देहरादून (ब्यूरो)। राज्य में सबसे बड़ी दिक्कत पुनर्वास के लिए जमीन की है। यही वहज है कि राज्य की पुनर्वास नीति के बावजूद पिछले 7 वर्षों में गिने-चुने गांवों को या गांवों में रहने वाले परिवारों का ही पुनर्वास किया जा सका है। चमोली जिले की ही बात करें तो 61 गांवों का पुनर्वास किया जाना है, लेकिन वर्ष 2016 के बाद सिर्फ 8 गांवों का ही पुनर्वास किया जा सका है। ऐसे में करीब 25 हजार की आबादी वाली जोशीमठ नगर का पुनर्वास करना आसान नहीं होगा।

484 गांवों का होना है पुनर्वास
राज्य सरकार ने 2021 तक 484 गांवों को पुनर्वास के लिए चिन्हित किया था। 2022 में इस संख्या में कुछ और इजाफा हुआ है। उत्तराखंड सरकार के आपदा एवं पुनर्वास विभाग ने 19 अगस्त 2011 को पुनर्वास नीति घोषित की थी। स्टेट डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट अथॉरिटी और पुनर्वास विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2016 से लेकर सितंबर 2022 तक चमोली जिले में 61 गांवों को संवेदनशील घोषित किया गया, जिसमें आठ गांवों का पुनर्वास कर दिया गया है। इसी तरह उत्तरकाशी में 64 में से सात, पिथौरागढ़ में 129 में से आठ, टिहरी में 33 में चार, रुद्रप्रयाग में 14 में से छह, बागेश्वर में 42 में चार, अल्मोड़ा में 12 में से एक, चम्पावत में 13 में से एक गांव का पुनर्वास किया गया है। पौड़ी में 28, देहरादून में तीन, ऊधमसिंह नगर में एक, नैनीताल में 6 गांवों को संवेदनशील घोषित किया जा चुका है, परंतु इन जिलों में एक भी गांव का पुनर्वास नहीं किया जा सका है।

पुनर्वास की हकीकत
चमोली जिले में पुनर्वास की हकीकत रैणी गांव की स्थिति देखकर आंकी जा सकती है। इस वर्ष दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने संवेदनशील घोषित किये गये रैणी गांव जाकर हकीकत जानने का प्रयास किया। जोशीमठ ने करीब 5 किमी दूर स्थित रैणी गांव चिपको नेता गौरा देवी का गांव है। 7 फरवरी, 2021 की ऋषिगंगा की बाढ़ ने रैणी गांव को पूरी तरह असुरक्षित कर दिया। रैणी के लोगों के पुनर्वास के लिए जिस गांव सुभाईं का चयन किया गया, वह रैणी से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। वहां तक पहुंचने के लिए च्च्चा रास्ता है और बीच में जंगल है। सुभाईं में इतनी जगह है ही नहीं कि वहां पूरे रैणी गांव का बसाय जा सके।

राज्य में 2016 के बाद पुनर्वास
जिला आपदाएं खतरे में गांव पुनर्वास
चमोली 1,335 61 8
उत्तरकाशी 918 64 7
पिथौरागढ़ 4,201 129 8
टिहरी 497 33 4
रुद्रप्रयाग 159 14 6
नैनीताल 170 6 0
बागेश्वर 767 42 4
पौड़ी 135 28 0
अल्मोड़ा 147 12 1
चम्पावत 266 13 1
देहरादून 437 4 0
हरिद्वार 51 0 0
ऊधमसिंह नगर 195 1 0

डरे-सहमे हैं जोशीमठ के लोग
फिलहाल जोशीमठ की स्थिति बेहद गंभीर है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जोशीमठ में कई लोगों से फोन पर संपर्क किया। नगर पालिका परिषद के पूर्व सभासद प्रकाश नेगी ने बताया कि उनके अपने घर की एक दीवार पूरी तरह चटक गई है और दरारों से बाहर की रोशन आ रही है। आंगन भी टेढ़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि उनके फौज से रिटायर्ड एक पड़ोसी का घर रात को बिल्कुल ठीक था, लेकिन सुबह तक चौड़ी दरारें पुड़ गई। पूरे जोशीमठ में लगभग यही स्थिति है। कब घर ढह जाए, इस आशंका से लोग पूरी रात जागकर गुजार रहे हैं।