देहरादून (ब्यूरो) इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने आधुनिक विज्ञान और परंपरागत ज्ञान को एक साथ मिलकर मानव जाति के सतत विकास के लिए काम करना समय की जरूरत बताया है। अन्यथा प्राकृतिक संसाधनों की कमी से समाज में असमानता पैदा होगी, जो आगे चलकर अनेक समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। इसके अलावा गोष्ठी में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों और अंदमान द्वीप की जनजातियों का 2004 की सुनामी जैसी आपदा में भी उनके किसी भी सदस्य का नुकसान न होना उनके प्रकृति के साथ मानवीय सामंजस्य का अनूठा उदाहरण बताया।

140 लोगों ने किया था रजिस्ट्रेशन
कार्यक्रम की अध्यक्षता दून विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद मंमगाई डीन सोशल सांइस ने किया। उन्होंन मुख्य वक्ता जीएस रौतेला द्वारा दिए गए प्रस्तुति की प्रशंसा की। इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि इस कार्यक्रम से काफी कुछ सीखने को मिला। कार्यक्रम का संचालन मानवविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा। मानवेंन्द्र सिंह बर्तवाल ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विभाग की डा। सौम्यता पांडे ने किया। कार्यक्रम में 140 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। जिसमें से करीब 70 लोगों की समय-समय पर उपस्थित दर्ज की गई।

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