- ठेकेदारों के आपसी विवाद में लटक गया इंदिरा मार्केट रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट
- छह महीने में ड्रीम बिल्डिंग की बुनियाद तक नहीं खोद पाया एमडीडीए

देहरादून (ब्यूरो): कंस्ट्रक्शन साइट के चारों तरफ से 10 फीट ऊंची बैरिकेडिंग की गई है। गेट पर गार्ड तैनात रहता है और कंस्ट्रक्शन वर्क अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है। डेवलपमेंट के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स पर इतनी सिक्योरिटी नहीं रहती, जितनी इस प्रोजेक्ट साइट पर है। मीडिया तक को अंदर जाकर पड़ताल करने की अनुमति नहीं है।


गार्ड ने रोका, स्टाफ भाग गया
इस ड्रीम प्रोजेक्ट का काम देखने ट््यूजडे को जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम मौके पर पहुंची तो सिक्योरिटी गार्ड ने गेट खोलने से मना कर दिया। गेट के सामने कुछ दूरी पर 10-12 लोग कुर्सी लगाकर आपस में बातचीत कर रहे थे। गार्ड ने पूछकर आने लिए बोला, लेकिन जैसे ही उन्होंने मीडिया का नाम सुना तो वे सभी भाग खड़े हुए। गार्ड भी लौटकर नहीं आया। वह भी गायब हो गया। करीब 20-25 मिनट तक अंदर से गेट का लॉक नहीं खोला गया। सवाल यह है कि निर्माण स्थल पर जब काम नहीं चल रहा है, तो वहां मौजूद लोग कौन थे। वहां पर क्या कोई इलीगल काम चल रहा था कि जो उन्हें मुंह छिपाकर भागना पड़ा। इसको लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं।

ठेकेदारों के झगड़े में फंसा प्रोजेक्ट
इंदिरा मार्केट रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पहले दुकानदारों के द्वारा दुकानें खाली न करने से काम रुक गया था और अब काम शुरू हुआ तो ठेकेदारों के बीच लेन-देन को लेकर आपसी विवाद के चलते काम लटक गया। बताया जा रहा है कि पिछले करीब दो माह से निर्माण कार्य बंद पड़ा है। बताया जा रहा है कि कार्यदायी संस्था और थर्ड पार्टी के कांट्रेक्टर्स के बीच विवाद हो गया। करीब छह माह हो गए हैं, लेकिन कंस्ट्रक्शन के नाम पर बिल्डिंग की बुनियाद तक नहीं खोद पाया है। जबकि मार्च 2025 तक प्रोजेक्ट को पूरा पूरा किया जाना है। ऐसे में समय पर काम पूरा होगा। यह प्रोजेक्ट 2014-15 में स्वीकृत हुआ था। करीब सात साल से प्रोजेक्ट लटका है। अब बमुश्किल काम शुरू तो ठेकेदार काम शुरू होने से पहले भिड़ गए, जिसका असर प्रभावित दुकानदारों पर पड़ेगा।

व्यापारी हुए परेशान
इंदिरा मार्केट परिसर में पुराने बस अड््डे परिसर से जिन व्यापारियों को बेदखल करके इस कॉम्लेक्स में शिफ्ट किया जाना है वह परेशान हो रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि एमडीडीए ने हमें बेदखल कर हमारा व्यवसाय छीन लिया है। इससे हमारे सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। यदि समय पर कॉम्लेक्स नहीं बनता है, तो वह भूख से मर जाएंगे। प्रोजेक्ट में 655 दुकानें प्रस्तावित हैं। जिन्हें प्रभावित व्यापारियों को अलाट किया जाना है। इसमें 1050 कार एक साथ पार्क होने की सुविधा भी मिलेगी। परियोजना पर 240 करोड़ रुपये के लगभग खर्च होंगे।

पीपीपी मोड में ड्रीम प्रोजेक्ट
इंदिरा मार्केट के रि-डेवलपमेंट की योजना मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की है, जिसका काम सितंबर 2022 में शुरू हो गया था, लेकिन 15 दिसंबर 2022 को सीएम पुष्कर सिंह धामी के द्वारा परियोजना का विधिवत शुभारंभ किया गया। एग्रमेंट के तहत कंपनी को प्रोजेक्ट 24 माह में बनाकर देना है।

एमडीडीए अपने हाथों में ले सकता है प्रोजेक्ट
सूत्रों की मानें तो यदि विवाद बढ़ता है और पीपीपी मोड में बात नहीं बनती है, तो एमडीडीए कंपनी से प्रोजेक्ट छीन कर खुद के हाथों में कमान ले सकती है। एमडीडीए के उच्चाधिकारियों का कहना है कि व्यापारियों से जो वादा किया गया है उसे हर हाल में तय डेटलाइन तक पूरा किया जाएगा। व्यापारी गलत फहमी न पालें और किसी के बहकावे में भी न आएं।

इंदिरा मार्केट रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का निर्माण हर हाल में निर्धारित समय पर पूरा किया जाएगा। कॉट्रेक्टर्स के आपस के कुछ इश्यूज हैं, जिन्हें शॉर्ट आउट किया जा रहा है। मशीनें साइट पर ही हैं, ठेकेदार कोई मशीने लेकर नहीं गया। वहां पर चार और गार्ड तैनात किए गए हैं। कार्यदायी कंपनी ने दो दिन की मोहलत मांगी है। जल्द से जल्द काम शुरू किया जाएगा।
मोहन सिंह बर्निया, सचिव, एमडीडीए
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