देहरादून (ब्यूरो) सच्चाई भी कुछ यही है। विकास के नाम पर दून में पिछले कुछ वर्षों में हजारों पेड़ कटे हैं। कितने कटे, किसी के पास जवाब नहीं है। जिन इलाकों से ये पेड़ कटे, वहां आजकल कंक्रीट के जंगल नजर आते हैैं। राजधानी में एक्सप्रेस हाईवे से लेकर सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर हरे-भरे पेड़ों पर आरियां चली हैं। ज्यादा दूर नहीं, सहस्रधारा रोड, हरिद्वार बाईपास, रिंग रोड जोगीवाला, आशारोड़ी ऐसे इलाके हैं, जहां पर पिछले दो-तीन वर्षों में खासे पेड़ काटे गए। काटे गए पेड़ों के बदले में जिम्मेदार विभागों ने ट्रांसप्लांट का भी शिगूफा छोड़ा। लेकिन, जिन इलाकों में कुछ पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए, उनके हाल देखने लायक हैं। सूखी मिट्टी में वे दम तोड़ रहे हैं। फिलहाल, अब कुछ इलाकों में ही हरे-भरे पेड़ नजर आ रहे हैं।
हरियाली से थी ठंडक
मसूरी रोड, जहां कभी शाम के वक्त जाने पर ठंड का अहसास होने लगता था, अब यहां दर्जनों की संख्या में हरियाली के बीच फ्लैट्स ही फ्लैट्स नजर आ रहे हैं। ऐसे ही रिंग रोड पर भी महसूस होता था। लेकिन, इन इलाकों में विकास के नाम पर हरे-भरे पेड़ों की बली चढ़ा दी गई है।
यहां गायब हुए पेड़
-हरिद्वार बाईपास
-आईएसबीटी
-सहस्रधारा रोड
-चूनाभट्टा रायपुर रोड
-रिंग रोड, जोगीवाला
-चकराता रोड
-प्रेमनगर
-आशारोड़ी
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