देहरादून (ब्यूरो) एमडीडीए की ओर से इलीगल प्लॉटिंग का लगातार भंडाफोड़ किया जा रहा है। प्राधिकरण की कार्रवाई से भू माफिया का काला चिट्ठा खुल रहा है। दून में किस तरह भू माफिया सक्रिय हैं। एमडीडीए की ओर से की जा रही कार्रवाई इसका उदाहरण है। पिछले 6 माह की कार्रवाई पर नजर डालें तो इस अवधि में करीब 2800 बीघा अवैध प्लॉटिंग ध्वस्त की गई। एक के बाद प्लॉटिंग ध्वस्त कर लैंड माफियाओं पर नकेल कसी जा रही है।

पब्लिक को अवेयर कर रहा एमडीडीए
एमडीडीए अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त करने के साथ ही पब्लिक को अवेयर भी कर रहा है। एमडीडीए रोजाना वेबसाइट पर खसरा नंबर के साथ अवैध प्लॉटिंग एरिया का नाम अपलोड कर रहा है। जिससे लोग अवैध प्लॉटिंग के जाल में फंसने से बच सके।


कई इलाके बने एपीसेंटर
सहस्रधारा, शिमला बाईपास, धौलास, नेहरूग्राम समेत सहसपुर, विकासनगर व डोईवाला समेत ऐसे दर्जनों इलाको को चिन्हित किया गया है, जहां इलीगल प्लॉटिंग सबसे ज्यादा हो रही है। एमडीडीए की ओर से लगातार की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई से अवैध प्लॉटिंग के मामले सामने आ रहे हैं। लैंड माफिया एमडीडीए के निशाने पर हंै।

कृषि भूमि पर नहीं होता नक्शा पास
एमडीडीए से नक्शा पास कराने के लिए आर-3 लैंड होनी जरूरी है। एग्रीकल्चर लैंड में प्लॉटिंग की अनुमति नहीं मिलती, इसलिए माफिया गुपचुप तरीके से प्लॉटिंग करते हैं। बाद में प्लाट खरीदने वालों को परेशानियां उठानी पड़ती है। बिल्डर आस-पास चल रहे जमीन के भाव से कम दरों पर प्लॉट, दुकान, मकान, फ्लैट बेचकर चले जाते हैं। कई बार अवैध प्लॉटिंग पकड़े जाने पर लोग डीलर के चक्कर लगाते रहते हैं।

लालच देकर फंसाते हैं ग्राहक
आउटर वाले इलाकों में खेती की काफी जमीनें हैं। एग्रीकल्चर जमीन को किसानों से कम दामों में खरीद कर आवासीय में बेचा जा रहा है। पब्लिक भी सस्ते के लालच में आकर माफिया के चंगुल में फंस रही है। प्राधिकरण जमीन लेने से पहले जमीन की पूरी पड़ताल करने की अपील की है।

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