- अलग-अलग पड़ावों के लिए रवाना हुई मां नंदा व मां राज राजेश्वरी की डोलियां

- भावुक कर देने वाला था विदाई का दृश्य, नंदाष्टमी को विराम लेगी लोकजात

गोपेश्वर:

उत्तराखंड की लोक देवी मां नंदा व मां राज राजेश्वरी की वार्षिक लोकजात मंगलवार से शुरू हो गई। सिद्धपीठ कुरुड़ में पूजा-अर्चना के बाद दोनों डोलियां अलग-अलग पड़ावों के लिए रवाना हुईं। विदाई का यह दृश्य हर किसी को भावुक कर देने वाला था। इस दौरान महिलाओं के आंसू छलक पड़े। इससे पूर्व सैकड़ों की संख्या में कुरुड़ मंदिर पहुंचे भगौती (भगवती) नंदा के भक्तों ने मां नंदा व मां राज राजेश्वरी की पूजा-अर्चना की।

श्रद्धालुओं ने समौण की भेंट

चमोली जिले में प्रत्येक वर्ष नंदा देवी की लोकजात आयोजित होती है, जो नंदाष्टमी को कैलास (बेदनी व बालापाटा बुग्याल) पहुंचकर विराम लेती है। जबकि, 12 वर्ष के अंतराल में होमकुंड तक राजजात निकाली जाती है। बीते वर्ष की तरह इस बार भी लोकजात कोरोना के साये में हो रही है। कुरुड़ में मंगलवार सुबह सुबह से ही मां नंदा व मां राज राजेश्वरी की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु कतारबद्ध खड़े थे। मांगल गीत व मां नंदा के जागरों से वातावरण आलोकित हो रहा था। जब दोनों डोलियों को विदाई के लिए सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर परिसर लाया गया तो श्रद्धालुओं ने मां को समौण (सौगात) भेंट की।

फरखेत पहुंची डोली

दिनभर पूजा-अर्चना के बाद शाम को परगना दशोली की मां नंदा की डोली कुरुड़ से होते हुए रात्रि विश्राम के लिए फरखेत पहुंची। जबकि, परगना बधाण की मां राज राजेश्वरी की डोली रात्रि विश्राम के लिए चरबंग पहुंची। इस मौके पर थराली की विधायक मुन्नी देवी शाह, पूर्व विधायक प्रो.जीतराम, मंदिर के मुख्य पुजारी एवं देवी के पश्वा मुंशी चंद्र गौड़, नंदा देवी मंदिर कुरुड़ के अध्यक्ष भागवत सिंह बिष्ट, सचिव सुरेंद सिंह बिष्ट, परगना बधाण के अध्यक्ष मंशाराम गौड़, ब्लाक प्रमुख भारती देवी समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।