देहरादून (ब्यूरो) इंडस्ट्रियल एरिया सेलाकुई में वर्तमान में 250 से अधिक इंडस्ट्रीज हैैं। यहां सभी इंडस्ट्रीज कमोबेश मैन्युफैक्चरिंग का काम करती है। मैन्युफैक्चरिंग के लिए बिजली पहला पायदान है। अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर बाद की बात है, लेकिन यहां बिजली ही इंडस्ट्रीज के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। बरसात में यहां घंटो बिजली गुल रहती है, जिस वजह से यहां प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है। पूर्व सीएम एनजी तिवारी ने सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया की नींव रखी थी। केंद्र सरकार ने नए राज्य बनने पर उत्तराखंड को औद्योगिक पैकेज दिया था। औद्योगिक पैकेज बंद होने के बाद यहां से 50 से अधिक इंडस्ट्रीज ने माइगे्रशन कर लिया।
20 अरब है मंथली प्रोडक्शन
सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों का अनुमान के मुताबिक 20 अरब से 22 अरब रुपए तक का मंथली प्रोडक्शन है। यदि घंटे के हिसाब से इसे कैल्कुलेट करें, तो यह करीब 3 करोड़ रुपए बैठता है। मिनट में देखें तो करीब 5 लाख रुपए का कच्चा माल तैयार किया जाता है। 1 मिनट बिजली गुल होने पर सीधे तौर पर 5 लाख और एक घंटे में 3 करोड़ रुपए के प्रोडक्शन का नुकसान हो रहा है।
10-10 घंटे रहती है बिजली गुल
इंडस्ट्रियलिस्ट्स का कहना है कि बरसात के समय में आंधी-तूफान के चलते लाइन ट्रिंपिंग के चलते इंडस्ट्रियल एरिया में 1 घंटे से लेकर 10 घंटे तक बिजली गुल रही है। कई बार लाइन टूटने से 60-70 घंटे तक बिजली गुल रहती है। इससे इंडस्ट्रीज को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। कई साल से सरकार से मांग की जा रही है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कई बार पीक आवर में भी घंटों बिजली कटौती की जाती है। जिसका इंडस्ट्री पर गहरा असर पड़ता है।
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में हो सुधार
इंडस्ट्रियलिस्ट्स का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई में अलग से 220 केवी के पावर सब स्टेशन की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही है। यहां से करीब 15 किमी। दूर से बिजली आती है। कई बार बरसात के के दौरान नदियों में पानी आने से पोल बह जाते हैं, जिससे दो-दो, तीन-तीन दिन तक बिजली बाधित हो जाती है। उनका कहना है कि बिजली की कोई कमी नहीं है, पावर सब स्टेशन की कमी के चलते इंडस्ट्रीज को पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है। सरकार को डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में सुधार करना चाहिए।
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