न वाहन फिट, न परमिट, न फस्र्ट एड बॉक्स, बस सड़कों पर दौड़ रहे स्कूली वाहन
-आरटीओ ने स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया तो निकल कर आई कई खामियां
देहरादून, (ब्यूरो): ये हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि आरटीओ की दो दिन तक चली कार्रवाई में ये फाइंडिंग निकलकर सामने आईं। अब अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन स्कूल वैन, बसों या फिर अन्य वाहनों पर आपको पूरा भरोसा कि आपका बच्चा स्कूल तक सेफ पहुंच रहा है, वह आपके माथे पर बल पहुंचा सकता है। जब आरटीओ की ओर से लगातार मिल रही शिकायतें के बीच कार्रवाई शुरू की गई तो पता चला इनमें स्कूलों के वाहनों के अलावा प्राइवेट स्कूल वाहन संचालक भी शामिल हैं। दो दिन के स्पेशल कैंपेन में आरटीओ की टीमों को सबसे ज्यादा अनफिट वाहन मिले। मतलब साफ है कि बिना किसी डर, भय के ये वाहन राजधानी की सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं। जिनमें नौनिहाल सवार होते हैं। ऐसे ही दूसरे नंबर पर ऐसे वाहन में मिले, जिनके पास परमिट ही नहीं है। खास बात ये है कि तीसरे नंबर पर ऐसे वाहन मिले, जिनके चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं थे, जिनके पास थे भी, वे एक्सपायरी थे।
फायर सेफ्टी तक के इंतजाम नहीं
बताया जा रहा है कि लगातार मिल रही शिकायतों के बीच आरटीओ ने हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के क्रम में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूली वाहनों की चेकिंग का निर्णय लिया। जिसके बाद रिजल्ट सबके सामने है। बताया गया है कि 21 ऐसे वाहन मिले, जिनके पास फस्र्ट एड बॉक्स तक की सुविधा नहीं थी। हर वक्त फायर सेफ्टी के इंतजाम होने की बात कही जाती है, 15 स्कूली वाहनों में ये भी नहीं मिले।
ये कमियां मिलीं::
-फिटनेस
-निजी वाहनों को किराए पर चलाना
-परमिट न होना
-डीएल का अभाव
-फस्र्ट एड बॉक्स की कमी
-फायर सेफ्टी इक्विपमेंट का अभाव
-ओवरलोडिंग
दो दिन के चालान पर एक नजर::
फिटनेस---30
परमिट---23
डीएल--25
ओवरलोड--10
फस्र्ट एड बॉक्स--21
फायर सेफ्टी --15
प्राइवेट वाहनों का यूज ---11
हरिद्वार व टिहरी के भी ऐसे ही हाल
हाल ऐसा ही दून व हरिद्वार में पाया गया। आरटीओ दून ने देहरादून के अलावा हरिद्वार व टिहरी में भी दो दिन लगातार चेकिंग अभियान चलाया। पता चला यहां भी कुछ ऐसा ही हाल है। हरिद्वार में 42 वाहनों के चालान किए गए और 4 वान सीज किए गए। ऐसे ही टिहरी में 13 वाहनों के चालान किए गए।
प्वाइंटर्स:::
स्कूल वैन की संख्या---485
बसों की संख्या ---155
स्कूलों की संख्या करीब--142
नहीं पड़ रहा कोई फर्क
यह पहला मौका नहीं, जब आरटीओ की ओर से स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई हो। पहले भी ऐसी कार्रवाई होती रही है, लेकिन, बावजूद इसके कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। गत वर्ष ही आरटीओ ने दून में ऐसी कार्रवाई। अब जब दोबारा चेकिंग अभियान शुरू किया गया तो दोगुना खामियां पाईं गईं।
अभिभावकों की ओर से शिकायत आती है, तभी आरटीओ जागरूक होते हैं। लेकिन, बच्चों की जान को देखते हुए रेगुलर जांच हो, अनफिट वाहन बाहर हों, वाहनों में कैमरे हों, इसके लिए पैरेंट्स को भी सहयोग करना होगा।
आरिफ खान, अध्यक्ष, एनएपीएसआर
स्कूल वैन एसोसिएशन की ओर से लगातार सभी वैन संचालकों को अवेयर किया जा रहा है। लेकिन, जो नए स्कूल वैन में संचालित हो रहे हैं, उन्हें भी कमियां दूर करने के लिए कह दिया गया है। जिससे नियमानुसार वैन या वाहनों का ठीक से संचालन हो सके।
-सचिन गुप्ता, अध्यक्ष, स्कूल वैन एसोसिएशन।
लगातार चेकिंग अभियान जारी रखने के कारण अर्बन एरियाज में सुधार देखने को मिल रहे हैं। बसों में इंप्रूवमेंट दिखा है, जबकि, स्कूल वैन में सुधार की जरूरत है। स्पेशली, फायर सेफ्टी की ज्यादा कमी देखने को मिली है। हमारी कार्रवाई जारी रहेगी।
-शैलेश तिवारी, आरटीओ-प्रवर्तन।
बच्चों की सेफ्टी के लिए आरटीओ की ओर से उठाए जा रहे कदम बिल्कुल सही हैं। सुरक्षा मानकों के साथ वाहनों का संचालन जरूरी है। जिससे हादसों से बचा जा सके। स्कूल्स भी इसमें सहयोग देने के लिए तैयार हैं।
-दिनेश बर्तवाल, मेंबर, पीपीए।
dehradun@inext.co.in