- गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाने व प्रसव के बाद घर लाने पहुंचाने की योजना
- 2011 में शुरू योजना का संचालन 2019 में हो गया था ठप
देहरादून,
स्वास्थ्य महकमा प्रदेश में एक बार फिर खुशियों की सवारी सेवा शुरू करने की तैयारी में हैं। इसके लिए टेंडर इनवाइट किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले दो माह के भीतर एक बार फिर योजना से संबंधित वैन सड़कों पर दौड़ती नजर आएंगी।
2011 में शुरू हुई थी योजना
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2011 में खुशियों की सवारी योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत प्रसव के उपरांत जच्चा-बच्चा को घर तक पहुंचाया जाता है। आपात स्थिति में गर्भवती महिलाओं को भी इस वैन के जरिये अस्पताल लाया जाता है। शुरू में यह योजना किराये के वाहनों में शुरू की गई। इसके बाद 30 मार्च 2013 में सरकार ने किराये की वैन के स्थान पर अपनी गाडिय़ां खरीदकर योजना का संचालन किया। शुरुआती कुछ सालों में इनकी संख्या में बढ़ोतरी की गई। पर्वतीय क्षेत्रों में यह योजना काफी सफल हुई। इसकी मांग भी बढऩे लगी। खुशियों की सवारी के संचालन का जिम्मा समस्त जनपदों के सीएमओ को दिया गया। इसके लिए प्रति केस 450 रुपए निर्धारित किया गया था। समय के साथ देखरेख के अभाव में ये वाहन खराब होने लगे। संचालन में आ रही दिक्कतों के कारण सीएमओ ने इस योजना से हाथ खड़े कर दिए।
2019 में ठप हो गई थी योजना
2019 में इस योजना का संचालन तकरीबन ठप हो गया। कोरोना के दौरान वाहन खड़े-खड़े खराब हो गए। ऐसे कुछ वाहनों की नीलामी भी की गई। योजना बंद होने से खफा जनप्रतिनिधियों ने इसे शुरू करने के लिए लगातार आवाज उठाई। ऐसे में अब सरकार एक बार फिर इसके संचालन की कवायद में जुटी हुई है। इसका संचालन अब निजी कंपनी के जरिये कराने की तैयारी है। जिससे वाहनों की देखरेख का जिम्मा कंपनी ही उठाए। इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इस योजना को फिर से संचालित किया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही प्रदेश में खुशियों की सवारी योजना शुरू कर दी जाएगी।