इलाके में भारी भरकम ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए इस्लाम पुलिस की कर रहे हैं मदद
देहरादून, 21 मार्च (ब्यूरो)।
एक हाथ में लाठी, दूसरे हाथ में लाउडस्पीकर और उसके बाद ट्रैफिक संचालन। जी हां, विकासनगर के जस्सोवाला निवासी इस्लाम की कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। वे दून के सबसे व्यस्ततम इलाके आईएसबीटी में न केवल निशुल्क ट्रैफिक कंट्रोल करने पर जुटे हुए हैं। बल्कि, इलाके के पुलिस की भी मदद कर रहे हैं। यहां तक लोग उनसे इंसपायर होकर उनकी तारीफ तक कर रहे हैं। इस्लाम का कहना है कि उनके अंदर देशसेवा करने का जज्बा है। इसीलिए वे ऐसे काम कर देश के लिए कुछ करना चाह रहे हैं।
45 किमी दूर से पहुंचते हैं आईएसबीटी
करीब जाने पर पता चला कि उनकी मां गाड़ी में है और वह बीमार है। जिसके बाद इस्लाम ने जैसे-तैसे उस गाड़ी ट्रैफिक से निकाल कर रवाना किया। जाते वक्त वह लड़की उनका आभार जता गई। फिर क्या था, वो दिन था, उसके बाद इस्लाम के दिलोदिमाग में ट्रैफिक को लेकर कुछ नया करने का जज्बा पैदा हो गया और उन्होंने सारे काम छोड़कर भारी ट्रैफिक में लोगों की मदद करने का प्रण ले लिया।
निशुल्क काम की शुरुआत
इसके लिए इस्लाम ने सबसे व्यस्ततम इलाके यानि आईएसबीटी को चिन्हित किया। यही कारण है कि इस्लाम पिछले करीब एक माह से दून के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले इलाके आईएसबीटी में निशुल्क रूप से ट्रैफिक कंट्रोल करने पर जुटे हुए हैं। जबकि, पास में आईएसबीटी पुलिस चौकी भी है। लेकिन, इसके बावजूद इस्लाम ने ट्रैफिक जाम में लोगों की मदद करने का प्रण लिया है। इस्लाम के दो छोटे बेटे और पत्नी घर में रहती हैं। लेकिन, उनका कोई रोजगार नहीं है। बावजूद इस्लाम ने इस नेक काम को निशुल्क करने के लिए कदम बढ़ाए हैं।
700 रुपए में खरीदा लाउडस्पीकर
इस्लाम ने बताया कि उन्होंने ट्रैफिक कंट्रोल के लिए खुद करीब 700 रुपए का लाउडस्पीकर खरीदा है। जिसमें दो चॉर्जेबल सेल पड़ते हैं। जिनकी कीमत ढ़ाई सौ रुपए है। उनका चॉर्ज कर वह लाउडस्पीकर से ट्रैफिक कंट्रोल पर जुटे रहते हैं। उन्होंने अपने ड्यूटी टाइम सुबह 9 से शाम साढ़े बजे तक निर्धारित किया हुआ है। इस्लाम के मुताबिक कई बार स्थानीय लोग उनकी मदद के लिए दिन में खाने का जुगाड़ कर देते हैं तो कुछ वाहन चालक दस-बीस रुपए खुश होकर उनकी जेब में डालकर चले जाते हैं।
लाउडस्पीकर में दमदार आवाज
ट्रैफिक कंट्रोल के लिए इस्लाम ने जो आवाज रिकॉर्ड की है। वह सबसे ज्यादा मददगार साबित होती है। एक बार सुनने पर वाहन चालक दूर से ही अलर्ट हो जाते हैं। इस्लाम का पहनाव भी दूर से देखने पर पुलिस से मैच करता है। जिससे दूर-दूर से आने वाले वाहन चालक हाथ देने पर वहीं ठहर जाते हैं और ट्रैफिक स्वत: ही सुचारू होने लगता है।
वाहन चालक गदगद
वाहन चालक शरद मित्तल व शरद कुमार भी इस्लाम के नेक काम के कायल हो गए हैं। उन्होंने बाकायदा, खुद ही इस्लाम के इस काम की वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर की है। दोनों कहते हैं कि दून में कम से कम उन्होंने पहली बार किसी शख्स को ट्रैफिक कंट्रोल के लिए निशुल्क हाथ बढ़ाते हुए देखा है।
पुलिस से मदद की उम्मीद
इस्लाम की इच्छा है कि वे भविष्य में भी इस काम में पुलिस का हाथ बढ़ाते रहेंगे। पुलिस चाहे तो ऐसे ही उसकी मदद ले सकती है। लेकिन, इसमें इस्लाम के सामने आजीविका का जरिया सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है। जबकि, उनके परिवारजन उन्हें इसके लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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