतन के क्वारंटीन सेंटर में रह रही हैं। दरअसल बाहर की महिलाओं को सीधे नारी निकेतन में एंट्री न देनी पड़े, इसलिए निकेतन परिसर में बाहर की ओर से क्वांरटीन सेंटर बनाया गया है। जहां बाहर से आने वाली महिलाओं को 14 दिनों के लिए क्वारंटीन किया जा रहा है।
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नहीं रख सकते साथ
घरेलू हिंसा वाली अधिकतर महिलाएं काउंसलिंग के बाद ही घर वापस चली जाती है। जबकि नारी निकेतन में मानसिक रूप से कमजोर, रेप, अनाथ या आपराधिक प्रवृत्ति जैसी संवासिनियां रहती हैं। जो कि सजा के तौर पर नारी निकेतन जैसी जेल में लाई जाती है। वहीं वन स्टॉप सेंटर में शरण नहीं मिलने पर ऐसी महिलाओं को नारी निकेतन में रखना अपने आप में गलत है।
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नारी निकेतन में संवासिनियों की संख्या
मानसिक रूप से कमजोर- 113
सामान्य संवासिनियां- 18
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नारी निकेतन में मानसिक रूप से कमजोर महिलाएं रहती हैं। यहां वन स्टॉप सेंटर से आने वाली महिलाओं को क्वारंटीन सेंटर में रखा गया था। हालांकि दो से तीन दिनों में ही उनके परिवार वाले उन्हें ले गए। इसके लिए हमारी ओर से भी पूरे प्रयास किए गए थे। लेकिन वन स्टॉप सेंटर से इस तरह की महिलाओं को नारी निकेतन भेजना गलत है। योगेंद्र यादव, डाइरेक्टर, महिला कल्याण विभाग
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वर्किंग वीमेन हॉस्टल में कोविड केयर सेंटर बनने की वजह से ये दिक्कत हो रही है। शहर के स्वद्धार भी बंद हो चुके हैं। ऐसे में सेंटर पहुंचने वाली महिलाओं को रखने को लेकर दिक्कत हो रही है। इस संबंध में मीटिंग कर जल्द कोई रास्ता निकाला जाएगा, ताकि ऐसी महिलाओं को नारी निकेतन न भेजना पड़े। अखिलेश मिश्रा, जिला कार्यक्रम अधिकारी