देहरादून (ब्यूरो): जलस्रोतों, धाराओं व नदियों के पुनर्जीवीकरण को लेकर जिलों में सीरियसनैस नजर नहीं आ रही है। चीफ सेक्रेटरी राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में वेडनसडे को सचिवालय में सारा (स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन अथॉरिटी) की बैठक में ये बात सामने आई। बताया गया कि जिलों से अभी तक इसको लेकर कोई एक्शन प्लान प्राप्त नहीं हुई है। सीएस ने इस पर सख्त नाराजगी जाहिर की। बाकायदा, उन्होंने सभी डीएम को इसके लिए एक सप्ताह की डेडलाइन दी।
डीएम 3 दिन में बनाएं वर्कप्लान
सीएम ने निर्देश दिए कि सभी डीएम अपनेे जिलों में वर्कप्लान तैयार करने के लिए जल्द फुलटाइम समर्पित जलागम नोडल अधिकारी की तैनाती करें। इसके अलावा डीएम को तीन दिन के भीतर जिला स्तरीय सारा की बैठक लेने को भी निर्देशित किया। सीएस ने बैठक में सारा के तहत चलने वाले जल संरक्षण अभियान-2024 की समीक्षा की। सीएस ने इस अभियान से सीडीओ को प्रमुखता से जोडऩे के लिए कहा। उन्होंने वित्त सचिव को निर्देश दिए कि मनरेगा, नाबार्ड, कैंपा, पीएमकेएसवाई समेत अन्य माध्यमों से जलस्रोतों, धारों व नदियों के पुनर्जीवीकरण को धनराशि उपयोग के संबंध में बैठक के लिए पत्र जारी किया जाए।
इनका हो पुनर्जीवीकरण
-जलस्रोत
-नदियां
-सहायक नदियां
-धाराएं
सूखते जलस्रोतों व नदियों का चिह्नीकरण
सीएस ने सभी डीएम को जल संरक्षण अभियान के तहत हर ब्लॉक में 10 और जिले में 20 ऐसे जलस्रोत, धाराएं व नदियों को चिह्नित करने के लिए कहा है, जो सूख रहे हैं या सूखने के कगार पर हैं। ये भी कहा कि इनके चिन्हीकरण के बाद इन्हें गंभीर श्रेणी में रखा जाए। सीएस ने हर जिले में लांग टर्म प्रोजेक्ट के तहत एक नदी के पुनर्जीवीकरण की योजना बनाने, मैदानी जिलों में सूख चुके तालाबों के चिह्नीकरण के साथ पुनर्जीवीकरण की कार्ययोजना पर भी कार्य करने के लिए निर्देश दिए।
सीएस ने दिए निर्देश
-हिल एरियाज के गांवों में जलस्रोतों के पुनरुद्धार को देखते हुए बनाए जा सकते हैं कंटूर ट्रेंच व रिचार्ज पिट।
-फॉरेस्ट एरियाज व चारागाहों में खाल-चाल का किया जा सकता है निर्माण।
-मैदानी क्षेत्र के गांवों में कच्चे तालाब, चेकडैम, रिचॉर्ज पिट से ग्राउंड वाटर को किया जा सकता है रिचॉर्ज।
145 जलस्रोतों का ट्रीटमेंट के लिए हो चिन्हित
बताया, पेयजल निगम व जल संस्थान ने भी गंभीर श्रेणी के 145 जलस्रोत ट्रीटमेंट के लिए चिह्नित किए हैं। इसके अलावा 412 सहायक नदियां व धाराएं और 6 नदियों को भी उपचार के लिए चिह्नित किया गया है।
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