देहरादून (ब्यूरो) दून में टूरिस्ट्स की संख्या लागातार बढ़ती जा रही है। अक्सर दिल्ली, हरियाणा, सहारनपुर, पंजाब आदि स्थानों के टूरिस्ट्स यही से होकर मसूरी, धनोल्टी आदि स्थानों पर घूमने के लिए जाते हैं। ऐसे में सड़क किनारे लगे ये साइन बोड्र्स उन्हें प्लेसेस की जानकारी देने में बहुत हेल्पफुल होते हैं। लेकिन दून में लगे ये साइन बोड्र्स शो पीस बने हुए हैं और टूरिस्ट्स की कोई मदद नहीं कर रहे हंै। कारण है इनका सही से रख-रखाव न होना। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सिटी में पेड़ों की समय पर लॉपिंग ना होने के कारण कई साइनेज बोड्र्स इन पेड़ों के बीच छिप गए हैं। जिस कारण बाहर से आने वाले टूरिस्ट्स रास्ता जनने के लिए या तो स्थानीय लोगों से पूछकर अपने गंतव्य तक जाना पड़ता है या फिर गूगल मैप्स का सहारा लेना पड़ रहा है।

पेड़ों की बीच फंसे गाइड
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट लगातार कई दिनों से इन साइन बोड्र्स को लेकर 'शो पीस साइन बोर्डÓ नाम से एक मुहिम चला रहा है। इसी को लेकर आई नेक्स्ट की टीम लगातार शहरभर में घूम रही है और पेड़ों के बीच छिपे इन साइन बोड्र्स का मुद्दा न्यूजपेपर में प्रमुखता से छापा जा रहा है। ट्यूज्डे को भी जब टीम ने शहर के कई इलाकों में लगे साइन बोड्र्स का मुआयना किया और देखा कि हरिद्वार बाईपास रोड पर पुलिया की जानकारी देने के लिए एक बोर्ड लगाया गया है। लेकिन बोर्ड के पेड़ों की पत्तियों के बीच छिपे होने के कारण इस पर लिखी आधी जानकारी ही लोगों को दिख रही है। ऐसा ही हाल आराघर चौक पर लगे बोर्ड का भी देखने को मिला। यहां पर सड़क किनारे रास्तों के बारे मेें जानकारी देने के लिए एक बड़ा साइन बोर्ड लगाया गया है। लेकिन समय पर पेड़ों की लॉपिंग नहीं होने से ये साइन बोर्ड भी पेड़ों के बीच छिप गया है। वहीं सालावाल कहां पर है बताने के लिए जिम्मेदार विभाग द्वारा एक बोर्ड लगाया गया था। लेकिन कुछ छात्र संगठनों ने इस पर पोस्टर चिपकार इसे खराब कर दिया है। हालांकि, इन पोस्टरों को निकालने की भी कोशिश की गई है। लेकिन, फिर भी ये पूरी तरह से नहीं निकल पाए हैं। साफ है कि सिटी में जिस हालत में ये साइन बोर्ड नजर आ रहे हैं इससे टूरिस्ट्स को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। साथ ही आसपास के लोगों को भी प्लेसेस ढंूढऩे में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, जिम्मेदार विभाग इस पर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

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