देहरादून (ब्यूरो)। दून में धर्मपुर से हरिद्वार बाईपास तक एक रोड है, जिसे माता मंदिर रोड कहते हैं। माता मंदिर रोड से एक आंतरिक सड़क सरस्वती विहार के ए, बी, सी और डी ब्लॉक से होती हुई कारगी चौक से कुछ दूर फिर से हरिद्वार बाईपास में मिल जाती है। करीब डेढ़ किमी लंबी इस रोड के डामरीकरण का काम पिछले दो दिन से चल रहा है। संडे में डाला गया डामर मंडे को कई जगहों पर बिखरा हुआ मिला।
कुछ-कुछ दूरी पर बिखरने लगा
करीब डेढ़ किमी लंबी रोड के अभी आधे हिस्से का ही डामरीकरण हुआ है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब डामरीकरण के इस काम का रियलिटी चेक किया तो देखा कि थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रोड़ियां उखड़ रही हैं और रोड पर फैल रही हैं। बारिश होते ही इन जगहों पर डामर पूरी तरह उखड़ जाने की पूरी संभावना है।
सिर्फ मजदूरों के भरोसे काम
डामरीकरण के यह काम मशीनों से हो रहा है। मौके पर मशीन ऑपरेटर और मजदूरों के अलावा कोई जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी नजर नहीं आ रहा है। इन लोगों से जब पूछा गया कि पीछे सक कई जगह डामर उखड़ रहा है तो उनका कहना था कि डामरीकरण ऐसे ही होता है।
स्थानीय नेता लोगों से भिड़ते रहे
खास बात यह है कि इस क्षेत्र में खुद को समाजसेवी बताने वाले कई लोग भी हैं, ये सभी एक पार्टी के कार्यकर्ता हैं। डामरीकरण के दौरान ये लोग पूरी तरह से सक्रिय थे। रोड से गुजरने वालों को रोकने के लिए। सड़क पर बल्लियां लगाकर इन लोगों ने यहां से गुजरने वालों को पूरी तरह से रोक लगा दी थी। यहां तक कि ऐसे लोगों को भी नहीं जाने दिया जिनका घर कुछ दूरी पर था और वहां तक सड़क बन चुकी थी। इन स्थानीय नेताओं की कई राहगीरों के साथ गर्मागरम बहस भी हुई। सड़क निर्माण के नाम पर लोगों को जबरन रोकने वाले इस स्थानीय नेताओं ने एक बार इस तरफ ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी के डामरीकरण का काम ठीक से हो रहा है या नहीं।
खूब उड़ रही धूल
पर्यावरण के लिए धूल बेहद खतरनाक है। निर्माण कार्यों के दौरान धूल उड़ने से रोकने के लिए जरूरी उपाय करने के भी आदेश अदालतों ने दिये हैं। लेकिन, दून में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। रोड का डामरीकरण करने से पहले धूल हटाने के लिए एयर प्रेशर का इस्तेमाल किया जा रह है। इससे चारों ओर धूल का बादल छा जाता है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ने की आशंका बनी रहती है।