देहरादून,(ब्यूरो): नगर निगम क्षेत्र दून में स्ट्रीट लाइटें हमेशा चर्चा का विषय बनी रही हैं। लाख कोशिशों के बावजूद स्ट्रीट लाइटों का विवाद कभी नहीं सुलझ पाया। मसलन, 100 वार्डों में अधिकतर वार्डों में स्ट्रीट लाइटों की समस्याएं नगर निगम के सामने आती रही हैं। यहां तक कि एक बार तो स्ट्रीट लाइट का काम देख रही एक फर्म के कार्यालय पर पार्षदों ने ताला तक जड़ दिया। लेकिन, उसके बाद भी सुधार देखने को नहीं मिला। दर्जनों मामले सीएम हेल्पलाइन तक पहुंचे। आखिर राजधानी दून में स्ट्रीट लाइटें इतने मुसीबत का क्यों कारण बनी हुई हैं, इसी को देखते दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सोशल मीडिया पर एक सर्वे किया। जिसमें शत-प्रतिशत लोगों ने स्ट्रीट लाइटें खराब होने के लिए नगर निगम प्रशासन को जिम्मेदार बनाया है।

आम लोगों को होती है परेशानी

लगातार सामने आ रही समस्या और इसके समाधान के लिए 44 परसेंट लोगों का कहना है कि सरकार को इसके लिए सेपरेट सेल का गठन करना चाहिए। जिससे ऐसी दिक्कतें न आएं। हालांकि, 44 परसेंट लोग अभी भी नगर निगम के पास स्ट्रीट लाइटों की जिम्मेदारी की बात कह रहे हैं। 33 परसेंट ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने कहा कि नगर निगम बोर्ड का अब तक गठन न होने के कारण ये दिक्कतें सामने आ रही हैं और 67 परसेंट लोगों का कहना है कि इसके लिए नगर निगम नॉन सीरीयस रहा है। ऐसे ही शत-प्रतिशत लोगों न कहा कि स्ट्रीट लाइट की दिक्कतों से सबसे ज्यादा आम लोगों को परेशानी होती है।

पब्लिक रिएक्शंस

स्ट्रीट लाइट राजधानी दून में बड़ी समस्या बन गई है। आए दिन शिकायतें सामने आ रही हैं। लेकिन, दिक्कतें सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। क्या कहेंगे?

-नगर निगम जिम्मेदार---100 परसेंट

-नकली स्ट्रीट लाइटें--- 0 परसेंट

-ये आम समस्या---0 परसेंट

-कुछ नहीं कहना--0 परसेंट

समस्या लंबे समय से चली आ रही है। इसकी जिम्मेदारी पहले नगर निगम, फिर निजी कंपनी और अब फिर से नगर निगम को सौंपी गई है। क्या कहेंगे?

-निगम के पास हो जिम्मा---44 परसेंट

-निजी कंपनी को मिले काम--- 11 परसेंट

-सेपरेट सेल बने--- 44 परसेंट

-कुछ नहीं कहना---0 परसेंट

शहर में स्ट्रीट लाइटों के कम या फिर ठीक न होने की वजह क्या आप नगर निगम के चुनाव न होना व बोर्ड भंग होना कारण मानते हैं। या फिर ये समस्या आम बात है।

चुनाव न होना कारण---33 परसेंट

निगम नॉन सीरियस--- 67 परसेंट

बजट का अभाव--- 0 परसेंट

कुछ नहीं कहना---0 परसेंट

शहर में स्ट्रीट लाइट की समस्या आम है या फिर वीआईपी इलाकों में ऐसी दिक्कत नहीं है। क्या आपको लगता है कि आम लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

-आम लोग ज्यादा परेशान---100 परसेंट

-वीआईपी क्षेत्रों में भी दिक्कत---0 परसेंट

-सब इलाकों में प्रॉब्लम---0 परसेंट

-कुछ नहीं कहना---0 परसेंट

27 सितंबर को लिए गया निर्णय

लगातार आ रही शिकायतों के बाद डीएम ने स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत का जिम्मा बीती 27 सितंबर को नगर निगम को सौंपा है। जबकि, गत 7 वर्षों से मरम्मत का काम ईईएसएल के पास था। डीएम के फैसले को करीब 9 दिन से ज्यादा का वक्त बीत गया है। बदले में समस्याएं बरकरार हैं। खास बात ये है कि जिस वक्त ये फैसला लिया गया, उस वक्त 20 परसेंट स्ट्रीट लाइटें खराब पाईं गईं।

1.2 लाख स्ट्रीट लाइटें

-2017 से निगम क्षेत्र में पथ स्ट्रीट लाइटें लगाने व उनकी मरम्मत को ईईएसल को सौंपा गया जिम्मा।

-अब तक लगाई जा चुकी हैं पूरे नगर निगम क्षेत्र में 1 लाख 2 हजार स्ट्रीट लाइटें।

-अनुबंध शर्तों के अनुसार खराब स्ट्रीट लाइटों को 48 घंटे के अंदर ठीक कराया जाना जरूरी।

-ऐसा नहीं होने पर 50 रुपये प्रति लाइट पेनल्टी का है प्रावधान।

-बदले में कंपन को नगर निगम भुगतान कर रहा था हर माह 1 करोड़ रुपए।

-कई बार नगर निगम की ओर से संबंधित कंपनी को लगातार नोटिस भेजे जाने के बाद भी नहीं आया सुधार।

-नई एजेंसी के चयन नहीं होने तक नगर निगम अब 35 टीमों का गठन कर मेंटेनेंस खुद कराएगा।

इलाके संवेदनशील

-कौलागढ़

-मसंदावाला

-प्रेमनगर

-सहस्रधारा रोड

-रिंग रोड

-रायपुर

-केहरी गांव

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