- 31 साल बाद लखवाड़ पावर प्रोजेक्ट का काम शुरू
- 300 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन, हजारों को मिलेगा रोजगार
देहरादून (ब्यूरो): इस परियोजना पर करीब 31 साल बाद काम शुरू हो पाया है। यह प्रोजेक्ट 1976 में स्वीकृत हुआ था। सेंट्रल वाटर बोर्ड के ओर से जल विद्युत निगम को फाइनल डायवर्जन टनल ड्राइंग उपलब्ध करा दी है। इसके बाद यूजेवीएन लिमिटेड ने परियोजना पर आखिरकार काम शुरू कर दिया है। इस परियोजना का इंतजार पिछले 31 वर्षों से था। परियोजना की सभी रुकावटें अब दूर हो गई है। खास बात यह है कि इस पावर प्रोजेक्ट के शुरू होने से रोजगार की आस बढ़ी है। बताया जा रहा है कि परियोजना से आने वाले समय में तकरीबन 5000 से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा। 2028 तक परियोजना का काम पूरा किया जाना है। इस परियोजना से 50 गांव प्रभावित होंगे।
5000 से अधिक युवाओं को मिलेगा रोजगार
लखवाड़ पावर प्रोजेक्ट के डैम की हाईट 204 मीटर है। परियोजना में अभी सौ से अधिक लोग काम कर रहे हैं। अगले दो साल के भीतर परियोजना में 5000 से अधिक लोगों को परोक्ष और अपरोक्ष रूप रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। परियोजना का लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा। रोजगार के लिए राज्य में लंबी कतार लगी है। आए दिन युवा रोजगार के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस परियोजना के शुरू होने से रोजगार के द्वार खुल जाएंगे। इससे युवाओं को बड़ी राहत मिलनी की उम्मीद है।
औपचारिकताएं पूरी करने में लग गए 31 साल
दशकों के इंतजार के बाद आखिरकार लखवाड़ पावर प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया। केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों की एनओसी और तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने में यूजेवीएन लिमिटेड को 31 साल का समय लग गया। योजना तब स्वीकृत हुई थी जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। यूपी से अलग होने के बाद प्रोजेक्ट शुरू करने में और ज्यादा समय लगा है। कार्यदायी संस्था के चयन में ही काफी समय लगा। यह परियोजना राजधानी दून से 70 किमी। की दूरी पर है।
कैबिनेट से मिली विशेष मंजूरी
कई बार की टेंडर प्रक्रिया में भी जब कंपनी फाइनल नहीं हुई, तो कैबिनेट से विशेष मंजूरी लेकर एल एंड टी का चयन किया गया। कंपनी ने करीब चार प्रसेंट कम रेट पर काम करने का एग्रीमेंट किया, इसके बाद ही काम शुरू हो पाया। केंद्रीय जल आयोग से यूजेवीएनएल को डायवर्जन टनल की फाइनल ड्राइंग मिलने की अंतिम औपचारिकता पूरी हो गई है। कंपनी के स्टाफ से लेकर मशीनें तक मौके पर पहुंचाए जा रहे हैं। पूर्व में मौजूद उपकरणों के जरिए बोर होल्स करने का काम शुरू हो गया है।
1976 में स्वीकृत हुआ था प्रोजेक्ट
यह परियेाजना 1976 में स्वीकृत हुई थी, लेकिन निर्माण कार्य 1987 में शुरू हुआ। परियोजना का काम शुरू ही हुआ था कि पर्यावरणीय एनओसी न मिलने से 1992 में प्रोजेक्ट बंद हो गया, जिसके बाद फिर नए सिरे से प्रोजेक्ट की पर्यावरणीय मंजूरी ली गई। इससे लाभान्वित छह अन्य राज्यों के साथ एमओयू हुआ। परियेाजना से उत्पादित बिजली पर पूरा अधिकार उत्तराखंड का होगा, लेकिन इसका पानी पानी उत्तराखंड के अलावा यूपी, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली और राजस्थान को भी मिलेगा।
इन राज्यों को मिलेगा पानी
हिमाचल
उत्तर प्रदेश
हरियाणा
दिल्ली
राजस्थान
परियोजना पर एक नजर
1976 में स्वीकृत हुई थी परियोजना
204 मीटर है डैम की हाईट
300 मेगावाट बिजली का होगा उत्पाउदन
580 मिलियन क्यूबिक मीटर वाटर कैपेसिटी
1385 हेक्टेयर टोटल लैंड
868.08 हेक्टयर फॉरेस्ट लैंड
50 गांव होंगे परियोजना से प्रभावित
लखवाड़ पावर प्रोजेक्ट का काम शुरू कर दिया गया है। कंस्ट्रक्शन कंपनी ने साइट पर मशीनें पहुंचानी शुरू कर दी है। परियोजना के बनने से जहां राज्य के पावर प्रोडक्शन में काफी इजाफा आ जाएगा वहीं हजारों लोगों को रोजगार और स्वरोजार भी मिलेगा। यह काम मुख्यमंत्री के लगातार अथक प्रयासों से संभव हो पाया है।
संदीप सिंघल, एमडी, यूजेवीएन लिमिटेड
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