देहरादून (ब्यूरो)। उत्तराखंड में बिजली बिलों का बकाया यूपीसीएल के लिए पहाड़ बनता जा रहा है। यूूपीसीएल के आंकड़ों पर गौर करें, ये आंकड़े बेहद चौंकाने वाले है। राज्य में करीब 23 लाख उपभोक्ता हैं। इनमें से 3 लाख के करीब कामर्शियल और बाकी 16 लाख के करीब घरेलू श्रेणी के उपभोक्ता हैं। ऊर्जा निगम के तीन हजार करोड़ से अधिक की बकाये की सबसे ज्यादा रकम हरिद्वार जोन में वसूली जानी है, अकेले हरिद्वार जोन में 1038 करोड़ रूपये का बकाया चल रहा है। इस क्षेत्र में काफी संख्या में फैक्ट्रियां भी है। इसके बाद गढ़वाल जोन में करीब 934 करोड़, कुमाऊं जोन में 727 करोड़ और ऊधमसिंह नगर जोन के अंतर्गत 310 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं पर बकाया चल रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में बकाये की रकम 2258 करोड़ रूपये थी, जो अब बढ़कर तीन हजार करोड़ के करीब चले गई है।

वसूली का बोझ उपभोक्ताओं पर भी भारी
प्रदेश के उपभोक्ताओं पर ऊर्जा की देनदारी की बड़ी रकम है। इस रकम की अदायगी न होने का खामियाजा सभी 23 लाख 68 हजार के करीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। बकाये की रकम बढऩे से ऊर्जा निगम को घाटा उठाना पड़ रहा है, घाटे को पाटने के लिए हर साल ऊर्जा निगम यूईआरसी से बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी की गुहार लगाता है। हर साल बिजली के दामों मेें इजाफा हो रहा है, इसकी मार आम और घरेलू उपभोक्ताओं पर ज्यादा पड़ रही है।

उपभोक्ताओं पर ऊर्जा निगम की बड़ी रकम पेंडिंग है। बकाये की वसूली के लिए हर साल सितंबर से मार्च तक कैंपेन चलाया जाता है। पिछले माह भी 550 करोड़ की वसूली की गई थी, इस माह 650 करोड़ की वसूली का टारगेट है। सभी जोन प्रभारियों को रेवन्यू क्लेक्शन में गति लाने के निर्देश दिए गए हैं। डिवीजन स्तर पर पेंडेंसी कम करने के लिए गाइडलान जारी की गई है।
एमएल प्रसाद, डायरेक्टर ऑपरेशन, ऊर्जा निगम, उत्तराखंड