देहरादून, ब्यूरो: आंकड़ों से स्पष्ट है कि उपभोक्ता सबसे ज्यादा परेशान बीमा कंपनियों से है। बीमा कंपनियां इश्योरेंस के दौरान कई सब्जबाग दिखाती हंै, लेकिन जब बीमा भुनाने की बात आती है, तो तब इश्योरेंस कंपनियां नियम कानून गिनाने लगती हैं।

जनरल इंश्योरेंस कैटेगरी में ज्यादा कंप्लेन
जिला उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग में दायर वादों की बात करें, तो स्थिति बहुत कुछ बयां हो जाती है। किसी तरह से बीमा कंपनियां झांसे में लेकर पहले तो इंश्योरेंस बांटती हंै, लेकिन बाद में जब उपभोक्ताओं को इंश्योरेंस की जरूरत होती है, तो बीमा कंपनियां तेवर दिखाने लगती हैं। जनरल इंश्योरेंस श्रेणी में सर्वाधिक विवाद हैं। बिजली उपकरणों के साथ ही वाहनों के इंश्योरेंस से संबंधित आयोग में सबसे अधिक मामले दर्ज हैं।

टेलीफोन और बैंकिंग क्षेत्र से भी लोग परेशान
इसके अलावा टेलीफोन और बैंकिंग से जुड़े मामले भी कम नहीं है। आयोग में टेलीफोन के 737 और बैंकिंग के 653 केस दर्ज किए गए हैं। इसके बाद हाउसिंग से जुड़े मामले भी लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। उपभोक्ता आयोग में हाउसिंग के 480 मामले दर्ज किए गए हैं। हाउसिंग के सबसे ज्यादा मामले बिल्डरों से संबंधित है।

वादों की निस्तारण दर 91 परसेंट
जिला उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग ने वादों के निस्तारण में रिकॉर्ड कायम किया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो आयोग में अब तक विभिन्न श्रेणी में 13784 केस दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 12574 वादों का निस्तारण कर लिया गया है। वर्तमान में मात्र 1238 वाद ही पेंडिंग चल रहे हैं। परितोष आयोग के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि लोग अपनी अधिकारों के प्रति सचेत हो रहे हैं और अपने साथ धोखाधड़ी पर न्याय के लिए न्यायालय के दरवाजे खटखटा रहे हैं।

दर्ज, निस्तारित और पेंडिंग शिकायतें
श्रेणी दर्ज निस्तारित पेंडिंग
बीमा 1755 1527 228
टेलीफोन 737 736 1
बैंकिंग 653 623 30
हाउसिंग 480 474 6
बिजली 323 322 1
मेडिकल 141 132 9
रेलवे 70 70 0
एयरलाइंस 29 29 0
मिक्स केस 9624 8661 963
कुल 13784 12574 1238

आयोग उपभोक्ताओं के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए वादों का त्वरित निस्तारण करने की भरसक कोशिश कर रहा है। वादों के समय पर निस्तारण की वजह से ही लगातार केस बढ़ रहे हैं, यह न्याय के प्रति अवेयरनेस भी है, आयोग भविष्य में जीरो पेंडेंस पर काम करेगा।
भूपेंद्र सिंह डुग्ताल, चेयरमैन, जिला उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग, देहरादून