देहरादून ब्यूरो। वर्ष 2017 में बीजेपी की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने क्लॉक टावर से आईएसबीटी तक सहारनपुर रोड के 7 किमी हिस्से को मॉडल रोड के रूप में डेवलप करने की योजना बनाई थी। इस योजना पर काम भी शुरू किया गया। दर्जनों अतिक्रमण ढहाने के बाद फुटपाथ बनाने और रेंलिंग लगाने पर लाखों रुपये खर्च किये गये। लेकिन वे लाखों रुपये अब धूल में मिल रहे हैं। फुटपाथ की टाइल्स कई जगह टूट गई हैं या उखड़ गई हैं। लोहे की रेलिंग अब कहीं नजर नहीं आती। जहां दिख रही हैं वहां जमीन पर गिरी हुई हैं।
कई जगह जानलेवा
इसी रोड पर रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ नाले के ऊपर सीमेंट से स्लैब रखकर बनाया गया है। यहां कम से कम दो ऐसी जगह हैं, जहां स्लैब हट गई हैं और नीचे गहरा नाला है। यहां एक्सीडेंट होने का खतरा बना हुआ है। लेकिन, इस तरह किसी का कोई ध्यान नहीं है। कुल मिलाकर फुटपाथों में कहीं कब्जे हैं तो कहीं टाइल्स टूट या उखड़ गई हैं। नाले के ऊपर बने फुटपाथ एक्सीडेंट को न्योता दे रहे हैं तो जहां लाखों रुपये खर्च करके फुटपाथ पर रेलिंग की गई थी, मेंटेनेंस के अभाव में वह रेलिंग भी टूट गई है।
क्या कहते हैं दूनाइट्स
वैसे तो देहरादून में लगभग सभी सड़कों के दोनों तरफ फुटपाथ हैं, लेकिन कहीं भी ये फुटपाथ चलने लायक नहीं हैं। ऐसे में लोग फुटपाथ के बजाय सड़कों पर ही चलने को मजबूर हैं। इससे ट्रैफिक में भी बाधा आती है।
जेबा
फुटपाथ असुरक्षित हैं। कहीं कब्जे हैं तो कहीं टूटे हुए हैं। ज्यादातर फुटपाथ के नीचे नाले हैं। ऐसे में इनके ऊपर जो स्लैब रखे गये हैं, उनके रखरखाव की ज्यादा जरूरत होती है। क्योंकि स्लैब के क्षतिग्रस्त होने से एक्सीडेंट का खतरा रहता है। इस तरफ ध्यान नहीं है।
धीरज राणा
एक बात समझ नहीं आती, जब फुटपाथ लोगों के चलने के काम ही नहीं आते तो फिर इनकी जरूरत क्या है। मेरा मानना है कि फुटपाथ के नाम पर बेकार में जमीन घेरी गई है। यदि इनका मेंटेनेंस नहीं करतना है तो क्यों ने फुटपाथ हटाकर सड़क चौड़ी की जाए।
पूजा
हर दूसरे तीसरे दिन हम अखबारों में फुटपाथों की खबर पढ़ते हैं। इन खबरों से पता चलता है कि देहरादून के फुटपाथ जल्दी है शानदार और सुरक्षित बनने वाले हैं। ऐसी खबरें पढ़ते-पढ़ते कई साल गुजर गये हैं। आज तक नहीं बनी। हमें तो आगे भी कोई उम्मीद नहीं है।
आयुष कुमार