-एक तरफ रूट पर जाने के लिए बसें खड़ी, दूसरी तरफ लगा कूड़े का अंबार
- बस अड्डे का अंदर का नजारा देख ठनक जाए हर किसी का माथा
देहरादून (ब्यूरो): वेडनेसडे को दोपहर बाद दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम आईएसबीटी पहुंची तो बस अड्डे के अंदर का नजारा ऐसा कि जिसे देख हर किसी का माथा ठनक जाए। आप भी फोटो में देख सकते हैं बस अड््डा किस तरह कूड़ा डंपिंग जोन बन गया। एक तरफ यात्रियों को ले जाने के लिए तैयार होती बसें खड़ी हैं तो वहीं दूसरी तरफ कूड़े का ढेर सजा है। कूड़ाघर के ऊपर भिनभिनाती मक्खियां और यहां से निकल रही दुर्गंध से कोई भी बीमार हो जाए। इस कूड़े को देख वहां हर कोई नाक-भौं सिकोड़ रहा है। आईएसबीटी की सफाई सरकार के हर जगह स्वच्छता के दावों को झुठला रही है। चिंता इस बात की है कि देश-विदेश के यात्री-श्रद्धालु उत्तराखंड की राजधानी की कैसे छवि लेकर लौट रहे हैं।
किस काम के हैं ये टिन शेड
आईएसबीटी के अंदर यात्रियों को बैठने के लिए वर्षों पहले लाखों रुपये से टिन शेड का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन इनके नीचे बैठने के लिए बैंच-कुर्सी लगाना आईएसबीटी प्रबंधन भूल गया। इसका यात्रियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह धन की बरबादी नहीं है तो और क्या है। लाखों रुपये के टिन शेड वीरान पड़े रहते हैं। न तो ये टिन शेड पार्किंग के काम आ रहा है और न ही बैठने के लिए ही यूज हो रहे हैं।
हैंरीकैप पार्क पर लटका 24 घंटे ताला
आईएसबीटी में टू व्हीलर पार्किंग में दिव्यांगजनों के लिए रिजर्व पार्किंग के एंट्री गेट पर ही ताला जड़ा हुआ है। यह हैंडीकैप पार्किंग शायद ही कभी किसी दिव्यांगजन के लिए खोली गई हो। जंग जाता ताला इसकी गवाही दे रहा है। ऐसी औपचारिकताओं से किसी का क्या भला होगा। इससे स्पष्ट हो रहा है कि आईएसबीटी प्रबंधन शायद ही कभी सुविधाओं की जांच-परख करता हो। इस पर सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
कबाड़ बसों से सजा आईएसबीटी
आईएसबीटी के अंदर एक कोने पर खड़ी-खड़ी कई बसें कबाड़ हो गई है। परिवहन निगम की ये बसें कैसे कबाड़ हो गईं, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। जंग खाती बसों को कभी वर्कशॉप तक ले जाने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। जबकि परिवहन निगम के कई बड़े अधिकारी इसी परिसर में रोज ड््यूटी बजाते हैं। यह गैर जिम्मेदाराना नहीं तो और क्या है।
रैमकी कंपनी के पास है जिम्मा
दून आईएसबीटी वर्ष 2004 में अस्तित्व में आया। शुभारंभ से लेकर वर्तमान तक आईएसबीटी का जिम्मा रैमकी कंपनी के पास है। कंपनी के साथ एमडीडीए के अच्छे अनुभव नहीं रहे, बावजूद इसके हर साल कंपनी का एग्रीमेंट आगे बढ़ाया जाता है। बताया जा रहा है कि कंपनी पर एमडीडीए का करोड़ों रुपये का बकाया है, लेकिन इसके बाद भी यात्री सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर रैमकी पर सख्ती बरतने के बजाय नरमी बरते हुए है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
इसकी जानकारी नहीं है, यदि ऐसा है तो इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
सोनिका, डीएम एवं वीसी एमडीडीए