देहरादून:(ब्यूरो): मानसून की दस्तक के साथ जगह-जगह पानी के जमने से मच्छर का लार्वा पनपता है। थोड़ी सी लापरवाही के कारण ये लार्वा डेंगू का मच्छर बनकर खतरनाक साबित हो सकता है। इसके बचाव के लिए विभागों की ओर से इस बार पहले ही सावधानी बरती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग समेत तमाम विभाग इसके प्रति अवेयर हो गए है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जगह-जगह टीम को भेजकर सोर्स डिडक्शन किया जा रहा हैं। तो वहीं नगर निगम जहां-जहां वार्ड में टीम को भेजकर फॉगिंग करवाया जा रहा है। जिससे लार्वा पनपने पर इसे नष्ट किया जा सके। नगर निगम की ओर से इसके लिए करीब 500 नगर निगम के और 500 स्वास्थ्य विभाग से आशा वर्कर लगातार क्षेत्र में जाकर लार्वा की जांच कर रही है।
फॉगिंग के लिए बनाई गई टीमें
नगर निगम की ओर से शहर के अलग-अलग वार्ड में जगह-जगह पानी जमा न हो। इसके लिए टीम बनाई गई है। जो क्षेत्र में जाकर निरीक्षण करती है। कहीं भी पानी जमा पाए जाने पर वहां पर फॉगिंग व दवा का छिड़काव कराया जाता है। इसके साथ ही टीम लगातार पब्लिक को अवेयर कर घर में पानी जमा होने वाले एरिया की भी जांच कर रही हैं। टीम छोटी बड़ी मशीन से फॉगिंग कर रही हैं।
ये टीम कर रही काम
- हर वार्ड में लगी है एक टीम।
- एक वार्ड में लगी टीम में 3 नियुक्त
- मुख्य मार्ग में 8 टीम लगातार बड़ी मशीन से फॉंिगग
- 100 टीम अलग-अलग वार्ड में नियुक्त
- 519 आशा वर्कर नगर निगम क्षेत्र में कर रही निरीक्षण
- एंटी लार्वा की अलग से 105 टीम कर रही काम
- सिटी में लार्वा के लिए 215 लोग लगातार कर रही काम।
- सिटी में 208 लोग फॉगिंग के लिए लगातार कर रही काम
- एक वार्ड में 10 लीटर दवा और 3 लीटर डीजल दिया जा रहा।
फॉगिंग से नहीं मरता लार्वा
मच्छरों के पनपने के बाद सबसे बड़ा खतरा डेंगू का होता है। एक्सपट्र्स के अनुसार लार्वा फॉगिंग से नष्ट नहीं होता है। एडीज मादा मच्छर के दिए गए अंडे को लार्वा कहते हैं। यह लार्वा मैलाथियान के छिड़काव से नहीं मरता हैं। इनको मारने के लिए टेमीफोस दवा पानी में मिलाकर डाली जाती है। नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक लार्वा नष्ट करने के लिए लार्वीसाइड ढाई एमएल टेमीफोस को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्थानों में छिड़काव किया जाता है।
डीजल, पेट्रोल और मैलाथियान
नगर निगम ऑफिसर्स के मुताबिक डेंगू के मच्छरों को मारने के लिए फॉगिंग में पेट्रोल, डीजल के साथ मैलाथियान मिलाया जाता है। नगर निगम बड़ी व छोटी यानी हैंड हेल्ड मशीनों से फॉगिंग करा रहा हैं। जिसमें बड़ी मशीन में डीजल, पेट्रोल में मैलाथियान मिलाया जाता है।
बायोफ्रेंडली कैमिकल का इस्तेमाल
नगर निगम की ओर से पहली बार बायोफ्रेंडली कैमिकल का इस्तेमाल कर रहा हैं। टेमीफोस के साथ लार्वीसाइडल ऑयल जो कि बायोफ्रेंडली होता है। ये पक्षियों व किसी दूसरे पशुओं के लिए नुकसानदायक नहीं है।
बड़ी व आधुनिक मशीनें लगाई
-छोटी मशीन - 100
-बड़ी मशीन - 6 मशीन
-बड़ा टैंकर - 1
-छोटे टैंकर - 5
-पीठ पर टांगने वाली मशीनें - 100
-कुल मशीन नगर निगम के पास- 212
पिछले 2-3 वर्षों में नगर निगम की लापरवाही से कई लोगों ने डेंगू के प्रकोप से अपनी जान गंवा दी थी। इसके बाद भी इस बार अब तक हमारे वार्ड में फॉगिंग शुरू नहीं हो पा रही है। फॉगिंग का अभी कहीं पता नहीं है। स्मार्ट सिटी के गड्ढों से जलभराव से डेंगू का खतरा देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में दस्तक दे रहा है और नगर निगम और सरकार सोई है।
अभिनव थापर, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस
हर साल इस समय तक क्षेत्र के अलग-अलग एरिया में फॉगिंग हो जाती थी। लेकिन, इस साल अब तक फॉगिंग के नाम पर होने वाला धुआं भी नहीं दिखाई दे रहा है और ही न ही लार्वीसाइड का छिड़काव किया जा रहा है। अगर इस बार डेंगू का सबसे ज्यादा डर कैंट एरिया में हो सकता है।
प्रभा शाह, स्थानीय निवासी गढ़ी कैंट
हमारे एरिया में जगह-जगह गड््ढे खुदे हुए है। जहां हर बार पानी जमा हो जाता है। जिसके कारण यहां लार्वा का पनपना सामान्य बात हैं। हर बार सुनने में आ रहा है कि नगर निगम की टीम फॉगिंग ओर लार्वीसाइड का छिड़काव कर रही हैं। लेकिन हमारे एरिया में एक बार भी फॉगिंग नहीं हुई।
मोहित ग्रोवर, निवासी प्रेमनगर
कुछ सालों से डेंगू तेजी से फैल रहा है। इस बार लगता है कि प्रशासन और नगर निगम रोकथाम के लिए तैयार है। अब आम जनता भी समझदार हो गई है। काफी हद तक डेंगू पर हम लोग काबू कर लेंगे और पूरी जनता को साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
मुकेश नवानी, निवासी मोहकमपुर
लगातार हमारी ओर से सिटी के अलग-अलग एरिया में फॉगिंग व लार्वीसाइड का छिड़काव किया जा रहा है। इसके लिए अलग-अलग टीम को जिम्मेदारी भी दी गई है। छोटी व बड़ी मशीन के साथ सिटी में अलग-अलग एरियाज में टीमों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
डॉ। अविनाश खन्ना, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी
dehradun@inext.co.in