देहरादून, ब्यूरो:
राज्य महिला आयोग में दर्ज शिकायतों के मुताबिक बीती 1 अप्रैल से लेकर 26 सितम्बर तक राज्यभर से महिलाओं ने अपनी समस्याओं को लेकर 981 कंप्लेेंस दर्ज की हैं। दिलचस्प बात ये है कि इन शिकायतों में राजधानी दून नंबर वन पर है। हालांकि, आयोग ने इन दर्ज शिकायतों में से 319 पर सुनवाई पूरी कर दी है। लेकिन, अभी भी करीब 662 ऐसे महिलाओं की शिकायतें हैं, जिन्हें सुनवाई का इंतजार है।
राज्यभर में आयोग में दर्ज हुई शिकायतें
दहेज उत्पीडऩ - 103
दहेज हत्या- 1
हत्या - 7
बलात्कार- 10
शारिरीक उत्पीडऩ - 4
मानसिक उत्पीडऩ- 205
घरेलू हिंसा- 177
सम्पत्ति विवाद- 39
अपरहण- 4
देह व्यापार - 2
नौकरी संबधी- 11
दूसरी शादी - 8
यौन उत्पीडऩ - 9
असुरक्षा- 267
गुमशुदगी - 4
झूठा मुकदमा- 2
अवैध संबध- 20
आर्थिक उत्पीडऩ - 10
धोखाधड़ी - 47
अश्लील हरकतें- 21
अन्य - 30
कुल दर्ज मामले- 981
घरेलू हिंसा बन रहा सिर दर्द
महिला आयोग के अनुसार बीते 6 माह में घरेलू हिंसा के सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीडऩ व मानसिक उत्पीडऩ के मामले दर्ज किए गए। मानसिक उत्पीडऩ के 205 मामले तो घरेलू हिंसा के 177 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा महिला हेल्पलाइन में भी घरेलू हिंसा से सबंधित 1577 शिकायत दर्ज हुई है। यह शिकायत केवल देहरादून जिले की रही।
दून की आयोग में दर्ज शिकायतें
दहेज उत्पीडऩ - 32
हत्या - 1
शारीरिक उत्पीडऩ - 2
मानसिक उत्पीडऩ- 89
डोमेस्टिक वॉयलेंस - 95
सम्पत्ति विवाद- 15
किडनैप- 1
देह व्यापार - 1
नौकरी संबधी- 5
सेकेंड मैरिज - 5
सेक्सुअल हैरेसमेंट- 3
असुरक्षा- 61
गुमशुदगी - 3
झूठा मुकदमा- 3
अवैध संबंध- 10
आर्थिक उत्पीडऩ - 6
धोखाधड़ी - 14
अश्लील हरकतें- 4
अन्य - 8
कुल दर्ज मामले- 355
हरिद्वार भी पीछे नहीं
महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बीते 6 माह में महिला उत्पीडऩ से संबंधित शिकायतों में कोई कमी नहीं आई है। रिपोर्ट बताती है कि हरिद्वार में 193 शिकायतें दर्ज हुईं। जिनमें अब तक 44 मामलों का निपटारा हो सका। जबकि अन्य 149 मामले अब भी पेंडिंग है। इनमें भी सबसे प्रदेश के सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले हरिद्वार में दर्ज किए गए। कुल 10 मामले दर्ज किए गए। जिनमें सबसे ज्यादा मामले हरिद्वार के रहे। जबकि, अन्य दो मामले नैनीताल व उधमसिंहनगर से हैं।
वर्जन
आयोग में पहुंची सभी शिकायतों को दर्ज कर जल्द से जल्द सुनवाई की जाती है। लेकिन, कई बार हियरिंग के लिए बुलाने के बाद भी आरोपी नहीं पहुंचते है। इसलिए कई मामले पेंडिंग रह जाते हैं। जिसका भी जल्द निपटारा किया जा रहा है।
कुसुम कंडवाल, अध्यक्ष उत्तराखंड महिला आयोग
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