देहरादून,(ब्यूरो): दून में इन दिनों सोशल मीडिया पर फिर से दो पेड़ों की सुरक्षा की मुहीम शुरू हो गई हैं। सोशल मीडिया में इन दिनों 200 साल पुराने दो पीपल के पेड़ को बचाने का मामला सामने आ रहा है। यहां इस पेड़ को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमी व स्थानीय लोग डिमांड कर रहे है। वहीं यहां पर लोगों की इन दो पेड़ों से धार्मिक आस्था भी जुड़ी है। अब जब विभाग की ओर से इन पेड़ों को काटे जाने की बात चली तो सोशल मीडिया के माध्यम से इन पेड़ों को बचाने की मुहीम चल पड़ी हैं।

सहस्त्रधारा रोड पर है ये पेड़

दून के पिकनिक स्पॉट सहस्त्रधारा जाने वाले लोगों को छावदार दो बड़े पीपल के पेड़ दिख जाएगे। जब 2022 में सहस्त्रधारा रोड़ के फोर लेन का प्रस्ताव पास हुआ तब से ही स्थानीय लोगों को इस पेड़ को काटे जाने की ंिचंता सताने लगी थी। इस मुख्य मार्ग से सैकड़ों पेड़ काटे जाने की मंजूरी हुई साथ ही कई पेड़ इनमें ऐसे भी थे जिन्हें एयरलिफ्ट किया जाना था। इनमें ये दो बड़े पीपल के पेड़ भी शामिल रहे। जिसके बाद सबसे पहले यहां बने हनुमान मंदिर को शिफ्ट किया गया। अब जब इन पेड़ों को हटाने की बात आई तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। यहां रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि इन पेड़ो से आस्था जुड़ी है। यह पेड़ जब किसी को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है तो इसे क्यों काटा जा रहा हैं।

सीएम को दिया पत्र

करीब पांच माह पूर्व इन सहस्त्रधारा स्थित कुल्हान गांव के इन दो पेड़ों को काटने को लेकर स्थानीय लोगों ने आवाज उठाई। कई विरोध और धरने प्रदर्शन होने के बाद जून में सीएम पुष्कर सिंंह धामी ने इन पेड़ों के कटान पर रोक लगाई। जिसके बाद स्थानीय लोगों के साथ पर्यावरण प्रेमी ने चैन की सांस ली। लेकिन, अब दोबारा इन पेड़ों के काटने को लेकर पीडब्ल्यूडी विभाग मंथन कर रहा है तो सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी हैं।

ये आ रही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

ये पेड़ धरती का सबसे बेहतर प्लांट है। ये बहुत ही दुख की बात है कि इन पेड़ों को काटा जा रहा हैं:- अरविन्द राना

क्यों लगातार इन पेड़ों को काटने की बात की जा रही है। ये भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। :- सरिता निरमल

सड़क चौड़ी हो रही है अब , लगता है अब यहां प्लेन लैंड करेंगे। ये ऐसी जगह है जहां मुसाफिर कुछ देर बैठ सकते हैं। :- राजपाल

एक पेड से कितनी जाने जुड़ी है। जो प्रकृति से मिल रहा है उसे रिजेक्ट कर आर्टिफिशन चीजों को एक्सेप कर रहें है.:- तान्या नेगी

सरकार को शर्म आनी चाहिए जो पेड़ों की महत्वता को समझ नहीं पा रहे है। ये जीवन के लिए कितना जरूरी है। :- प्रवीन शर्मा

सरकार से निवेदन है कि वे अपने इस प्लान को बदले। पेड़ों को काटे जाने पर बहुत दुख होता है :- राज अक्की

गर्वमेंट को किसी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता वे सिर्फ पैसे और वोट की परवाह करती है। अब दून में बचा ही क्या हैं। :- कुलवंत बन

कहां गए हमारे अवार्ड विनिंग एनवायरमेनटालिस्ट , जो केवल अवार्ड लेने में मग्न है। उन्हें यहां से कोई मतलब नहीं :- रोहन जोशी

ये कहना है स्थानीय लोगों का

मेरी उम्र 70 साल की हो गई है। तब से अब तक इन पेड़ों को हम ऐसे ही देख रहे है। यहां पहले मंदिर हुआ करता था। मंदिर को शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन, अब इन पेड़ों के काटे जाने की सूचना मिल रही है।

सेवकराम

हमारी ओर से इन पेड़ों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय लोगों की ओर से लगातार सरकार को पत्र भेज पेड़ो को काटने से रोका जा रहा है।

समीर पुण्डीर

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