कई परिवारों को बनाया आत्मनिर्भर
- समाजसेवा में दिन रात एक किए हैैं

देहरादून, 14 जून (ब्यूरो)। दून के हरबर्टपुर निवासी श्यामा चौहान ने पर्दा प्रथा का विरोध करते हुए 10 महिलाओं का समूह बनाया। इस बीच उनके पति का बिजनेस प्रभावित हुआ तो इनका परिवार एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गया। आलम ये था कि कई बार घर में एक समय का खाना भी नहीं बन पाता था। लेकिन, इसके बाद भी इनके कदम नहीं डगमगाए। इन्होंने अपनी 10 महिला सहयोगी के साथ मिल अचार बनाने से लेकर पापड़ बनाना, लिफाफे की पैकिंग करना, गुलाब जल बनाना, राशन की पैकिंग करने का भी काम करना शुरू किया। इन महिलाओं के लिए गुलाबी रंग के कपड़े का ट्रेंड चलाया। 10 महिलाओं से शुरू हुए इनके समूह में आज 10 हजार से ज्यादा महिलाएं जुड़ गई हैं। इनके काम और हौसले को देखते हुए पंतनगर यूनिवर्सिटी ने इन्हें सम्मानित किया। इन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। यही नहीं इनकी कहानी से लोगों को प्रेरणा मिले इसके लिए इनके जीवन पर एक नाटक भी बना है। श्यामा देवी बताती हैं कई महिलायें जिनके पास पैसे नहीं होते, उन्हें वे ट्रेनिंग देकर रोजगार के अवसर मुहैया कराती है।

किसानों को दे रहे रोजगार के साधन
1997 में बीएससी करने के बाद जगदंबा प्रसाद मैठाणी ने बायोटूरिज्म पार्क के नाम से कैंपस की शुरुआत पीपलकोटी से की। इसके तहत जीव, पेड़ पौधे, वानिकी, कृषि, पर्यावरण, इकोलॉजी, इकोनॉमी से लेकर सभी तत्वों का सामंजस्य किया। इसके बाद वन एंव पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से पीपलकोटी में कुछ हट्स की स्थापना की। यहां इकोटूरिज्म को प्रमोट करने की एक्सरसाइज शुरू करते हुए जड़ी-बूटी कृषि के तहत छोटी-छोटी नर्सरी बनवाई। पहाड़ के देव रिगांल से क्राफ्ट बनाने की शुरुआत की। इसके बाद 275 से ज्यादा हस्तशिल्प के जानकारों को फुल टाइम ट्रेनर के तौर पर रखा। धीरे-धीरे इनके साथ कई किसान परिवार भी जुड़ते चल गए, जो अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इनके साथ शुरू में 11 लोग थे। अब इनके साथ 764 किसान, 275 रिंगाल हस्तशिल्प, 23 इकोटूरिज्म, 9 नर्सरी व 23 लोगों को होम स्टे बनाकर सौंपा गया है। वे भी आज इनके साथ जुड़े हुए हैैं।

जरूरतमंदों की करते हैैं फ्री सर्जरी
दून निवासी डॉ। तेजस्वी अग्रवाल की शिक्षा सेट जोज्फ्स एकेडमी में हुई इसके बाद उन्होंने हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट व लीलावती हॉस्पिटल मुम्बई से मेडिकल की एजुकेशन ली। बाद में स्पाइन फाउंडेशन के साथ मिलकर ये लगातार पेशेंट का उपचार कर रहे हैैं। यहां पहुंचने वाले अधिकतर पेशेंट ऐसे होते हैं जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं। ऐसे 100 से ज्यादा लोगों की ये फ्री सर्जरी कर चुके हैं। यही नहीं अपने सहारनपुर चौक स्थित क्लीनिक पर हर मंगलवार को फ्री में ट्रीटमेंट भी देते हैैं। अपने क्लीनिक में पहुंचने वाले कमजोर लोगों को भी वे धर्मावाला स्थित स्वामी विवेकानंद चेरिटेबल हॉस्पिटल के माध्यम से उपचार दिलवाते हैं। इनके साथ जुड़कर स्पाइन की सर्जरी कर रहे हैं, इनके अनुसार इनका ये प्रयास आगे भी जारी रहेगा। यहीं नहीं स्पाइन के ट्रीटमेंट को लेकर डर को भी हटाने के लिए लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
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