ऐसे में केंद्र और राज्य की योजना का कर दिया गया एकीकरण
निर्भया का अस्तित्व 11 जिलों से हुआ खत्म
देहरादून।
महिलाओं की काउंसलिंग, पैरालीगल, सहायक आदि पोस्ट पर महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग को कर्मचारी ढूंढे नहीं मिले। ऐसे में केंद्र और राज्य की योजना को ही मर्ज कर दिया गया। विभाग की ओर से वन स्टॉप सेंटर को कर्मचारी नहीं मिलने पर स्टेट के 11 जिलों में निर्भया सेल का अस्तित्व ही खत्म कर दिया गया। निर्भया के सहायकों को ही वन स्टॉप सेंटर का काम सौंप दिया गया। ऐसे में अंदरखाने ही विरोध के स्वर फूटने लगे हैं। हालांकि ऐसे शासनादेश को अधिकारी महिलाओं के हित में बता रहे हैं।
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दून और ऊधमसिंह नगर में अलग व्यवस्था
देहरादून और उधमसिंह नगर में इनको मर्ज नहीं किया गया है। हालांकि दून में एक ही ऑफिस के अलग-अलग कमरों में ये सेल चल रही हैं। आश्चर्य की बात है कि जब इन दो जगहों के लिए स्टाफ मिल गया तो अन्य जगहों के लिए क्यों नहीं। ऐसे में यदि दिक्कत थी भी तो दून में ही रिक्रूटमेंट करके उन्हें दूसरी जगह भेजा जा सकता था। लेकिन, अन्य जिलों में निर्भया सेल को ही खत्म कर दिया। ऐसे में पीडि़ताओं के मुआवजे के लिए किस तरह से काम होगा या कितना काम होगा, ये भी सवाल खड़ा हो रहा है।
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निर्भया सेल का काम
निर्भया सेल की बात की जाए तो इसका गठन दुष्कर्म पीडि़ताओं को न्याय और मुआवजा दिलवाने के लिए किया गया था। हालांकि मुआवजा गृह विभाग की ओर से दिया जाता है लेकिन उसको लेकर पूरा फॉलोअप निर्भया सेल की ओर से ही किया जाता रहा है। सेल की ओर से अब तक नौ पीडि़ताओं को मुआवजा दिलवाया जा चुका है। अब इस तरह का फॉलोअप कैसे पॉसीबल होगा। इस बारे में चर्चाएं चल रही हैं।
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वन स्टॉप सेंटर की वर्किंग
वन स्टॉप सेंटर का काम है कि यदि यहां कोई वॉयलेंस अफेक्टेड वूमेन आती है तो उसकी काउंसलिंग करना। उसको मेडिकल ट्रीटमेंट देना, पुलिस रिपोर्ट लिखवाना, महिला के सुविधानुसार उसी जगह पर बयान दर्ज करवाना, वकील की सुविधा देना साथ ही पांच दिनों तक सेंटर में खाना-रहना मुफ्त देना। इसके बाद यदि महिला घर नहीं जाना चाहती है तो उसको शेल्टर होम प्रोवाइड करवाना। अब महिलाओं को ओएससी सहित निर्भया सेल की मदद भी एक ही जगह पर मिलेगी।
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दून और ऊधमसिंह नगर के ओएससी में रिक्रूटमेंट पहले ही हो गया था इसलिए यहां निर्भया सेल को मर्ज करने की जरूरत नहीं पड़ी। अन्य जगहों पर सेंटर में स्टाफ की कमी और निर्भया सेल के पास कम काम को देखते हुए इन्हें मर्ज करने का निर्णय लिया गया है।
- झरना कामठान, डाइरेक्टर, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग